RE: Mastram अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति
शोभा के स्वर में उदासी समाई हुई थी. मालूम था की झूठ बोल रही है. उस रात के बारे में सोचने भर से उसकी चूत में पानी भर गया था.दीप्ति ने शोभा की ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठाया, बोली "उदास मत हो छोटी, अजय है ही ऐसा. मैनें भी उसे महसूस किया है. सच में एक एक इन्च प्यार करने के लायक है वो".शोभा दीप्ति के शब्दों से दंग रह गयी,"क्या कह रही हो दीदी?"दीप्ति को अपनी गलती का अहसास हो गया. भावनाओं में बह कर उसने शोभा को उसके और अजय के बीच बने नये संबंधों का इशारा ही दे दिया था. दीप्ति ने शोभा को हाथ पकड़ कर अपने पास खींचा और बाहों में भर लिया. "क्या हुआ था दीदी" शोभा की उत्सुकता जाग गयी."मैं नहीं चाहती थी अजय मेरे अलावा किसी और को चाहे. पर उसके मन में तो सिर्फ़ तुम समाई हुयीं थी.""तो, आपने क्या किया?""उस रात, तुम्हारे जाने के बाद मैं उसके कमरे में गई, बिचारा मुट्ठ मारते हुये भी तुम्हारा नाम ले रहा था. मुझसे ये सब सहन नहीं हुआ और मैनें उसका लन्ड अपने हाथों में ले लिया और फ़िर...." दीप्ति अब टूट चुकी थी.शोभा के हाथ दीप्ति की पीठ पर मचल रहे थे. जेठानी के बदन से उठती आग वो महसूस कर सकती थी. "क्या अजय ने आपके चूंचें भी चूसे थे?" बातों में शोभा ही हमेशा बोल्ड रही थी."हां री, और मुझे याद है कि उसने तुम्हारे भी चूसे थे." दीप्ति ने पिछले वार्तालाप को याद करते हुये कहा. उसके हाथ अब शोभा के स्तनों पर थे. अंगूठे से वो अपनी देवरानी के निप्पल को दबाने सहलाने लगी. अपनी बहन जैसी जेठानी से मिले इस सिग्नल के बाद तो शोभा के जिस्म में बिजलियां सी दौड़ने लगीं. दीप्ति भी अपने ब्लाऊज और साड़ी के बीच नन्गी पीठ पर शोभा के कांपते हाथों से सिहर उठी. अपने चेहरे को शोभा के चेहरे से सटाते हुये दीप्ति ने दूसरा हाथ भी शोभा के दूसरे स्तन पर जमा दिया. दोनों पन्जों ने शोभा के यौवन कपोतों को मसलना शुरु कर दिया. शोभा के स्तन आकार में दीप्ति के स्तनों से कहीं बड़े और भारी थे.
शोभा ने पीछे हटते हुये दीप्ति और अपने बीच में थोड़ी जगह बना ली ताकि दीप्ति आराम से उसके दुखते हुये मुम्मों को सहला सके। उसका चेहरा दीप्ति के गालों से रगड़ रहा था और होंठ थरथरा रहे थे "आप बहुत लकी है दीदी. रोज रात आपको अजय का साथ मिलता है" शोभा की गर्म सांसे दीप्ति के चेहरे पर पड़ रहीं थीं. दोनों के होंठ एक दूसरे की और लपके और अगले ही पल दोनों औरतें प्रेमी युगल की भांति एक दूसरे को किस कर रही थीं. दोनों की अनुभवी जीभ एक दूसरे के मुहं में समाई हुई थी."उसे मुम्मे बहुत पसन्द हैं. तुम्हारे मुम्मे तो मेरे मुम्मों से भी कहीं ज्यादा भरे हुये है" "जी भर के चूसा होगा इनको अजय ने" दीप्ति शोभा के स्तनों को ब्लाऊज के ऊपर से ही दबाते हुये बोली. अजय ने इन्हीं मुम्मों को चूसा था ना. जैसा मेरे साथ करता है उसी तरह से छोटी के मुम्मों की भी दुर्गति की होगी. शोभा दीप्ति के मन की बात समझ गई. तुरन्त ही ब्लाऊज के सारे बटन खोल कर पीछे पीठ पर ब्रा के हुक भी खोल दिये. शोभा के भारी भारी चूचें अपनी जामुन जैसे बड़े निप्पलों के साथ बाहर को उछल पड़े. दीप्ति जीवन में पहली बार किसी दुसरी औरत के स्तनों को देख रही थी. कितने मोटे और रसीले है ये. निश्चित ही अजय को अपने वश में करना शोभा के लिये कोई कठिन काम नहीं था.शोभा ने दोनों हाथों में उठा कर अपने चूंचे दीप्ति की तरफ़ बढ़ाये. दीप्ति झुकी और तनी हुई निप्पलों पर चुम्बनों की बारिश सी कर दी. कुछ दिन पहले ठीक इसी जगह उनके पुत्र के होंठ भी कुछ ऐसा ही कर रहे थे. "ओह, दीदीइइइ" शोभा आनन्द से सीत्कारी.दीप्ति ने एक निप्पल अपने मुहं मे ही दबा लिया. उसकी जीभ शोभा की तनी हुई घुंडी पर वैसे ही नाच रही थी जैसे वो रोज रात अजय के गुलाबी सुपाड़े पर फ़ुदकती थी. पहली बार एक औरत के साथ. नया ही अनुभव था ये तो. खुद एक स्त्री होने के नाते वो ये जानती थी की शोभा क्या चाहती है. अजय और शोभा में काफ़ी समानतायें थीं. अजय की तरह शोभा के बदन में भी अलग ही आकर्षण था. उसके शरीर में भी वही जोश और उत्तेजना थी जो हर रात वो अजय में महसूस करती थी. दोनों का मछली पानी जैसा साथ रहा होगा उस रात. ये सोचते सोचते ही दीप्ति शोभा के निप्पल को चबाने लगी."और क्या क्या किया दीदी अजय ने आपके साथ? क्या आपको वहां नीचे भी चाटा था उसने?" "आऊच...आह्ह्ह" शोभा के मुहं से सवाल के साथ ही दबी हुई चीख भी निकली. दीप्ति अब उस बिचारे निप्पल पर अपने दातों का प्रयोग कर रही थी."नीचे कहां?""टांगों के बीच में." कहते हुये शोभा ने अपना दूसरा स्तन हाथ में भर लिया. ये अभागा दीप्ति के प्यार की चाह में अन्दर से तड़प तड़प कर सख्त हो गया था."टांगों के बीच में?" दीप्ति ने शोभा का थूक से सना निप्पल छोड़ दिया और अविश्वास से उसकी तरफ़ देखती हुई बोली. "भला एक मर्द वहां क्यूं चाटने लगा?" फ़िर से शोभा के निप्पल को मुहं में भर लिया और पहले से भी ज्यादा तीव्रता से चुसाई में जुट गयी मानो निप्पल नहीं लन्ड हो जो थोड़ी देर में ही अपना पानी छोड़ देगा."आआआह्ह्ह्ह्ह्ह॥ दीदी, प्लीज जोर से चूसो, हां हां", शोभा दीप्ति को उकसाते हुये चीखी. उसकी चूत में तो बिजली का करंट सा दौड़ रहा था."यहां, देखो यहां घुसती है मर्द की जुबान", शोभा ने फ़ुर्ती के साथ दीप्ति कि साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर पैन्टी की कसी हुई इलास्टिक में हाथ घुसेड़ दिया. पैन्टी को खींच कर उतारने का असफ़ल प्रयास किया तो हाथ में चुत के पानी से गीली हुई झांटे आ गईं जो इस वक्त दीप्ति के शरीर में लगी आग की चुगली खा रही थी. दीप्ति ने खुद ही साड़ी और पेटिकोट को कमर पर इकट्ठा कर उन्गली फ़सा अपनी पैन्टी नीचे जांघों तक सरका दी. इधर दीप्ति ने फ़िर से शोभा के स्तनों को जकड़ा उधर शोभा भी पूरी तैयारी में थी. चूत का साथ छोड़ चुकी पैन्टी को थोड़ा और नीचे खींच कर उसने दीप्ति की बुल्बुले उगलती चूत को बिल्कुल आजाद करा दिया. चूत के होंठों को अपनी पतली पतली उंगलियों से सहलाते हुये फ़ुसफ़ुसाई, "दीदी, आप लेट जाओ, मैं आपको बताती हूं कि कैसा महसूस होता है जब एक जीभ हम औरतों की चूत को प्यार करती है". दीप्ति की समझ में तो कुछ भी नहीं आ रहा था और शोभा अपने जिस्म में उमड़ती उत्तेजना से नशे में झूम रही थी.
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