Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
06-19-2017, 10:31 AM,
#2
RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
एक एक दिन हमें एक-दुसरे के करीब लानेवाला दिन होता था। ऐसेमें एक दिन हम दोनों बाहर घुमने गए थे के अचानक बारिश आई। हम दोनों भीग गए थे। मेरा पूरा बदन काप रहा था। छोटू मुझे घुर के देख रहा था। उसकी नजर में वासना साफ़ दिख रही थी। बार-बार वो मेरे छाती को देखता था। हवा सर्द थी। मुझे ठण्ड लग रही थी। वो मेरे करीब आया और अपने आगोश में मुझे लिया। शर्म तो आ रही थी पर समय ऐसा था की मै ना चाहते हुए भी उसके करीब जानेपर मजबूर हो रही थी। धीरे धीरे सब सीमाए टूटने लगी थी। उसका हात मेरे बदन पे फिरने लगा और बारिश में भी पिघलने लगी। जैसे ही उसने मेरे नितम्बो पर अपना हात घुमाना शुरू किया मै अन्दर ही अन्दर गरम होने लगी।पुरुष का स्पर्श मेरे बदन पे काफी दिनों बाद हो रहा था। उसका हात अब मेरा ब्लाउज पे था। कब मेरा ब्लाउज मेरे बदन से अलग हुआ इसका पता ही नहीं चला। मेरी साड़ी और बाकी कपडे सब मेरे बदन से अलग हुए थे। मै पूरी तरह नग्न उसके सामने खड़ी थी और वो मुझे आँखे फाड़ के देख रहा था। उसे खुदपर कंट्रोल करना मुश्किल हुआ था। उसने भी अपने सारे कपडे उतारे और वो नंगा हुआ। पानीसे उसका बदन चमक रहा था। उसका तना हुआ लंड मुझे सलामी दे रहा था। जैसेही उसने अपने कपडे उतारे मुझे शर्म आने लगी।छोटू मेरे करीब आके मेरे वक्ष को सहलाने लगा। निचे झुकके वो मेरे वक्ष को मुह में लेकर चूसने लगा साथ-साथ वो मेरे नितम्बोको सहलाने लगा। छोटू काफी अनुभवी खिलाडी जैसे बर्ताव कर रहा था। कभी मेरे ओंठ तो कभी वक्ष मुह में लेके चूसता था। उसका काम एक रिदम में चल रहा था के अचानक वो मेरे नाभी से होकर मेरे योनि पे अपना मुह रगड़ने लगा। मै एकदम सिहरसी गयी। मेरा मन अपना आपा खो रहा था। धीरे-धीरे मई उसकी बाहों में समाने लगी थी। मेरी योनि को काफी समयसे वो चूस रहा था। मै आनंदलोक में विहार कर रही थी की वो हाथ में अपना लंड लेके घुटनेपे बैठा और मेरे पैर अलग करके उसने मेरे योनिमें अपना लंड डालना प्रारंभ किया। काफी अरसे के बाद मेरी योनिमे लंड का प्रवेश हो रहा था। थोड़ी तकलीफ जरुर हुई पर छोटू बड़े आरामसे चोद रहा था। उसका लंड मेरे पति के मुकाबले काफी जवान था। उसमे गर्मी ज्यादा थी। तनाव ज्यादा था। साइज भी बड़ा था। दो बच्चोंको को जन्म दे चुकी मेरी योनि काफी दिनोसे प्यासी थी। छोटू का चोदना मुझे बहोत अच्छा लगा। मै भी उसे नीचेसे साथ देने लगी। मेरी योनि के अन्दर सभी तरफ टच करता हुआ मुझे आनंद मिल रहा था। कितना समय वो मुझे चोद रहा था इसका पता ही नहीं चला। मेरे जीवनमें चुदाई का ऐसा सुख मुझे शायद पहलीबार मिल रहा था। चुदवाते-चुदवाते मै थक जा रही थी की अचानक छोटू का स्पीड बढ़ा। वो जोर-जोर से चोदने लगा। करीब ५/७ मिनट जोर से चोदने के बाद वो निहाल हुआ। उसका पानी छुट गया। वो मेरे बदन पे गिरकर अपनी सांस कंट्रोल करने लगा।
मेरे जीवन में पति के आलावा पहली बार किसी मर्द का प्रवेश हुआ था। मै बाद में सोचने लगी की क्या ये मैंने पाप किया? ये गलत था ? किसे पता। लेकिन उस समय तो मैंने काफी एन्जॉय किया ये सही।

एक पल में मै मेरी जिंदगीका का एक खुशनुमा- सुहाना अतीत का सफ़र तय करके आई। सामने देखा तो रवि- मेरा दामाद तौलिया लपेटके मेरी बेटीके बेडरूम की तरफ जा रहा था। मेरे मनमें उसे थोडा सतानेका आयडिया आया। मै फुर्तीसे कपडे सुखाने की डोरी की तरफ भागी। मैंने रवि की कच्छी और बनियन निकाली। कल धोई थी, अब तक पूरी सुखी थी। मैंने वो बाथरूम में आजके धोनेके कपड़ोमें डाल दी। फिर चुपकेसे दिवारकी छेदसे देखने लगी। बेटी बिस्तरपे बैठी थी और रवि उसके सामने टॉवल खोलके खड़ा था। कमरेका दरवाजा बंद था। बेटी उसके हतियार से खेल रही थी। यह दृश्य मुझे काफी नजदिकिसे दिख रहा था। रवि का इतना बड़ा औजार बेटी अन्दर कैसे लेती थी यही सवाल मेरे मन में बार-बार आ रहा था। उसे तकलीफ तो जरुर हुई होगी। मुझे याद आया जब वो मायके आती थी तब वो मुझे कुछ बतानेकी कोशिश कर रही थी। शायद यही बात वो कहना चाहती थी। रवि उसे मुह में लेने के लिए जिद कर रहा था और वो ना कर रही थी।
बाद में मैंने रवि को बताया की उसके कपडे गिले है और उसे आज अन्दरसे कुछ पहने बिनही सिर्फ लुंगी पहनके दिनभर रहना पड़ेगा तो वो परेशान हो गया। मै खुश थी क्योंकी मुझे आज दिनमें और कई बार मजा मिल सकता था।खानेके बाद मैंने दोनोंको बेडरूम में जाकर आराम करनेको कहा। दोनों रूम में गए और मै गयी मेरे दिवार के छेद को आँख लगाने। दोनोंमें मस्ती शुरू हो गयी थी। रवि बेटी का गाऊन ऊपर करके उसके पेट को देख रहा था। मेरी बेटी बहोत गोरी है। पेट्से होनेसे उसके पेटकी हर एक नस हरे रंगमें साफ़ नजर आ रही थी। रवि का हाथ नीचे आया। वो बेटी के योनिसे खेल रहा था। गर्भावस्था के कारन योनिमुख थोडा था। एक हाथ योनिपर और दुसरे हाथ में खुदका लंड लेके वो बेटीसे बिनती कर रहा था पर वो मान नहीं रही थी। आखिर उसने अपना लंड मुहमें लेने के लिए कहा। मेरी बेटी ने इसकेलिए साफ़ मना किया। रवि बेचारा हाथसे लंडको मलने लगा। उसकी तकलीफ मेरे समझ में आ रही थी। मेरे लिए शायद ये मौका मिल रहा था।
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