RE: Mastram अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति
शोभा ने जब आंखें खोली तो दीप्ति को अपनी तरफ़ ही देखते पाया. दीप्ति की आंखों में जलन भरी हुई थी. और क्यूं न हो. बेटे ने उनके मुहं में झटके लगाना बन्द कर दिया था. कमर पर लिपटी उसकी टांगें भी जब खुल कर बिस्तर पा आ गयी थी. शोभा और अजय एक दूसरे में ऐसे समा गये थे कि वो बिचारी दीप्ति को तो भूल ही गये. जब शोभा ने सिर उठाया तो उसके चेहरे पर छाई वासना और तन्मयता से दीप्ति का दिल टूटने लगा. एक ही बिस्तर पर दो दो कामुक औरतों में से किसी भी एक का चुनाव करना काफ़ी कठिन काम है.
दोनों ने काफ़ी देर तक एक दूसरे की आंखों मे देखा. शोभा दीप्ति के चेहरे पर अपने लिये ईर्ष्या साफ़ देख सकती थी लेकिन खुद की शारीरिक जरुरत अब इस हद तक बढ़ चुकी थी कि कमरे के अन्दर का उसका बनाया हुआ संतुलन खुद उसके बस से बाहर था. अजय उनके निप्पलों पर अपने होंठों से मालिश कर रहा था और इसी वजफ़ से रह रह कर चाची की चूत में बुलबुले उठ रहे थे. अपने प्लान की कामयाबी के लिये शोभा को अब आगे बढ़ना था.
शोभा ने अजय के सिर के पीछे यन्त्रवत उछलती अपनी कमर को रोका और आगे सरक आई. दीप्ति ने अजय के लन्ड को कस के मुट्ठी में जकड़ लिया और होठों को सिर्फ़ अजय के सुपाड़े पर गोल गोल फ़िराने लगी. शोभा ने भी कुहनियों पर खुद को व्यवस्थित करते हुये पेड़ू को अजय के चेहरे पर जमा दिया. इस समय उआकी गीली टपकती चूत अजय के प्यासे होंठों से काफ़ी दूर थी. उधर अजय उत्तेजना में जीभ को घूमा घूमा कर चाची के तर योनि-प्रदेश तक पहुंचने का प्रयास कर रहा था इधर शोभा चाची ने अजय को उसके हाल पर छोड़ अपना ध्यान जेठानी दीप्ति के ऊपर लगा दिया. दीप्ति के चेहरे के पास जा शोभा ने उनके गालों को चूमा. दीप्ति ने भी जवाब में शोभा के दोनों होठों को अपने होठों की गिरफ़्त में ले लिया. दोनों औरते फ़िर से एक दूसरे में तल्लीन हो गईं. अजय ने कमर को झटका दे मां की बन्द मुट्ठी को चोदना चाहा परन्तु दीप्ति का हाथ भी उसके लन्ड का साथ छोड़ चुका था. अजय ने सिर उठा कर देखा तो उसकी मां और चाची जैसे किसी दूसरे ही संसार में थी. दीप्ति के मुहं में जीभ फ़िराते हुये शोभा अजय की लार का स्वाद महसूस कर सकती थी उधर दीप्ति भी शोभा की जीभ पर खुद उसका, शोभा का और अजय का मिला जुला रस आराम से चाट पा रही थी. आज की रात तीनों ही प्राणी एकाकार हो गये थे.
शोभा ने दुबारा से समझदारी दिखाते हुये दीप्ति का मुख अजय के उपेक्षित लन्ड की तरफ़ मोड़ा। अजय के लन्ड को साझेदारी में चखने के लिये उन्होनें नई युक्ति निकाली. खड़े मुस्टंडे लट्ठ के एक तरफ़ दीप्ति के होठों को जमा दूसरी तरफ़ से शोभा ने पूरा मुहं खोल गरमा गरम रॉड को जकड़ लिया. अब इस तरीके से वो दोनों एक दूसरे को किस भी कर सकती थीं और अजय का तन्नाया पुरुषांग भी उनके चार गरम होठों के बीच में आराम से फ़िसल सकता था. अजय ने जब ये दृश्य देखा तो मारे जोश के उसने शोभा चाची के दोनों नितम्बों को कस के जकड़ लिया. लेकिन चाची की चूत से बहते झरने को वो अपने प्यासे होठों तक नहीं ला पाया. गांड को नीचे खीचने पर शोभा के होंठ उसके लन्ड का साथ छोड़ दे देते थे और शोभा चाची ये होने नहीं दे रही थीं. खैर अजय ने शोभा की नाभि और कमर को की चूमना चाटना चालू कर दिया.
शोभा पूरी तन्मयता से अजय के मोटे लन्ड पर लार टपका उसे होठों से मल रही थी. दीप्ति भी जल्द ही ये कला सीख गई. दोनों उस कड़कड़ाते औजार को आइसक्रीम की तरह दोनों तरफ़ से एक साथ चूस रही थीं. बीच-बीच में दोनों के होंठ कभी मिलते तो एक दूसरे को किस करने लगते और यकायक लन्ड पर दवाब बढ़ जाता.
इतनी पूजा करने के बाद तो अजय के लन्ड में जैसे नया स्वाद ही पैदा हो गया. या तो ये दूसरी औरत की खूश्बूदार लार है या फ़िर दीप्ति की चूत से रिसने वाले रस की महक जो अजय के लन्ड पर उछलते वक्त बह कर यहां जमा हो गया था या शायद फ़िर ये शोभा के होंठों पर अजय की लार का स्वाद है. हां, पक्के तौर पर लन्ड की खाल पर नमकीन स्वाद अजय के पसीने या सुपाड़े से रिसते चिकने पानी का ही था.
शोभा के हाथों को थामे दीप्ति सोच रही थी कितना ही अच्छा हो अगर अजय अभी छूट जाये. फ़िर दोनों को ही मानसिक तृप्ति मिल जायेगी. लेकिन शोभा के दिमाग में कुछ अलग ही खिचड़ी पक रही थी. अजय के लन्ड से होठों को हटा अपने गाल उससे सटा दिये. दीप्ति ने भी शोभा की देखा देखी अपने गाल को भी अजय के लन्ड से सटा दिय़ा. अजय का हथियार भी इधर उधर झटके खाता हुआ दोनों के ही चेहरों को अपने रस और उनके थूक के मिश्रण से पोतने लगा. इस तरह थोड़ी देर तक तड़पाने के बाद शोभा ने अजय के लन्ड को दीप्ति के हवाले कर दिया. दीप्ति ने झट से उसके फ़ूले हुये गुलाबी सुपाड़े पर होंठों को गोल करके सरका दिया. सुपाड़ा जब उनके गले के भीतरी नरम हिस्से से टकराया और थोड़ा सा गाड़ा तरल भी लन्ड से छूट गया. शायद अजय अब ज्यादा देर तक नहीं टिक पायेगा.
"शोभा? तुम किधर जा रही हो?", अजय जल्दी ही झड़ने वाला था और दीप्ति ये पल उसके साथ बांटना चाहती थी.
"आपके और अपने लिये इसको कुछ सिखाना बाकी है.." शोभा ने जवाब दिया.
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