RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
उस रात मैने मीनल की गांड सुबह तक तीन बार मारी. गांड में से लन्ड मैं झड़ कर भी नहीं निकालता था. बीच बीच में मैने भाभी और सीमा की चूत के रस का पान किया. मीनल जब होश में आकर रोने लगी तो भाभी ने भी उसके मुंह पर अपनी चूत जमा कर उसका मुंह बन्द कर दिया. मां की चूत का रस पीकर मीनल कुछ सम्भली.
मैं उसे गोद में लेकर बैठा रहा. मेरा लन्ड उसकी गांड में था ही. दूसरी बार मैने उसकी गांड उसे गोद में बिठाकर नीचे से धक्के देते हुए ही मारी. इस आसन में भाभी हमारे सांअने खड़ी होकर उसे चूत चुसवा रही थीं और सीमा उसकी बुर चूस रही थी इसलिये मीनल को कुछ आनन्द मिला और दर्द भी कम हुआ. पर तीसरी बार फ़िर मैने उसे पलन्ग पर पटककर उसकी मारी और दर्द से छटपटाते उसके बदन को बांहों में भरे खूब आनन्द लिया.
सोने में हमें सुबह हो गई और हम सब दोपहर को सो कर उठे. सब तृप्त थे, सिर्फ़ मीनल बिचारी सिसक रही थी. सबने अब उसे खूब प्यार किया और सांत्वना दी. मैंने भी बड़े लाड़ से उसके चुम्बन लिये. भाभी ने उसे समझाया कि सुहागरात में तो यह सब सहना ही पड़ता है. हम जब उठ कर बाथरूम जाने लगे तो एक कदम रखते ही मीनल चीख कर लड़खड़ा उठी. उसकी चुदी गांड में से ऐसी टीस उठ रही थी कि उसे चला भी नहीं जा रहा था. आखिर मैं उसे उठा कर ले गया.
उसका हाल देखकर हमने उसे दो दिन का पूरा आराम दिया. गांड में ठम्डी क्रींअ लगाकर उसे सुला दिया और आराम करने दिया. आखिर हमें दो दिन बाद हनींऊन पर भी जाना था. उसके पहले उसका ठीक होना जरूरी था. शुक्र यही था कि इतनी जोरदार चुदाई के बाद भी उसकी जवान गांड सही सलांअत थी और फ़टी नहीं थी नहीं तो टांके लगवाने जाना पड़ता.
उन दो दिनों में मैने अपनी किशोर साली सीमा की गांड मार कर दहेज वसूल कर लिया. सीमा तो मीनल से छोटी और कमसिन थी. मुझे डर था कि उसकी गांड जरूर फ़ट जायेगी और अगर फ़टे नहीं तो भी दर्द से वह बहुत चिल्लाएगी. पर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब वह खुद भी गांड मरवाने को बहुत उत्सुक थी. बड़ी चुदैल लड़की थी. और उसने गांड भी खुद ही मरवाई जैसे मुझे लिटाकर मेरा लन्ड अपनी चूत में लेकर खुद चुदवा लिया था.
दोपहर को यह मस्त कांअक्रीड़ा हुई. मीनल दूसरे कमरे में सो रही थी. मैं एक आराम कुर्सी में टिक कर बैठ गया. मेरा मक्खन लगा लन्ड मस्त तना कर खड़ा था. भाभी ने खुद अपनी प्यारी बेटी की कुम्वारी नन्ही गांड में खूब मक्खन लगाया. सीमा मेरे सांअने मेरे पैरोम के बीच मेरी ओर अपने नितम्ब करके खड़ी हो गई.
मुझसे न रहा गया और मैने झुक कर उन गोल मटोल चूतड़ोम को चूम लिया. फ़िर सीमा को मैने अपनी ओर खींचा और अपना सुपाड़ा उसकी गुदा पर टिकाते हुए कहा. “अब मेरी मुन्नी, मेरी बात सुनेगी तो दर्द नहीं होगा. अपनी गांड ऐसे खोल मानों टट्टी कर रही हो, और भाभी आप अपनी बेटी को अपनी चूचियां चुसवाइये. मुझे मालूम है कि बहादुर चुदैल बच्ची है और चिल्लाएगी नहीं फ़िर भी उसे मां की चूची मुंह में लेकर जरा ढाढस बन्धेगा.”
भाभी ने अपनी चूची अपनी बेटी के मुंह में दी और सीमा ने उसे चूसते हुए टट्टी जैसा जोर लगाकर अपना गुदा फ़ैलाया. मैने झट से उसमें सुपाड़ा फ़म्सा दिया और बोला. “शाबास बेटी, अब ऐसे ही गांड खोले धीरे धीरे मेरी गोद में बैठ जा.”
सीमा ने फ़िर गांड चौड़ी की और सुपाड़े पर बैठ गई. मैंने भी उसके चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये जिससे गुदा और खुले. इतना बड़ा सुपाड़ा इतनी छोटी गांड में जाने में देर तो लगनी ही थी. दर्द भी होना था. आधा इम्च सुपाड़ा अन्दर जाने पर सीमा कसमसा कर रुक गई. भाभी ने तुरम्त उसके मुंह में अपनी चूची और अन्दर ठूम्स दी. थोड़ा रुकने के बाद सीमा फ़िर बैठने लगी. किसी तरह सूत सूत करके आखिर पा~म्क्क की आवाज से वह सेब जैसा सुपाड़ा उसकी जरा सी गांड में समा गया. सीमा तड़प उठी और चीख देती पर मुंह मां की चूची से भरा होने से गोंगियाकर रह गई.
उसके दर्द को कम करने के लिये मैने तुरम्त उसकी बुर में उंगली की और क्लिट रगड़ने लगा. जब गीली हो कर वह नन्ही बुर चूने लगी तब सीमा का कांपना बन्द हुआ. भाभी ने उसे शाबासी दी. “वाह मेरी बहादुर बेटी, बस आधा कांअ तो हो गया, अब आराम से जीजाजी की गोद में बैठ जा और पूरा लौड़ा चूतड़ोम के अन्दर ले ले. बस फ़िर तेरा कांअ खतम, फ़िर सिर्फ़ गांड मरवाने का मजा ले दिन भर”
गांड ढीली कर के सीमा फ़िर मेरी गोद में बैठती गई. इम्च इम्च करके मेरा महाकाय लन्ड उस कोमल गांड में ऐसा घुसता गया जैसे छुरी पके अमरूद में घुसती है. बीच बीच में वह तड़प उठती थी तो मैं उसका क्लिट मसलने लगता था. मेरे लन्ड को उस बच्ची की टाइट मखमली गांड ऐसे कस से दबा रही थी जैसे किसी ने मुठ्ठी में पकड़ रखा हो. जब सिर्फ़ तीन इम्च बचे तो मुझसे न रहा गया. मैने सीमा की कमर पकड़ कर उसे दबोच लिया और खींच कर जबरदस्ती गोद में बिठा लिया. लन्ड सूली जैसा उसकी गांड में समा गया और उसके नरम नितम्ब मेरी जांघों में आ टिके.
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