RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
सीमा अब ऐसे तड़पी जैसे किसी ने उसे सच में सूली पर चढा दिया हो. मुंह में सुधा भाभी का स्तन नहीं होता तो जरूर चीख पड़ती. भाभी ने उसकी आवाज बन्द करने के लिये उसका सिर जोर से अपनी छाती पर भींच लिया. मैंने एक हाथ से उसके निपल धीरे धीरे मसले और दूसरे से उसकी बुर को रगड़ने लगा. बांहों में उस किशोरी का थरथराता कमसिन शरीर, और मेरे लन्ड को बुरी तरह भींचती उसकी कुम्वारी गांड, मैं तो स्वर्ग में था.
आखिर पांच मिनट बाद सीमा सम्भली. उसकी बुर फ़िर चूने लगी थी और मैं समझ गया कि लड़की का दर्द कम हो गया है और मस्ती में आने लगी है. भाभी भी उसका सिर छोड़ उठ खड़ी हुईं. मुंह से चूची निकलते ही सीमा बोल पड़ी. “हा ऽ य ममी, इतना दर्द हो रहा है जैसे अभी गांड फ़ट जायेगी पर मजा भी बहुत आ रहा है अम्मा, जीजाजी का लन्ड इतना गहरा गया है कि जरूर मेरे पेट में होगा. बहुत अच्छा लगता है मां गांड में लन्ड” वह सिसकती भी जा रही थी और मस्ती में चहक भी रही थी. मैंने उसका सिर अपनी ओर घुमा कर उसके आंसू अपने जीभ से चाटे और फ़िर होंठ चूमने लगा.
भाभी से मैने कहा. “सासू मां, इस बहादुर कन्या को इनाम देना जरूरी है. ऐसा कीजिये कि मैं बैठ बैठे ही नीचे से इसकी गांड मारता हूं, आप तब तक इसकी बुर चूस लीजिये.” यह आसन सब को भा गया और आधा घंटा चला. सीमा की कमसिन छातियां मसलते हुए उसका मुंह चूसते हुए मैं ऊपर नीचे होकर उसकी कसी गांड में अपना लन्ड मुठियाता रहा और भाभी अपनी बच्ची की बुर का रस पीती रहीं.
मैं अब काफ़ी उत्तेजित हो गया था और सीमा की गांड मारना चाहता था. मेरा मन मेरी बीवी की तरह ही पटक पटक कर अपनी किशोर साली की मारने का था. पर डर था कि वह कोमल कन्या यह सह सकेगी या नहीं. जब मैने उससे यह कहा तो अब तक मस्ती में आई हुई दो बार झड़ चुकी वह कन्या बोली. “जीजाजी आप मारिये ना मेरी गांड जोर से, मेरी परवाह न कीजिये, अब नहीं फ़टेगी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, दर्द तो बहुत है पर मजा भी बहुत है, मालूम नहीं दीदी क्यों इतना रोई.”
मैंने उसे पकड़ कर उठाया और गांड में लन्ड फ़म्साये हुए ही पलन्ग पर ले गया. वहां पटक कर मैं अपनी उस गुड़िया साली पर चढ बैठा और हचक हचक कर पूरे जोर से उसकी गांड मारने लगा. ऐसा मजा आया कि पूछिये मत. वह लड़की तो इतनी चुदैल निकली कि दर्द से बिलबिलाते हुए भी गांड मराने का मजा लेती रही और बोली. “जीजाजी, मेरे भी मम्मे दबाइये जैसे आप दीदी के दबा रहे थे” मुझे और क्या चाहिये था? उस किशोरी के चूजे जैसे मुलायम स्तन हाथों में लेकर बेरहमी से उन्हें मसलते और कुचलते हुए मैं पूरे जोरोम से उसकी गांड चोदने लगा. मेरा स्खलन इतना तीव्र था कि मेरी चीख निकल गई.
पूरी तरह तृप्त होकर मैं पड़ा पड़ा हांफ़ता रहा. फ़िर भाभी को बोला. “भाभी आपका दहेज तो लाखों का नहीं, करोड़ोम का निकला. मुझे अब अपना बेटा समझिये, जमाई समझिये या गुलांअ समझिये, एक ही बात है. आप तीनों की खिदमत मैं जीवन भर करूंगा.”
भाभी भी अपनी कमसिन बच्ची की गांड चुदते देख बहुत गरम हो चुकी थीं. उनकी चूत मैने चूसी जिससे उन्हें भी तृप्ति मिली और मुझे ढेर सा चिपचिपा बुर का रस. अपना झड़ा लन्ड मैंने सीमा की गांड में ही रहने दिया क्योंकि एक बार और मैं उसकी मारना चाहता था. वह भी तैयार थी. कुछ देर बाद लन्ड खड़ा होकर जब फ़िर सीमा के चूतड़ोम के बीच गहरा उतर गया तो मैने उसकी गांड कुतिया स्टाइल में मारी. वह पलन्ग पर घुटनों और कोहनियों पर झुक कर जम गई और मैं उसके पीछे घुटने टेक कर उसके चूतड़ पकड़कर उसकी गांड मारने लगा. इस आसन में काफ़ी मजा आया क्योंकि मुझे अपना लन्ड सीमा के नितम्बोम के बीच घुसता निकलता देख कर बड़ा मजा आ रहा था. इसी समय मैने भाभी को बाजू में खड़ा कर के उनकी चूत भी चूस ली.
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