RE: Mastram अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति
अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति--पार्ट -2
अजय उठा और चाची के खरबूजे जैसे स्तनों पर हाथ रख दिया. चाची ने उसकी कलाई पकड़ कर उसे रोकने की कोशिश की. किन्तु यहां भी यह सिर्फ दो विपरीत लिंगो का एक और शारीरिक संपर्क ही साबित हुआ. अजय ने अपना दूसरा हाथ चाची की कोमल नाभी के पास फिराते हुए कहा. "चाची, आ जाओ ना". अजय की आवाज में घुली हुई वासना में उन्हें अपने लिये चुदाई का स्वर्ग सुनाई दे रहा था. अपने घुटनों में आई कमजोरी को महसूस कर शोभा ने वहां से जाना ही उचित समझा. वो एक पल के लिये आगे झुकी और अजय के माथे पर चुंबन दिया. शायद चाची उसको शुभरात्रि कहना चहती थी. पर इस सब में उनका पल्लू गिर गया और अजय को अपनी आंखों के ठीक सामने ब्लाउज के अन्दर से निकल पङने को तैयार दो विशाल, गठीले चूंचें ही दिखाई दिये. चाची के पसीने से उठती हुई मादक खूशबू उसे पागल कर रही थी. उसका किसी भी औरत के साथ ये पहला अनुभव था. कांपते हुए हाथों से उसने शोभा चाची के स्तनों को एक साइड से छुआ और शोभा के मुहं से एक सीत्कार सी निकल गयी.
नौजवान अजय ने अपनी चाची के गुब्बारे कि तरह फूले हुये उन स्तनों को दोनो हाथों में थाम रखा था और उसके अंगूठे चाची के निप्पलों को ढूंढ रहे थे. चाची के ब्लाउज के पतले कपड़े के नीचे ब्रा की रेशमी लैस थी. अजय बिना कुछ सही या गलत सोचे पूरी तन्मयता से अपनी ही चाची के शरीर को मसल रहा था. अब तक शोभा चाची भी गरम होने लग गयी थीं. चाची ने दोनों हाथों से अजय के चेहरे को पकड कर अपने उरोजों के पास खींचा. उत्तेजना के मारे बिचारे अजय की हालत खराब हो रही थी. उसके दिल की धडकन एक दम से तेज हो गई थी और गला सुख रहा था. शोभा ने अब खुद ही अपना ब्लाउज खोलना शुरु कर दिया. ब्लाउज के खुलते ही चाची के दोनों स्तन पतली सी रेशमी ब्रा से निकल पडने को बेताब हो उठे. ब्लाउज इस वक्त शोभा चाची की पसीने से भीगी बाहों से चिपक कर रह गया था. किन्तु ये द्रश्य अजय जैसे कामुक लङके को पागल करने के लिये काफी था. अजय ने भी आगे बढते हुये चाची के तने हुये चूचों के ऊपर चुम्बनों की बारिश सी कर दी. चाची ने अजय के सिर को अपने दोनों स्तनों के बीच में दबोच लिया. इस समय चाची अपना एक घुटना बिस्तर पर टेककर और दूसरे पैर फर्श पर रख कर खडी हुई थीं. अजय ब्रा के ऊपर से ही होंठों से चाची के स्तनों पर मालिश कर रहा था. "चाची!" अजय फुसफुसाया. "हाँ बेटा," शोभा ने जवाब देते हुये उसके गालों को प्यार से चूम लिया. आज से पहले भी ना जाने कितनी बार शोभा ये शब्द अजय को बोल चुकी थी उसकी इकलौती चाची के रुप में. पर आज ये सब बिलकुल अलग था. आज की बातों में सिर्फ सेक्स करने को आतुर स्त्री-पुरुष ही तो थे. अजय ने जब अपने खुरदुरे हाथों से चाची की नन्गी पीठ को स्पर्श किया तो शोभा चाची एक दम से चिहुंक पङी. आज से पहले कभी उन्होने अपने बदन पर किसी एथलीट के हाथों को महसूस नहीं किया था. परन्तु अब शोभा खुद भी अपने भतीजे के साथ जवानी का ये खेल बन्द नहीं करना चाहती थी. अपने शरीर पर अजय के गर्म होंठ उनको एक मानसिक शान्ति दे रहे थे.
"अजय बेटा, रूक जाओ, हमें ये सब नहीं करना चाहिए" चाची फुसफुसाई. "लेकिन मैं तो बस आपको किस ही कर रहा हूं. अजय के मुहं से उत्तेजना भरा जवाब निकला. चाची उसके स्वर में कपकपीं साफ सुन सकती थीं. अजय ने शोभा चाची के दोनों विशाल गुम्बदों पर अपने होंठ रगडते हुये एक हाथ से उनकी पीठ और गर्दन सहलाना जारी रखा. इधर चाची ने भी अजय के सीने पर हाथ फिरते हुये उसके बलशाली युवा बदन को परखा. जैसे ही चाची ने अजय की कमर और फिर उसके नीचे एकदम कसे हुये नितंबों का स्पर्श किया, अजय के फूले हुये लन्ड का विशाल सुपाङा उनके पेट से जा लगा. चाची के मुहं से एक सिसकारी छूट गयी. "क्या हुआ, चाची?" अजय ने पूछा. "कुछ नहीं" चाची ने अजय से खुद को छुङाने कि कोशिश करते हुये कहा. चाची को पता था कि अब स्थितियां काफी खतरनाक हो चली हैं. उन्हें इस कमरे में आना ही नहीं चाहिये था. अजय को दूर धकेल कर चाची कमरे से बाहर जाने की लगी. लेकिन अजय ने भी चाची के दोनों चूतङों को अपने पन्जों में दबाते हुये चाची को अपनी तरफ खींचा और फिर अपने होंठों को चाची के तपते पेट से सता दिया. चाची तो जैसे उत्तेजना के मारे कांप ही गयी. अजीब सी दुविधा में फंस गयी थी बिचारी शोभा. शरीर अजय की हर हरकत का जवाब दे रहा था और मन अब भी इसे एक पाप कह रहा था. अपने पति के बङे भाई के बेटे के साथ चुदाई पारिवाइक और सामाजिक हदों के बाहर थी. अजय ने चाची की साङी को खीन्च कर उनके बदन से अलग कर दिया और अपना चेहरा चाची के पेटीकोट की दरार में घुसेङ दिया. सामान्यतः हिन्दुस्तानी औरतें जब पेटिकोट पहनती हैं तो जहां पेटीकोट के नाङे में गाँठ लगाई जाती है वहां पर एक छोटी से दरार रह जाती है और औरतों के अन्दरुनी अंगों का शानदार नजारा कराती है. दोस्तों, आप लोगो ने भी कई बार अपने घर की औरतों को कपङे बदलते देखा होगा और इस सब से भलीभांति परिचित होंगे. अजय के एक ही चुम्बन से शोभा की तो जैसे जान ही निकल गयी. चाची का पेटीकोट अब उसके रास्ते का रोङा बन रहा था. शोभा कराही "अजय, ये तू क्या कर रहा हैं, बेटा? ये क्या हो गया है तुझको?" उधर अजय को पेटीकोट की गाँठ मिल गयी थी जिसे उसने एक ही झटके में खींच दिया. चाची का पेटीकोट खुलकर अब उनके कूल्हों पर आ गया था. अजय ने आगे बढते हुये अपनी उन्गलियों को उन्के विशाल नितंबों पर फिराते हुये चाची का पेटीकोट नीचे सरका दिया. पेटीकोट अब चाची के पैरों के पास घेरा बनाये पङा था और वो खुद सिर्फ एक लो कट की ब्रा और पतली सी पैन्टी में अपने भतीजे अजय के सामने खङी थी. अजय के होठों ने तुरन्त ही चाची की मख्मली जांघों के बीच में अपनी जगह बना ली. जानवरों की तरह चाची की गदराई जांघों को चाट रहा था वो.
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