RE: Antarvasnasex रीटा की तडपती जवानी
भौसडी की रीटा
रीटा की वासन दिन दुगनी और रात चौगनी हौती जा रही थी। मस्त रीटा ने राजू को लन्ड को एक महीने में ही निचौड कर रख दिया। कभी कभी रीटा राजू से जिद कर के पाँच पाँच बार चुदवाने के बाद भी और चुदवाने की जि़द करती। अब राजू, रीटा से अब कतराने लगा था। रीटा को अब समझ आया कि हर महीने मतवाली मौनीका नये आशिक से चूत कयो मरवाया करती थी। फिर राजू के डैडी की टरांसफर किसी और शहर मे हो गया और राजू वहाँ से दूसरे शहर मे चला गया।
तनहा रीटा अपनी मासूम चूत की ठरक पूरा करने के लिये ना जाने कया कया अपनी चूत और गाँड मे सटका चुकी थी - बैंगन, कमल-ककडी, हेयर ब्रश,हेयर डरायर, सेंडल, कोका-कोला की बोतल, मोमबत्त्त्ती, केला, घीया, खीरा, छल्ली, तौरी, कचालू, टेलीवीज़न रीमौट, टैलीफौन का हैंडसेट,फलावरपौट, पैन और पैंसील। ये सब करते करते और गुदगुदे बिस्तर पर नन्गी हो लुड़कीया लगाते लगाते रीट को अपने अंग ही चुभने लगते थे। उपर से मौनिका के दिये हुई ब्लयू मूवीस और मस्त राम के सैक्सी नावल देख और पड कर रीटा की चूत ने "चोदा मरवाओ चोदा मरवाओ" की बगावत कर दी।
फिर एक दिन स्कूल बस खराब होने की वजहा से रीटा के डैडी ने अपने नये चपडासी को साईकल से रीटा को स्कूल छोडने और लाने की ड्यूटी लगा दी। चपडासी नया नया गाँव से शहर आया था। खूब जवान, हटाकटा और खूब तन्दरूसत था। गौरखा होने से उस का रंग भी साफ व गौरा था। और सब उसे बहादुर के नाम से पुकारते थे।
सुबह सुबह मम्मी ने बहादुर को रीटा के कमरे मे रीटा का स्कूल बैग तैयार करने के लिये भेज दिया। जब बहादुर अन्दर आया तो ताज़ी ताज़ी नहाई रीटा डरैसिंग टेबल के सामने बैठी अपने बालो के संवार रही थी। ना जाने क्यों, बहादुर की जवानी को देख रीटा की चूत मे मीठी सी सरसरी सी दौड गई।
कुछ सोच कर रीटा ने बहादुर को अपने जुराबे और हील वाले सेन्डील डालने को कहा। बहादुर ने रीटा के सामने बैठा, तो शरारती रीटा ने अपना अपने नन्हे नन्हे सुडौल और सुन्दर पैर बहादुर की गौदी मे रख दिये। बहादुर के रीटा की मरमरी पिडंली पकड कर सेन्डील पहनाने लगा।
मर्द के खुरदरे हाथो के सपर्श मात्र से ही रीटा की चूत फडफडा उठी और झट से पनीया गई। शैतान रीटा लापरवाही से गुनगुनाती हुई अपने बालो मे कंघी करने लगी। रीटा ने महसूस किया कि बहादुर भी कुछ ज्यदा ही रीटा की टांगौ पे हाथ फैर रहा था। बहादुर रीटा की मलाई सी चिकनी टांगौं पर हाथ फैर रात को मुठ मारने का समान बना रहा था।
रीटा ने भी नौकर को शह देने के लिये अपना पैर से बहादुर के लन्ड़ को शरेआम दबा दिया और पैर से सहला कर बहादुर के लन्ड़ को खडा कर दिया। फिर बेशर्म रीटा ने बहादुर के लन्ड की टौटनी को पैर के अंगुठे और अुंगली में ले कर जोर से दबाया तो बहादुर चिहुक पडा। रीटा के चेहरे पर शरारती मुस्कूराहट आ गई।
फिर स्ट्रेप बाधने के लिये रीटा ने अपना सकर्ट उपर उठा पैर डरैसिंग टेबल पर रख दिया। रीटा तिरछी निगाहो से बहादुर की झुकी झुकी नजरो को अपनी सकर्ट कर अंदर अपनी पैंटी से चिपकी देख समझ गई कि चूतीये को आसानी से पटाया जा सकता है।
फिर रीटा अपना स्कूल बैच को बहादुर के हाथ थमा कर चूच्चे को आगे बढाती बोली "जरा यह भी लगा दो"।
बहादुर घबरा कर पिन की तरफ ईशारा कर बोला "बेब्बी ये चुभ जायेगा तुम खुद ही लगा लो"।
रीटा टाई बांधती बोली "अरेऽऽ कैसे चुभेगा एक हाथ अन्दर डाल के लगाओ नाऽऽ"।
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