RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-4
गतांक से आगे.............................
मैं उनके पास बैठ गया तो उन्होंने मुझे कमर में हाथ डालकर पास खींच लिया. "अब बता, लीना की चूत देख कर मजा आया?"
"हां सर"
"आज तक सच में नहीं देखी थी?"
"नहीं सर, आपकी कसम. वो क्या है, दीदी चांस नहीं देती हाथ वाथ लगाने का"
"वैसे उसने नहीं तेरे को हाथ लगाने की कोशिश की? याने यहां? आखिर तू भी जवान है और वो भी" सर मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए बोले.
"नहीं सर, वैसे कई बार मेरा खड़ा रहता है घर में, उसे दिखता है तो टक लगाकर देखती है और मेरा मजाक उड़ाती है लीना दीदी"
अचानक सर ने मुझे खींच कर गोद में बिठा लिया.
"सर, ये क्या ... " मैं घबरा कर चिल्लाया.
"गोद में बैठ अनिल, स्टूडेंट भले सयाना हो जाये, टीचर के लिये छोटा ही रहता है"
बैठे बैठे मुझे उनके लंड का उभार अपने चूतड़ के नीचे महसूस हो रहा था. उन्होंने मुझे बांहों में भर लिया और मेरे बाल चूम लिये. फ़िर मेरा सिर अपनी ओर मोड़ते हुए बोले "अब तू चुम्मा देकर दिखा, लीना ने तो फ़र्स्ट क्लास दिखा दिया."
"पर सर ... मैं तो ... मैं तो लड़का हूं" मैंने हकलाते हुए कहा.
"तो क्या हुआ! ऐसा कहां लिखा है कि लड़के लड़के चुम्मा नहीं ले सकते? वैसे तू इतना चिकना है कि लड़की ही है समझ ले मेरे लिये. अब नखरा न कर, लीना तो पास हो गयी अपने लेसन में, तुझे फ़ेल होना है क्या?"
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि किसी मर्द के साथ मैं इस तरह की हालत में होऊंगा. मैंने डरते डरते उनके होंठों पर होंठ रख दिये. उन्हें चूमते हुए चौधरी सर ने मेरी ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाल लिया और उसे हाथ में लेकर पुचकारने लगे. लंड में इतनी मीठी गुदगुदी होने लगी कि धीरे धीरे मेरी सारी हिचकिचाहट और - ये कुछ गलत हो रहा है - ये एहसास पूरा मन से निकल गया. डर भी खतम हो गया. अब बचा था तो बस लंड में होती अजीब मीठी चाहत की फ़ीलिंग जिसके आगे दुनिया का कोई नियम नहीं टिकता.
पास से मैंने सर को देखा, वे सच में काफ़ी हैंडसम थे. बहुत देर बस सर चूम रहे थे और मैं चुप बैठा था पर आखिर मैंने भी उनके होंठों को चूमना शुरू कर दिया. उनके होंठ मांसल मांसल से थे, पास से सर ने लगाये आफ़्टर शेव की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी.
"मुंह बंद क्यों है तेरा? ठीक से किस करना हो तो मुंह खुला होना चाहिये, इससे किस करने वाले पास आते हैं और प्यार बढ़ता है" सर बोले. मैंने अपना मुंह खोला और सर ने भी अपने होंठ अलग अलग करके मेरे निचले होंठ को अपने होंठों में लिया और चूसने लगे. अब मुझे उनके मुंह का गीलापन महसूस हो रहा था, स्वाद भी आ रहा था.
"शाब्बास, अब ये बता कि तू जीभ नहीं लड़ाता अपनी दीदी से? ऐसे ... जरा मुंह खोल तो बताता हूं. तेरी दीदी के साथ भी करने वाला था पर बेचारी बहुत शर्मा रही थी आज पहली बार ... तूने सच में जीभ नहीं लड़ाई अब तक किसी से?" वे एक हाथ से मेरे लंड को और एक से मेरी जांघों को सहलाते हुए बोले.
"नहीं सर, अब तक नहीं ... जब किस भी नहीं किया तो ये तो दूर की बात है"
"कोई बात नहीं, अब करके देख, जीभ बाहर निकाल" वे बोले. मैंने मुंह खोला और जीभ निकाली. सर ने अपनी जीभ भी मुंह से निकाली और मेरी जीभ से लड़ाने लगे. पहले मुझे अटपटा लगा पर फ़िर उनकी वो लाल लाल लंबी जीभ अच्छी लगने लगी. मैंने भी अपनी जीभ हिलाना शुरू कर दी. चौधरी सर ने सहसा उसे अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे
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