RE: Mastram अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति
"दीदी, अपना पैर मेरे ऊपर ले लो", शोभा ने सलाह दी. शोभा दोनों के साथ आज रात एकाकार हो गई थी. उसने तुरन्त ताड़ लिया कि दीप्ति क्यूं अजय को मना कर रही है. हाथ बढ़ा खुद ही दीप्ति की मोटी जांघ को उठा अपने नितम्बों के ऊपर रख लिया. दीप्ति ने सोचा शायद शोभा अपनी चूत उसकी चूत से रगड़ना चाहती है. लेकिन जल्दी ही अजय का गरम काला दैत्याकार लिंग उसकी चूत और गुदा के बीच सरकने लगा. लड़का कामोत्तेजना में बिना निशाना साधे वार कर रहा था. जब भी उसके मोटे लन्ड का प्रहार दीप्ति के गुदा द्वार पर पड़ता तो पीड़ा से कराह उठती. अपने बेटे की सैक्स जिज्ञासाओं को शांत करने के लिये उसे अपना शरीर सौंप देना एक बात थी. किन्तु गांड मराना? ये तो अप्राकृतिक है. मां और बेटे के बीच प्यार का संबंध होता है. चलो स्त्री पुरुष होने के नाते एक दूसरे की सैक्स जरुरतें भी पूरी की जा सकती है. शोभा जैसी घर की ही अन्य वरिष्ठ सदस्य का साथ भी चल सकता है. किन्तु गुदा मैथुन. ना. इन्हीं सब विचारों में खोई हुई दीप्ति को पता ही नहीं चला कि कब शोभा ने उसकी टांगों के बीच में से हाथ घुसेड़ कर अजय के सख्त लन्ड को पकड़ लिया था. अजय के जननांग को सहलाने लगी. उसकी खुद की योनि में अभी तक हल्के हल्के झटके आ रहे थे. शायद अजय के द्वारा चूसे जाने के बाद कहीं ज्यादा संवेदनशील हो गई थी. सिर्फ़ सोचने मात्र से ही लिसलिसा जाती थी. दिमाग को झटका दे शोभा ने अजय तेल पिये लट्ठ को दीप्ति की रिसती चूत के मुहं पर रखा.
"अब डालो", अजय के चेहरे की ओर देखती शोभा बोली जो इस समय अपने बिशाल लण्ड को मां की चूत में गुम होते देख रहा था.
"आह. बेटा धीरे...शोभा आह", दीप्ति चित्कारी. लन्ड काफ़ी सकरे मार्ग से चूत में प्रविष्ट हुआ था. योनि की निचली दीवारों से सरकता हुआ अजय का लन्ड मां के गर्भाशय के मुहांने को छू रहा था. इतने सालों की चुदाई के बाद भी दीप्ति की चूत में ये हिस्सा अनछुया ही था. अजय के साथ संभोग करते समय भी उसने कभी इस आसन के बारे में सोचा नहीं था.
कृतज्ञतावश दीप्ति शोभा के गालों पर चुम्बन बरसाने लगी. अजय का लंड उसके पीछे कार्यरत था. पूरी रात उसे भरोसा नहीं था कि वो दुबारा अजय के लन्ड को अपनी चूत में भर पायेगी. पूरे वक्त तो शोभा के इशारों पर ही नाचता रहा था.
अजय ने मां के एक चूंचे को हाथ में कस के दबा लिया. दीप्ति को अपने फ़ूले स्तनों पर अजय के कठोर हाथ सुहाने लगे. वो अपना दूसरा स्तन भी अजय के सुपुर्द करना चाहती थी. शरीर को हल्का सा उठा अजय को दूसरा हाथ भी इस्तेमाल करने के लिये उकसाया. अजय ने तुरन्त ही मां के बदन के उठे बदन के नीचे से दूसरा हाथ सरका के दूसरे चूंचे को दबोच लिया . अब दोनों ही चूंचे अजय के पंजों में जकड़े हुये थे और वो उनके सहारे शरीर के नीचले हिस्से को मां की कमर पर जोर जोर से पटक रहा था.
अजय के जबड़े भींच गये. शोभा की नज़रें उसी पर थी. दीप्ति के सिर के ऊपर से चेहरा आगे कर दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. छोटे छोटे चुम्बनों के आदान-प्रदान से मानों एक दूसरे को जतला रहे हो की अब उनकी कामक्रीड़ा का केन्द्र-बिन्दु सिर्फ़ दीप्ति ही है.
दीप्ति ने गर्दन मोड़ कर अपने सिर के पीछे चलती चाची भतीजे की हरकत को देखा तो वो भी साथ देने के लिये उतावली हो गई. दोनों के जुड़े हुये होंठों के ऊपर बीच में से उसने अपने होंठों को भी टिका दिया. तीनों अब बिना किसी भेद-भाव के साथ चुमने चाटने लगे. आंखें बन्द किये मालूम ही नहीं कौन किसके मुहं में समाया हुआ है.
शोभा ने अपना सिर मां बेटे के पास से हटा नीचे दीप्ति के चूचों को जकड़े पड़े अजय के हाथों को चूमा. और थोड़ा नीचे आते हुये दीप्ति के नंगे बदन पर जैसे चुम्बनों की बारिश ही कर दी. चूत में भरे हुये अजय के लन्ड और मुहं में समाई उसकी जीभ के बीच में शोभा की हरकतों को महसूस ही नहीं कर पा रही थी. किन्तु जब शोभा ने अपने होंठों को उसकी घनी झांटों के बीच में से तनी हुई क्लिट के ठीक ऊपर रखा तो दीप्ति अजय के मुहं में ही चीख पड़ी. शोभा के तपते होंठ और चूत को रौंदता अजय का बलशाली पुरुषांग एक साथ दीप्ति के होशो-हवास छीन चुके थे.
अजय की हालत भी खराब थी. मां के प्रजनांग में अन्दर बाहर होते उसके लन्ड को शोभा चाची के नर्म होंठों पर से गुजरना पड़ रहा था. हे भगवान, ये रंडी चाची चोदने की सब कलाओं में पारंगत है. प्रणय क्रीड़ा के चरम पर खुद को महसूस कर अजय लंड को जोर जोर से मशीनी पिस्टन की भांति मां की चिकनी चूत में भरने लगा.
दीप्ति खजुराहों की किसी सुन्दर मूर्ति के जैसी बिस्तर पर बेटे और देवरानी के बीच पसरी पड़ी थी. एक हाथ पीछे ले जाकर अजय के सिर को अपने चेहरे पर झुका रखा था. दुसरे से शोभा का सिर पकड़ उसे अपनी जांघों की गहराई में दबा रखा था. गोरा गदराया शरीर अजय के धक्कों के साथ बिस्तर पर उछल रहा था.
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