RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
दुनिया जानती है, खेल के सूत्र जब औरत के हाथ होते है तब वो मर्दको कैसा नचाती है। मै भी मेरे दामादको मेरे तालपर नचाना चाहती थी। इसी लिए रवीने मुझसे खेल आधा न छोड़नेकी गुजारिश की तो मैंने उसे नेहा बाथरूमसे कभीभी बाहर आ सकती है ऐसा बताया। हालांकि मै जानती थी नेहा को बाहर आनेमें अभी और आधा घंटा लगेगा। मगर मै रविसे याचना चाहती थी। इसीलिए रवि बार बार जब जिद करने लगा तब मैंने उसे अपने हाथसे लंड हिलानेकी बात की। मरता क्या न करता। वो मान गया। फिर मैंने रवि को प्यारसे अपनी बाहोमे लिया। उससे किस करते हुए मै उसके पीठ और चुतड पे हाथ फिराने लगी। मैंने जैसेही उसके गांडको स्पर्श किया उसका लौड़ा एकदम तैयार हुआ। अपना तना हुआ लौड़ा लेके वो मेरे सामने खड़ा हुआ। थोड़ी देर मैंने उसके लंडको अपने मुहमे लेकर चुसा। मुहसे लंडको चूसते हुए मै अपने हाथोसे उसकी गांड दबाने लगी। एक हाथसे मैंने उसकी दोनों आंडगोटी सहल रही थी। फिर बीचमेही मैंने उसकी दोनों गोटिया बारी बारिसे चुसी। रवि का उन्माद बढ़ानेके लिए मै एक उंगली उसके गांडमें थोड़ी थोड़ी घुसा रही थी। यह सब रवीको सहन करना मुश्किल हो रहा था। अखिरमे उसकी सहनशक्ति जबाब दे गयी। उसने अपने दोनों हाथोसे मेरा सिर पकड़ा और जोर जोरसे मेरे मुह्को चोदने लगा। वो बहोत ताकतसे अपनी गांड हिला रहा था। उसकी तेजी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। मगर उसकी ये क्रिया मुझे जता रही थी के मेरा दामाद कितने दिनोसे भूका है। इसका ये भी मतलब था के वो मेरी बेटी छोडके किसी और औरतसे चुदाई या बाकि मजे नहीं लेता था। ये बात मेरे समझमें आनेके बाद मुझे भी मेरे दामादपे नाज आया। मन ही मन मैंने उसे माना। उसके धीरजकी सराहना की। मेरे दामादके प्रति मेरा प्यार और भी ज्यादा हुआ।
वो मेरे मुहसे काफी जोरसे चुदाई कर रहा था। खड़े खड़े अपनी कमर हिलाते हुए अपने लौडेको मेरे मुह को चूत समझकर मेहनतसे चोद रहा था। उसके लंडके आकारसे मेरा मुह खुला हुआ था। उसका लंड मेरे गलेतक उतर रहा था। फिर भी मैंने कोशिश करके मेरे लिप्ससे रविका लौड़ा पकडा। रवि ज्यादाही खुश हुआ। उसकी गति और बढ़ी। जैसेही वो फुटनेकी कगारपे आया मैंने रविको इशारा करके उसका लंड मुहसे निकालकर हाथमे लिया। रवि थोडा निराश हुआ। मगर मैंने उसपे ज्यादा ध्यान न देते हुए अपने हाथोसे उसका लंड हिलाना शुरू किया। दो मिनटमेही रवि का लावारस उबल पड़ा। मै लंड को आगे पीछे कर रही थी और रवि के लंड्से वीर्य निकल रहा था। कितने दिनोका स्टॉक उसने सम्हालके रखा था ये रविकोही मालूम। मै अगले करीब पांच मिनट हिल रही थी और उसके लंड्से वीर्य निकलही रहा था। जब सब ख़तम हुआ तब मैंने फिर उसका लंड मुहमे लेकर साफ़ किया। पगला लौड़ा था। मैंने सफाई के लिए मुह में लिया तो भी टाइट होने लगा। मैंने रवि के लंडका किस लेकर रविसे कहा- दामादजी, अब तो इसकी शांति हुई ना? इसे अब सम्हालके रखो। रवि बोल उठा- सासुजी, इसकी शांति कहा हुई है। अब तो यह और भी कुछ मांग रहा है। इसे हमारी सासुजी पसंद जो आई। मेरी तक़दीर अच्छी है इसीलिए इतनी अच्छी और सेक्सी सासुजी मिली। मैंने गंभीरतासे रवि से कहा-देखो दामादजी, आपकी पत्नी नेहा घरमे है। उसे शक हो जाये ऐसा कुछभी बोलो मत और उसको नजर आये ऐसा कुछभी करो मत।
आपको क्या चाहिए ये मै जानती हु। जैसेही समय मिलेगा मै आपको वो सब दूंगी जो आपने मेरे बारेमे सोचा है। और वो भी आपको मिलेगा जो आपने सोचाही नहीं है। मगर इसके लिए आपको सही समयका इंतजार करना पड़ेगा। रवि मेरे बाहोमे आकर कहने लगा- सासुजी ऐसा कुछ तो करो जिससे ये मुहूरत जल्दी आये। मेरी तो जान निकल रही है। मै तड़प रहा हु इसके लिए।
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