RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
इन्दोरमें हमारा आना महज इत्तेफाक नहीं था। नागपुरमें मै पति और शर्माजी दोनोंके साथ बहोत खुश थी। मुझे दो मर्दोसे सुख मिल रहा था। मेरे पति सीधे-सादे इन्सान है। सेक्स याने कभी-कभार जब जरुरत लगे तो करने की चीज ऐसा उनका मानना था। इसीलिए वो सेक्स् में नया कुछ नहीं लाते थे या मै अगर कहू सेक्स में नया क्या होता है ऐसा उनका ख्याल था।मगर शर्माजी मुझे विभिन्न आसनोंमें चुदाई का आनंद देते थे। बेडपर सो कर- कुर्सीमे बैठकर - टेबलपे मुझे झुकाके पीछेसे चूतमें लंड डालकर -यहाँ तक की उन्होंने मुझे एक बार किचेनमें गैस-स्टोव के बाजूमें बिठाकर, खुद खड़े होकर, मुझे चोद दिया था। इसी लिए मै वहा बहोत खुश थी।मेरे पति वहा बहोत परेशान थे। उन्हें बार-बार टूर जानेसे तकलीफ होने लगी। उनका पेट ख़राब होने लगा। उन्हें शुगरकी बीमारी शुरू हुई। वो मेरेसे दस साल बड़े थे। अभी ४0 केही थे मगर हमेशा बाहर खाना, रोज नए जगह रुकना इसी कारन उन्हें शुगर की बीमारी लगी। फिर उन्होंने कंपनीको रिक्वेस्ट करके इन्दोर में तबादला मांग लिया।
इंदौर हम आ तो गए। कंपनी ने उन्हें फिर प्रमोशन देके मेनेजर बनाया और इंदौर तथा भोपाल दोनों ऑफिस का इनचार्ज बनाया। हमने फॅमिली शिफ्ट की। मै बच्चोके साथ इंदौर में रहने लगी और मेरे १५ दिन इंदौर और १५ दिन भोपाल रहने लगे। इससे उनके जीवनमें कुछ स्थिरता आई। हमारे नजदीक दूसरी कोलोनी में योगा क्लास चलता था। हमने उनके शुगर को दवाई के साथ योग का भी सहारा ले कर शुगर कम करने की कोशिश शुरू की।
शुरू के १५ दिन हम साथ-साथ गए। वहा कुछ लोगोसे परिचय हुआ। उनमे एक थे नीता और निलेश। निलेश की एक छोटीसी प्लास्टिक की फैक्ट्री थी और नीता जूनियर कॉलेजमें लेक्चरर थी। १६ वे दिन जब मेरे पति मेरे साथ नहीं थे तब नीता खुद आगे आके मुझसे बात करने लगी।उसने मुझसे हर एक सब्जेक्ट पे बात की। मगर उसका ज्यादा जोर मेरे फिजिक पे था। उसने मुझे मेरे और कुछ काम/डाइट और व्यायाम के बारे में पूछा। जब मैंने उसे सब कुछ बताया तो वो हैरान हो गयी। वो मेरे कमरपे हाथ रखके बोली भाभीजी , आइ डोंट बिलीव इट। आप कुछ भी नहीं कंट्रोल नहीं रखती फिर भी आप कितनी मेन्टेन है। यु कहू तो बुरा मत मानो के आप बहोत सेक्सी है। मै शर्मा के बोली, निताजी, झूट मत बोलो। आप भी बहोत स्लिम और मेन्टेन है। नीता बोली, भाभीजी मै योगा-डाइट सब करके ऐसी हु। फिर भी आप तो कमाल है। आपकी कमर बिलकुल पतली है और आपके बूब्स- वो तो मै औरत हो के इसे हाथ लगाना चाहती हु मर्द तो मर जायेंगे। और ऐसा कहके उसने मेरे चूचीके पॉइंट को दो ऊँगली से मरोड़ा। मेरे चूची को पहली बार किसी औरत ने हाथ लगाया था। मै एकदमसे चार्ज हो गयी। इतनेमें निलेश आये। आतेही उसने हम दोनोको छेड़ा - इंदौर की सबसे हसीन दो औरतोमें क्या खिचड़ी पाक रही है। मै चुप बैठी। नीता ही बोल उठी, कुछ नहीं निलेश, भाभीजी कितना मेन्टेन है न। मै उनसे इसी बात का राज पूछ रही थी। निलेश हसने लगा और मुझसे कहने लगा- भाभीजी फ्री में कोई सलाह मत दो। और फिर नितासे बोला-यार , तुम भी कमाल करती हो। भाभीजी को अपने घर बुलाओ, चाय-नाश्ता हो जाए फिर इनसे जानेंगे इनके फिटनेस का राज।
हा हा क्यों नहीं। नीता बोली - भाभीजी बुधवार को आप हमारे घर आइये। मैंने कहा -सोचके बताती हु कल।
फिर गुड बाई करके निलेश और निता निकले। जाते-जाते नीताने मेरे निताम्बोपे हाथ घुमाया और मुझे आँख मारके वो चले गए।
अगले दिन निलेश नहीं आया था। नीता अकेली टू-व्हीलर लेके आई थी। आज भी उसने मेरे शारीर को बार बार स्पर्श किया। पर ये सब मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने उसका सपोर्ट नहीं किया था पर ये भी सच है की मैंने कोई विरोध भी नहीं जताया। इसी से उसका साहस बढ़ गया। आखिर में वो मुझे छोड़ने मेरे घर तक आई। अब उसे घर के अन्दर तो बुलाना जरुरी था इसी लिए मैंने उसे अन्दर बुलाया और चाय बनाई। चाय पिने के बाद वो निकली। जैसे ही मै दरवाजा खोलने कड़ी हुई वो तेजी से आगे आई और उसने मुझे अपने आगोश में लिया और उसके होठ मेरे होठपे रखे। मेरे कुछ समझमें आता इस से पहले वो मेरे फ्रेंच किस ले रही थी। मुझे अपनी बाहोमे बड़ी जोर से बाँध लिया था। उसके बूब्स जो मेरे मुकाबले कुछ भी नहीं थे वो मेरे चूची पे दबे थे। धीरे धीरे उसका हाथ मेरे चुतड पे घूम रहा था। मैंने भी उसको रिस्पांस देना शुरू किया। मै भी उसके पीठ को सहलाने लगी। उसकी चुतड दबाने लगी। करीब ५ मिनट लंबा किस करने के बाद हम दोनों सम्हल गए।किन्तु उसने मुझे अपनी बाहों से अलग नहीं किया। कुर्सी की तरफ मुझे लेके वो कुर्सी पे बैठ गयी और उसने मेरा ब्लाउज उतरा। फिर ब्रा के ऊपर अपना मुह लेके ब्रा के उपर्सेही मेरे चुचिके पॉइंट्स चूसने लगी। फिर अपने हाथ पीछे लेकर उसने मेरे ब्राको उतारा। फिर मेरे चूची को बच्चे जैसा चूसने लगी। धीरे धीरे उसने मेरे साडीपे हाथ दाल कर पहेले साडी और बादमे बाकि बचे कपडेभी उतारे। फिर वो धीरे धीरे अपना मुह चूची से लेकर निचे लाती हुई मेरे चूत तक पहुंची। थोडा देर मेरी चूत चूसने के बाद वो रुकी। फिर कड़ी उसने मुझे चारो और घुमाके देखा। उसकी आंखोमे अजीब सा नशा और वासना थी। उसने अपने कपडे उतारे। मेरे बदन के सामने वो बिलकुल दुबली पतली सी थी। उसके चुचे बहोत छोटे थे मेरे ख्याल से उसको ३० नंबर ब्रा चलती होगी। उसके चुतड भी बड़े नहीं थे। शायद उसे ८५ नंबर चलता होगा। मुझे 38 डी लगता है और मेरे निकर का नंबर 95 है। शायद इसी लिए वो मुझे इतना गौर से देखती थी। हम दोनों बेड पर गए। ये खेल मेरे लिए नया था पर वो इसकी उस्ताद थी। उसने मुझे बाहोमे लेके फिरसे गरम किया पहले एक ऊँगली मेरे चूत में डाली और मेरे चूत को रगदने लगी। फिर धीरे धीरे दो उंगली और फिर तीन उंगली मेरे चूत में डाली। दुसरे हाथ से वो चूची दबाती थी। फिर जैसे ही मेरी चूत गीली ही गयी उसने मेरे चूत के उपरी तरफ उंगली ले कर दो उंगली में मेरी चूत की क्लियोरिट्स रगदने लगी। उसने अपना मुह चूत के निचेवाले हिस्से (जहासे लंड अन्दर जाता है ) पे जमाया और अपनी जीभसे मेरे चूत को चोदने लगी। कभी जीभ चूत के अन्दर तक डालती तो कभी ऊपर चारो और घुमती। उंगली से उसका चूत के छेद में ऊपर की तरफ छेडना चालू था। मै इस कदर satisfied हो गयी की मुझे मै कब मेरा पूरा पानी छोड़ चुकी इसका पता ही नहीं लगा। नीता को भी शायद मेरा पानी पिने के बाद ओर्गाजम मिला। वो भी निहाल हो के पड़ी थी। थोड़ी देर बाद हम उठे। कपडे पहने। फिर नीता ने मुझे पूछा -कैसा लगा। मै बोली जिंदगी में पहली बार इतना आनंद आया है। पर तुम ये सब कैसा जानती हो ? नीता बोली वो छोड़ दो तुम्हे ये पसंद आया की नहीं। मैंने कहा - बहोत, बहोत पसंद आया। तुरंत नीता ने कहा फिर हम कल और एक बार मिलेंगे? मैंने जवाब दिया हा-हा क्यों नहीं। मगर कल मै आपको सर्विस दूंगी। नीता ने कहा- जरुर, मुझे तो मर्द अच्छे लगते ही नहीं। मै तो औरत से ही संतुष्ट होती हु।
और फिर कल मिलनेका वादा दोहराके नीता चली गयी। मगर मेरे दिमाग में एक सवाल उठा- इसे अगर मर्द की जरुरत नहीं है तो इसका पति निलेश अपना सेक्स कहा पूरा करता होगा। वो भी तो जवान और सुन्दर है।
यही सवाल मन में लिए मै कल का इंतजार करने लगी।
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