RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
घर वापस आने के बाद शर्माजीने मुझे मेरे घरकी सीढिया चढ़नेमें मदत की। पैर काफी दुख रहा था। एक-एक स्टेप उपर चढ़ना मुश्किल था। मेरा पूरा बदन शर्माजीने सम्हाला था। मेरी पीठ उनके छातीपे और नितंब उनके लैंडपे रगड़ रहे थे। उनके सहारेसे मै अपने घर आई। मुझे मेरे बेडरूम में बेडपे उन्होंने बिठाया और लेटनेकेलिए कहा। उनके सामने मुझे शर्म आ रही थी। मगर बोल ना सकी। मै लेट गयी। शर्माजीने मुझे दवाई दी और तेल की शीशी लेकर मेरे पैरकी तरफ बैठे। मैंने शर्मसे कहा- रहने दो, मै खुद लगा लुंगी। वो बोले- भाभीजी घुटनेके उप्पर और पीछे मार लगी है। आपका हाथ वहा पहुचेगा नहीं। गोली ली है साथमें तेल की मालिश होगी तो पैर जल्दी ठीक होगा। उन्होंने हाथमे तेल लेके मालिश शुरू की। उनका स्पर्श होतेही मेरे मनमें तरंग उठने लगे पैरका दर्द कम हो रहा था मगर मन की चाहत बढ़ रही थी। मनमें द्वंद्व चल रहा था। मन के विकारने जीत हासिल की और मैंने आँखे मूंद ली। शर्माजिका हाथ धीरे-धीरे मेरे जांघोकी तरफ जा रहा था। मैंने कोई विरोध नहीं दर्शाया। मेरा मौन उनके समझमे आया। हाथ ऊपर लेके वो मेरे निकरके ऊपरसे मेरी योनि सहला रहे थे। मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मेरे मुहसे -आह निकली। उन्होंने मेरी निकर निकाली और मेरे योनिको किस किया। अपने जीभसे वो मेरी योनिको जैसे चोद रहे थे। एक तरफ मेरी योनि चूसते- चूसते उन्होंने मेरे कपडे निकाले और खुदकेभी कपडे उतारे। मेरे दोनों बूब्स सहलातेहुए वो ऊपर आये और अपने इशारोमे मुझे अपना लंड चूसनेको कहा। इससे पहेले मैंने कभी लंड चूसा नहीं था मगर उस वक्त मुझे क्या हुआ था पता नहीं। मैंने झटसे उनका लंड मुहमे लेके चूसने लगी। थोड़ी देर लंड चूसनेके बाद मुझसे रहा नहीं गया। मै अपनी गांड उठाके उन्हें इशारा करने लगी। शर्माजीने अपना लंड हाथमें लिया और उन्होंने धीरेसे मेरे चूतमें डाल दिया। फिर उन्होंने पहले स्लो और बादमें फ़ास्ट गाडी चलाई। मैभी नीचेसे उनका साथ दे रही थी। शर्माजी शानदार चुदाई कर रहे थे। काफी देर चोदके उन्होंने अपना पानी छोड़ा। दोनों एक- दुसरे के आगोशमें काफी देर पड़े रहे। फिर मैंने उठके चाय बनाई और हम बात करते रहे।
इसके बाद जब तक हम नागपुरमें थे तब तक हमारा रिश्ता रहा। बाद में हम नागपुर छोडके चले गए , साथमे शर्माजिका साथ भी गया। पर शर्माजीने लंड चूसने का स्किल सिखाया वो लाजवाब था। शायद येही स्किल मुझे मेरे दामाद-रवि के करीब ले जा सकती है इसका अंदाजा मुझे आ गया था।
आज का दिन मेरे दामाद रवि के लिए अबतक तो अच्छा नहीं था। एक तो उसे दिनभर बिना चड्डीके सिर्फ लुंगीपे रहना पड़ा और मेरी बेटी- उसकी पत्नीने दोपहरमें उसको मजा देनेसे इंकार किया। उसके लिए एक बात अच्छी हुई थी। वो कहे तो उसकी सांस उसके बड़े लंडपे फ़िदा हुई थी मगर रविको इस बात का पता नहीं था। मेरी चाहत उसे कैसे बताऊ ये मेरी समझमें नहीं आ रहा था। शामके चाय के वक्त मेरी बैटरी चार्ज हुई। मै झटसे तैयार हुई। पिली साडी-पिला ब्लाउज अंदरसे काली ब्रा पहनी। मेरा ये ब्लाउज पीठपे काफी -काफी खुला था। पीठपे सिर्फ एक छोटीसी पट्टी थी। कपडा काफी पतला था। ब्रा सीधी नजर में आती थी। बालोको चमेलीका दो बूंद तेल लगाके बस एक बो लगाकर खुला छोड़ा। साडीभी नाभिसे नीची पहनी। मुझे मालूम था ऐसे रुपमे मै रविको बड़े आरामसे पटा सकती हु। पल्लू दोनों कंधेपे लेके मै बेटीके बेडरूम गयी और रविको मेरे साथ बाजार चलनेके लिए कहा। चड्डी न होनेसे वो ना कर रहा था मगर मैंने बेटी से कहकर उसे तैयार किया। जीन्स और टी-शर्ट में रवि बहोत स्मार्ट लग रहा था। मैंने मेरी स्कूटी निकाली। पेट्रोल कॉक चालू किये बिना मैंने गाड़ी बाहर लायी। मेरे अनुमानके मुताबिक मेरी बेटी बाय करने दरवाजे पहुंची थी और रविभी मेरे और उसके दरमियान फासला रखके बैठा था। हमने बेटीको बाय करके गाड़ी रास्तेपे थोड़ी आगे ली तभी पेट्रोल बंद होनेसे गाड़ी बंद पड़ी। मै गाडीसे उतरी। रविभी उतरा। कॉक ओन करके मैंने गाड़ी चालू की और गाड़ीपे बैठ गयी। मैंने रविको आरामसे बैठनेको कहा। वो रिलैक्स हुआ तो मैभी पीछे सरक गयी। मेरे नितम्ब अपनेआप उसके दोनों पैरोके बीच आ गए। और रस्तेकी ट्राफिक और बार-बार ब्रेक लगाकर मै उसके लंडको मेरी गांडसे टच कर रही थी।
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