RE: Mastram अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति
जब वो तेरह साल का हुआ तो एक दिन दीप्ति को उसके बिस्तर में कुछ धब्बे मिले. उस दिन से उसने अजय का दूसरे कमरे में सोने का इन्तजाम कर दिया और साथ ही उसे नहलाना और उसके कपड़े बदलना भी बन्द कर दिया. उसके बाद दीप्ति कभी भी अपने बेटे को नग्नावस्था में ना देख सकी. पर आज वो सब कुछ जानना चाहती थी. शोभा ने भी दीप्ति के व्यवहार में आये परिवर्तन को तुरन्त ही जान लिया. "शायद अजय को ये सब अपने पिता से मिला है. कुमार का लन्ड तो काफ़ी पतला और छोटा है, अजय अपनी उम्र के हिसाब से काफ़ी तगड़ा है. गजब की ताकत है उसमें" अपने नये प्रेमी की प्रशन्सा करने से ही शोभा के होंठ सूख गये. "आओ, बैठ कर बात करते हैं" शोभा का हाथ पकड़ कर दीप्ति उसे हॉल में ले आई. "अपनी गलती पता चलने पर भी तुमने उसे रोका नहीं?" "दीदी, जब तक में कुछ समझ पाती काफ़ी देर हो चुकी थी, मैने लाईट जलाने की कोशिश की तो उसने अपने लन्ड से मेरे मुहं में झटके मारना शुरु कर दिया. मुझे लगा कि शायद वो कोई सपना देख रहा है पर जैसे ही वो जागा, बिल्कुल पागल ही हो गया. और फ़िर उसने मुझे भी अपने वश में कर लिया". "मैं कुछ न कर सकी दीदी, आई एम सॉरी". "और फ़िर, तुम भी उसके साथ शुरु हो गईं? है ना?" इस वक्त दीप्ति की चूत में बुलबुले से उठने लगे. जब शोभा ने बतय कि अजय का लन्ड कितना बड़ा है तो उसकी अजय के बारे में और जानने की इच्छा बढ़ गई. लेकिन खुद को चरित्रहीन साबित किये बगैर ये सब पूछ पाना भी जरा मुश्किल था. "मैने उसे रोकने की कोशिश की थी, लेकिन मैं उससे से दूर नहीं जा पाई. इतने सालों तक अपने हाथों से खिला पिला कर, नहला कर उसे बड़ा किया है मैनें. मेरे मन ने कहा कि बाकी सब की तरह ये भी उसकी ज़रूरतों का एक हिस्सा है. जब उसने मेरे चूचों को दबाया तो मुझे लगा कि आपकी तरह वो मेरा भी दूध पी ले मेरे सगे बेटे जैसे". दीप्ति के स्तनों में लहर सी उठ रही थी तो दिमाग में अपनी बहन जैसी देवरानी के लिये ईर्ष्या. अपना हाथ शोभा के स्तनों पर रख कर उसकी एक निप्पल को मसलते हुये पूछ बैठी, "क्या अजय ने इनको भी चूसा था?" शोभा ने दीप्ति के कन्धे से सिर हटा कर उसकी आंखों में झांका. दीप्ति की आंखों में पछतावे के आंसू थे जैसे कुछ खो गया हो. बीती रात खुद की जगह शोभा को अजय के ज्यादा करीब पाने का दर्द भरा था उसके दिल में. उधर, अपने प्यारे भतीजे की करतूत के बारे में उसकी मां को बताने का शोभा का उत्साह दुगुना हो गया था. "दीदी, अजय जोर जोर से मेरे चूंचों को पकड़ कर मसल रहा था. मैं रुक ही नहीं पाई. ब्लाऊज को फ़टने से बचाने के लिये ही मैनें उसे खोल दिया." शोभ ने अपना एक हाथ दीप्ति के ब्लाऊज में डाल दिया और उन्गलियों से उसकी तनी हुयी निप्पल को मसलने लगी. "अपना अजय अब उतना छोटा नहीं रहा. घोड़ों के जैसी ताकत है उसमें. अगर गोपाल भाई साहब भी ऐसे ही हैं तो आप वास्तव में बहुत लकी हैं." शोभा ने बात खत्म करते हुए कहा. मगर दीप्ति का दिमाग तो किसी और ही ख्याल में डूबा हुआ था. जैसा शोभा ने बताया अगर वो सब सच है तो अजय अपने पिता से कहीं आगे था. शोभा ने दीप्ति के गले में हाथों को डाल कर अपने गाल दीप्ति के गालों से सटा दिये. दीप्ति के पूरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. शोभा के लिये अब उसकी भावनायें मिली जुली थी. एक और तो वो शोभा की आभारी थी कि उस जैसी सैक्स में अनुभवी औरत ने अजय की यौन जरुरतों को पूरा किया दूसरी और मन में एक ईर्ष्या का बीज भी था कि अजय को इस सब के लिये किसी दूसरी औरत का सहारा लेना पड़ा जबकि खुद उसकी मां उसके लिये ये सब कर सकती थी.
दोनों औरतें चुप थीं. शोभा के हाथ दीप्ति के बदन पर रेंग रहे थे और दीप्ति अपने बदन में उठती सैक्स तरंगों को अच्छे से महसूस कर सकती थी. लेकिन अजय और उसके पिता की तुलना के बारे में वो कुछ नहीं बोल सकती थी. शोभा ने ही बातचीत में आये गतिरोध को तोड़ा. "एक बार जब में उसके ऊपर चढ़ी तो अजय के लन्ड ने यहां तक जगह बना ली." अपने पेट पर नाभी के पास हाथ से इशारा करते हुये उसने दीप्ति को दिखाया. "मैनें तो सोचा था कि एक बार अजय को मुत्ठ मार के झड़ा दूंगी तो चली जाऊंगी. लेकिन पता नहीं कब मैं अपने होश खो बैठी और अजय के ऊपर चढ़ गयी. उसके बाद अजय ने अपने आप वो तगड़ा लन्ड पूरा का पूरा मेरी चूत में डाल दिया. देखो यहां तक" अजय की प्रशन्सा करना अब शोभा को अच्छा लग रहा था. (पाठकों को याद होगा कि शोभा ने अपने हाथ से अजय के लन्ड को अपनी चूत का रास्ता दिखाया था, बिचारे १९ साल के कुंवारे अजय को क्या मालूम की औरत की चूत में लन्ड कहां डालना होता है. दीप्ति से ये सब तथ्य छिपाना जरूरी था.) दीप्ति ने शोभा की आंखों में देखा.
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