RE: Chudai Kahani मैं और मौसा मौसी
राधा दुबले पतले छरहरे बदन की सांवली छोकरी थी, एकदक तीखी छुरी. मेरी ओर और लीना की ओर नजर चुराकर देख रही थी. हम घर के अंदर आये तो वो रसोई में चली गयी. जाते वक्त पीछे से उसकी जरा सी चोली में से उसकी चिकनी सांवली दमकती हुई पीठ दिख रही थी.
हमने चाय पी और फ़िर मौसी बोलीं "चलो, तुम लोग नहा धो लो, फ़िर आराम करो. शाम को ठीक से गप्पें करेंगे"
हम कमरे में आये तो लीना मुझसे लिपट कर बोली "क्या मस्त माल है डार्लिंग!"
मैंने पूछा "किसकी बात कर रही हो?"
"अरे सबकी, सब एक से एक रसिया हैं. राधा तुमको कैसे देख रही थी, गौर किया? और वो रज्जू और रघू मेरी चूंचियों पर नजर जमाये थे. और तेरे मौसाजी भी बार बार मुझे ऊपर से नीचे तक घूर रहे थे पर मुझे जितना देख रहे थे उतना ही तुम पर उनकी निगाह जमी थी"
"अब तुम जान बूझ कर अपना लो कट ब्लाउज़ पहनकर अपनी चूंचियां दिखाओगी तो और क्या होगा. वैसे तुम ठीक कह रही हो, सब बड़े रसिया किस्म के लगे मुझको, पर मेरे को घूरने का क्या तुक है, पता नहीं क्या बात है"
"अरे आज शाम को ही पता चल जायेगा. मैं जरा भी टाइम वेस्ट नहीं करने वाली. और तुमको घूर रहे थे तो अचरज नहीं है, है ही मेरा सैंया ऐसा चिकना नौजवान" लीना मुस्करा कर मेरे गाल पुचकार कर बोली.
"पर वो आभा मौसी हैं ना, उनके सामने कुछ नहीं करना प्लीज़, जरा संभल कर छुपा कर सबसे ..." मैंने हाथ जोड़कर कहा.
’अरे वो ही तो असली मालकिन हैं यहां की, तुमने गौर नहीं किया कैसे सब उनकी ओर देख रहे थे कि वो क्या कहती हैं. और उनकी उमर के बारे में मैं जो बोली थी वो भूल जाओ. इस उमर में भी मौसी एकदम खालिस माल हैं, यहां जो भी सब चलता होगा, वो उन्हींका किया धरा है, देख लेना, मेरी बात याद रखना"
मैं बोला "अरे ऐसा क्या देखा तुमने, मैं भी तो सुनूं. मुझे तो बस वे सीदी सादी महिला लगीं, साड़ी में पूरा बदन ढका था, सिर पर भी पल्लू ले लिया था. वैसे मैंने बहुत दिन में देखा है उनको, बचपन में एकाध बार मिला था, अब याद भी नहीं है"
"तुमको नहीं पता, मैं जब चाय के कप रखने को अंदर गयी थी तब उनका आंचल सरक गया था. तुम वो मोटे मोटे मम्मे देखते तो वहीं ढेर हो जाते. और वो राधा भी कम नहीं है, तुमको बार बार देख रही थी, लगता है तुम उसको बहुत भा गये हो, चलो, तुमको भी मजा आ जायेगा डार्लिंग" लीना मेरे लंड को सहलाते हुए बोली.
"तुमको कौन पसंद आया मेरी जान? तुमको तो सब मर्द और औरत घूर रहे थे" मैंने लीना के चूतड़ पकड़कर पूछा.
"मुझको तो सब पसंद आये, मैं तो हरेक मिठाई को चखने वाली हूं. पर हां, वो रज्जू काफ़ी मस्त मरद है, लगता है लंड भी अच्छा मतवाला होगा, रजत मौसाजी जैसा" लीना बोली.
"तुमको कैसे मालूम?"
"अरे जब मेरी चूंची को घूर रहा था तब मैंने देखा था. उसकी पैंट फ़ूल गयी थी और ऐसा लग रहा था जैसे पॉकेट में कुछ रखा हो. उसका जरूर इतना लंबा होगा कि उसके पॉकेट के पास तक पहुंचता होगा"
"मैं कुछ चक्कर चलाऊं?" मैंने उसे चूम कर कहा. लीना की मस्ती देखकर मुझे भी मजा आने लगा था. "उन सबके मस्त लंडों का इंतजाम करूं तुम्हारे लिये?"
"हां मेरे राजा, बहुत मजा आयेगा. वैसे तो मुझे लगता है कि कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी, अपने आप सब शुरू हो जायेगा पर मौका मिले तो रज्जू को जरा इशारा दे कर तो देखो"
हमने नहाया और सफ़र की थकान मिटाने को कुछ देर सो लिये. मेरा मन हो रहा था लीना को चोदने का पर उसने मना कर दिया "अरे मेरे भोले सैंया, बचाकर रखो अपना जोबन, काम आयेगा, और आज ही काम आयेगा, मुझे तो हमेशा चोदते हो, अब यहां स्वाद बदल लेना"
मुझे यकीन नहीं था, कुछ करने का चांस हो तो भी एक दिन तो लगेंगे जुगाड़ को. फ़िर भी लंड को किसी तरह बिठाया और सो गया. शाम को सो कर उठा तो देखा लीना गायब थी. मैं बाहर आया. मौसी के कमरे से बातें करने की आवाज आ रही थी. मैं वहां हो लिया.
मौसी पलंग पर लेटी थीं. कह रही थीं "अब उमर हो गयी है लीना बेटी, मेरे पैर भी शाम को दुखते हैं. राधा दबा देती है, बड़ी अच्छी लड़की है, पता नहीं कहां गयी है"
"कोई बात नहीं मौसी, लाइये मैं दबा देती हूं" कहकर लीना मौसी के पैर दबाने लगी. मौसी मुझसे बोली "अरे अन्नू, मुझे लगता था कि तेरी ये बहू एकदम मुंहफ़ट होगी, शहर की लड़कियों जैसी. ये तो बड़ी सुगढ़ है, कितने प्यार से पैर दबा रही है मेरे. रुक जा बहू, मुझे अच्छा नहीं लगता, तू चार दिन के लिये आयी है और मैं तुझसे सेवा करा रही हूं"
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