RE: Mastram अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति
"ऊह.. आह.. आह.. उई मांआआआ... आह", शोभा के मुहं से हर सांस के साथ एक सीत्कार भी छुटती. पागलों की तरह सारे बाल खोल जोर जोर से सिर हिलाने लगी थीं. शर्मो हया से दूर शोर मचाती हुई शोभा को दीन दुनिया की कोई खबर ना थी. अभी तो खुद अगर कमरे में उसका पति भी आ जाता तो भी वो अजय के मुहं को ना छोड़ती थी.
अजय की जीभ इतने परिश्रम से थक गयी थी. क्षण भर के लिये रुका तो चाची ने दोनों हाथों के नाखून उसकी खाल में गहरे घुसा दिये "नहीं बेटा अभी मत रुक.. प्लीज...आह". बेचारा अजय कितनी देर से दोनों औरतों की हवस बुझाने में लगा हुआ था. चाची तो अपनी भारी भरकम गांड लेकर उसके चेहरे के ऊपर ही बैठ गय़ीं थीं. फ़िर भी बिना कुछ बोले पूरी मेहनत से मां और चाची को बराबर खुश कर रहा था. अजय का लन्ड थोड़ा मुरझा सा गया था. पूरा ध्यान जो चाची की चूत के चोंचले पर केन्द्रित था.
दीप्ति बिना पलकें झपकाये एकटक शोभा को अजय के मुहं पर उछलते देख रही थी. शोभा, उसकी देवरानी, इस वक्त पूरी तरह से वासना की मूर्ति बनी हुई थी. सब कुछ पूरी तरह से आदिम और पाशविक था. उसका अधेड़ मादा शरीर जैसे और कुछ नहीं जानता था. ना कोई रिश्ता, ना कोई बंधन और ना कोई मान्यता. कमरे में उपस्थित तीनों लोगों में सिर्फ़ वही अकेली इस वक्त मैथुन क्रिया के चरम बिन्दु पर थीं. उनकी इन स्वभाविक भाव-भंगिमाओं से किसी ब्लू-फ़िल्म की नायिकायें भी शरमा जायेंगी. अजय की समझ में आ गया कि अगर किसी औरत को इस तरीके से इस हद तक गरम कर दिया जाये तो वो सब कुछ भूल कर उसकी गुलाम हो सकती है. अजय के दिल में काफ़ी सालों से शोभा चाची के अलग ही जज्बात थे. चाची ने ही पहली बार उसके लंड को चूसा था और उससे चुद कर उसका कौमार्य भी भंग किया था. आज वही चाची दुबारा से उसे एक नयी काम कला सीखा रही थीं और अगर इस समय उसके कारण शोभा के आनन्द में जरा भी कमी हुई तो ये उसके लिये शर्म की बात होगी. बाद में वो शोभा को अपने दिल की बात बतायेगा कि अब उन्हें किसी और से चुदने की जरुरत नहीं है. चाचा से भी नहीं. उन्हें जो चाहिये जैसे चाहिये वो देगा. चाची की चूत को चाटने का हक अब सिर्फ़ उसका है. नादान अजय, ये भी नहीं जानता था कि चाची आज पहली बार ही मुख मैथुन कर रही है और वो ही उनकी जिन्दगी में ये सब करने वाला पहला पुरुष भी है.
अब शोभा के सब्र का बांध टूटने लगा. दो-चार बार और अजय के जीभ फ़िराने के बाद शोभा चीख पड़ी "ओहहह!.. आहहहह.. मैं झड़ रही हूं अजय.. पी ले मेरे रस को ...बेटा... आह आह.. हां हां हांआआआ" आखिरी हुम्कार के साथ ही उनकी चूत से जोरदार धार निकल कर अजय के गले में समा गई. इतना सारा चूत रस देख अजय भी चकित था और वो भी इतनी तीव्र धार के रुप में. लेकिन ये तो बस शुरुआत भर थी. फ़िर तो शोभा चाची की चूत लन्ड की तरह रस की पिचकारीयां छोड़ने लगी. अजय के मुहं में तो चूत रस की बाढ़ सी ही आ गय़ी. चाची के कीमती आर्गैज्म की एक भी बूंद व्यर्थ ना हो, यही सोच अजय ने उनकी चूत के पपोटों को अपने होंठो के बीच दबा लिया. इस तरह शोभा अपना सारा रस अजय के मुहं में उड़ेल तो रही थी पर रस की तेज धार पर उसका कोई काबू नहीं रह गया था. नाक शोभा चाची की गांड के छेद में घुसी हुई थी और मुहं चूत पर. अजय का दम घुट रहा था. इतना सारा पानी एक साथ पीना मुश्किल था. थोड़ा सा रस उसके खुले मुहं के किनारे से बाहर बहकर उसके गालों पर आ गया था.
"दीदी, दीदी..देखो", शोभा उत्तेजना के मारे चीख सी रही थी. "आपके बेटे ने....आह.. आह...मेरे साथ क्या किया.. आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. मर गईईईईईईईईईई", शोभा का पूरा शरीर कांप रहा था.
चाची का चूत रस अजय की क्षमता से कहीं ज्यादा था। सांस लेने के लिये अजय ने अपना सिर थोड़ा सा घुमाया तो शोभा की चूत से उसकी जीभ बाहर फ़िसल गई. मारे हवस के चाची ने अपनी गांड को पीछे ढकेला तो अजय की नाक उनकी चूत की फ़ांकों में घुस गई. शोभा ने उस बिचारी नाक को भी नहीं छोड़ा और लगी अपनी तनी हुई क्लिट को नाक की हड्डी पर रगड़ने. थोड़ी पस्त हो चुकी थी सो आगे को झुकते हुये अजय के धड़ पर ही पसर गई चाची. कमर ऊपर नीचे हिलाते हुये भी कुछ बड़बड़ा रही थी. "हमारा अजय अब सब सीख गया दीदी...अब आप भी उससे अपनी चूत चटवा सकती है॥ कभी भी..आह.." हर शब्द के साथ उनकी कमर तालबद्ध होकर अजय के चेहरे पर रगड़ रही थी. आर्गैज्म की तेज धारें अब बहते पानी में बदल गई थी. अजय को भी थोड़ी राहत मिली. अपना चेहरा चाची के चिकने चर्बीयुक्त पेड़ू पर रगड़ने लगा. शोभा को तुरन्त ही चूत में ढेर सारे छोटे किन्तु शक्तिशाली आर्गैज्मों का अहसास हुआ. मानों किसी ने जलती पटाखों की लड़ी घुसेड़ दी हो. शान्त होती शोभा के चेहरे पर असीम शान्ति पसर गई. अजय को गले लगा वो उसका धन्यवाद व्यक्त करना चाहती थी.
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