RE: Kamukta Kahani मेरा चोदू परिवार
- हईई राज चोद मेरी चूत अपने जीभ से। देख कितनी गीली है।
- हाँ निधि पहले इसको जीभ से चोदुंगा और फिर अपने मोटे लंड से।
राज के लंड से उसके वीर्य भी टपकने लगा था जिसको मैंने चाट लिया।
- राज तेरा वीर्य बड़ा स्वादिष्ट है। तुने पहले कभी नहीं चखाया।
- अब जितना चाहेगी उतना मिलेगा निधि। चिंता मत कर
अब राज ने मुझे बिस्तर पर लेटाया और अपना लंड मेरी चूत के दरवाज़े पर रख दिया और एक ही झटके में पुरा का पुरा अन्दर डाल दिया।
- हाआआआआईईईईईईईइ मजा आ गया राज। ज़ोर से चोद मुझे। अपनी रंडी बीवी को चोद ज़ोर ज़ोर से।
- आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निधि तेरी चूत अभी भी टाइट है रानीमेरा लंड भी मस्त हो गया तेरी चूत पाकर।
अब राज ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा। मेरी चूत अब जम कर पानी छोड़ रही थी। राज के भी धक्के अब तेज़ होते जा रहे थे।
- आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निधि मेरा छुटने वाला है।
- राज अपनावीर्य मेरे मुह पर छोड़। मुझे तेरे वीर्य में नहाना है। और तेरा वीर्य पीना है। बहुत स्वादिष्ट है तेरा वीर्य।
राज ने अपने धक्के और तेज़ कर दिए और एक झटके में अपना लंड निकाल मेरे मुह की तरह कर दिया। मैंने राज का लंड अपने मुह में ले लिया और अपने पानी से भरा लंड चूसने लगी। और जैसे ही लगा के वोह अब छुटने वाला है, उसका लंड हाथ में लेकर मुठ मारने लगी। २ ही सेकंड में राज के लंड ने पानी की पिचकारी मेरे मुह पर डालनी सुरु कर दी। और मेरा पुरा मुह उसके वीर्य से भर गया। मैंने अपने हाथ से उसको पहले अपने चेहरे पर फैला दिया और फ़िर ऊँगली से अपने मुह के अन्दर डालने लगी
- मजा आ गया निधि ऐसी चुदाई के बाद। तू मस्त रंडी है रानी।
- मैं भी मस्त हो गई तेरा लंड पाकर राज। मेरी चूत न कभी भी इतना पानी नहीं छोड़ा
राज मेरी बगल में आकर लेट गया और मेरा मुह चूमने लगा जिसपर अभी भी उसका वीर्य लगा था। और हलके से मेरे बूब्स सहलाने लगा। मैंने उसका मुरझाया लंड अपने हाथ में सहलाने लगी।
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अभी हम लेटे ही थे के हमारा दरवाज़ा खुला। और मेरा देवर नीरज अपनी बीवी मनीषा के साथ अन्दर आ गया।
- वूऊऊव्व्व्व तो सुहागरात मनाई गई है .... नीरज बोला जो अपनी बीवी के साथ एकदम ही नंगा था।
नीरज का लंड मुरझाया हुआ था अभी पर फिर भी राज के लंड के जैसे ही लंबा और मोटा लग रहा था। मनीषा के बूब्स बड़े बड़े और गोल गोल थे और सबसे प्यारे उसके गुलाबी निप्पल थे जो एकदम खड़े थे।
राज मुझे अपने परिवार के बारे में पहले ही बता चुका था के यहाँ सब खुला है और इसलिए मुझे हैरानी नहीं हुई। हम आराम से वैसे ही लेटे रहे, अभी भी राज मेरे बूब्स सहला रहा था और उसका लंड मेरे हाथ में था।
- आओ नीरज भैय्या, आपके बिना सुहागरात कैसे पुरी हो सकती है। आओ मनीषा तुम भी। वो नीरज भैय्या, मैं आपको पहली बार नंगा देख रही हूँ और आप भी अपने भाई से कम नहीं हो। और मनीषा की जवानी भी मस्त लग रही है।
- भाभी मनीषा भी आपके साथ सुहागरात का मजा लेना चाहती थी तो हम यहीं चले आए... नीरज बोला।
- अरे आ न नीरज, हमें भी और मजा आएगा। मैं अभी ही तेरी भाभी को चोद कर हटा हूँ।
नीरज मेरे बगल में आकर लेट गया और मेरा मुह चूमने लगा। मनीषा राज की टांगो के बिच बैठ गई और उसका लंड अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी।
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