RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
मुझे बहुत मजा आ रहा था. अब अपने आप मेरा बदन ऊपर नीचे होकर सर के हाथ की पकड़ मेरे लंड पर बढ़ाने की कोशिश कर रहा था. सर ने मेरी आंखों में झांकते हुए मुस्कराकर अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी और मैं उसे चूसने लगा. अब मैं भी मजे ले लेकर चूमा चाटी कर रहा था. चौधरी सर के मुंह का स्वाद मुझे अच्छा लग रहा था, जीभ एकदम गीली और रसीली थी. सर का लंड अब उनकी पैंट के नीचे से ही साइकिल के डंडे सा मेरी जांघों के बीच सट गया था और मुठिया मुठिया कर मुझे बार बार ऊपर उठा रहा था. मैं सोचने लगा कि कितना तगड़ा होगा सर का लंड जो मेरे वजन को भी आसानी से उठा रहा है.
दस मिनिट चूमा चाटी करके सर आखिर रुके "तेरे चुम्मे तो लीना से भी मीठे हैं अनिल. तुझे उससे ज्यादा मार्क मिले इस लेसन में. अब अगला लेसन करेंगे, जवानी के रस वाला. लीना का रस तो बड़ा मीठा था, अब तेरा कैसा है जरा दिखा"
मैं उनकी ओर देखने लगा. मेरी सांस तेज चल रही थी. लंड कस कर खड़ा था. मुझे नीचे सोफ़े पर बिठाते हुए सर बोले ’तू बैठ आराम से, देख मैं क्या करता हूं. सीख जरा, ये लेसन बड़ा इंपॉर्टेंट है"
सर मेरे सामने बैठ गये, फ़िर मेरे लंड को पास से देखने लगे. "मस्त है, काफ़ी रसीला लगता है" फ़िर जीभ से धीरे से मेरे सुपाड़े को गुदगुदाया. मैं सिहर उठा. सहन नहीं हो रहा था. "क्यों रे तुझे भी कैसा कैसा होता है लीना जैसे?" और फ़िर से मेरे सुपाड़े पर जीभ रगड़ने लगे.
"हां सर ... प्लीज़ सर ... मत कीजिये सर ... मेरा मतलब है और कीजिये सर ... अच्छा भी लगता है सर पर ... सहन नहीं होता है" मैं बोला.
"अच्छा, अब बता, ये अच्छा लगता है?" कहकर उन्होंने मेरे लंड को ऊपर करके मेरे पेट से सटाया और उसकी पूरी निचली मांसल बाजू नीचे से ऊपर तक चाटने लगे. मुझे इतना मजा आया कि मैंने उनका सिर पकड़ लिया ’ओह .. ओह .. सर ... बहुत मजा आता है"
"ये बात हुई ना, याद रखना इस बात को और अब देख, ये कैसा लगता है?" कहकर वे बीच बीच में जीभ की नोक से मेरे सुपाड़े के जरा नीचे दबाते और गुदगुदाने लगते. मैं दो मिनिट में झड़ने को आ गया. "सर ... सर ... आप ... आप कितने अच्छे हैं सर .... ओह ... ओह ... " और मेरा लंड उछलने लगा.
चौधरी सर मुस्कराये और बोले "लगता है रस निकलने वाला है तेरा. जल्दी निकल आता है अनिल, पूरा मजा भी नहीं लेने देता तू. यहां मार्क कम मिलेंगे तुझे. वो लीना भी ऐसी झड़ने ही की जल्दबाजी वाली थी. खैर तुमको भी क्या कहें, आखिर नौसिखिये हो तुम दोनों, सिखाना पड़ेगा तुम लोगों को और" कहकर उन्होंने मेरे लंड को पूरा मुंह में ले लिया और चूसने लगे. साथ ही वे मेरी जांघों को भी सहलाते जाते थे. चौधरी सर की जीभ अब मेरे लंड को नीचे से रगड़ रही थी और उनका तालू मेरे सुपाड़े से लगा था. मैंने कसमसा कर उनका सिर पकड़ा और अपने पेट पर दबा कर उचक उचक कर उनके मुंह में लंड पेलने लगा. सर कुछ नहीं बोले, बस चूसते रहे.
अगले ही पल मेरी हिचकी निकल गयी और मैं झड़ गया. मैंने सर का सिर पकड़कर हटाने की कोशिश की पर सर चूसते रहे, मेरे उबल उबल कर निकलते वीर्य को वे निगलते जा रहे थे. जब मेरा लंड आखिर शांत हुआ तो मैंने उनका सिर छोड़ा और पीछे सोफ़े पर टिक कर लस्त हो गया. सर अब भी मेरे लंड को चूसते रहे. फ़िर उसे मुंह से निकालकर हथेली में लेकर रगड़ने लगे. "तेरा रस बहुत मीठा है अनिल, लीना से भी, वैसे उसका भी एकदम मस्त है, तुझे फ़ुल मार्क इस टेस्ट में, तू बोल, तुझे मजा आया?"
"हां सर .... बहुत .... लगता था पागल हो जाऊंगा, सर ... थैंक यू सर ... इतना मजा कभी नहीं आया था जिंदगी में पर सर ... वो मैंने आपका सिर हटाने की कोशिश तो की थी ... आपने ही ... सब मुंह में ले लिया ..."
"क्या ले लिया?"
"यही सर ... याने ये सफ़ेद ..."
"ये जो सफ़ेद मलाई निकली तेरे लंड से, उसको क्या कहते हैं?"
"वीर्य कहते हैं सर" मैंने कहा.
"शाबास. तुझे मालूम है. वीर्य याने सच में जवानी का टॉनिक होता है, बेशकीमती, उसको कभी वेस्ट मत करना, जब जब हो सके, उसे मुंह में ही लेना, निगलने की कोशिश करना, सेहत के लिये मस्त होता है"
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