RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
पांच मिनट बाद मैंने भाभी को कहा कि हाथ अपनी बेटी के मुंह से हटा लेम, अब वह नहीं चीखेगी. भाभी के हाथ हटाते ही वह सिसक सिसक कर रोने लगी. “मां, मैं लुट गई, लगता है गांड फ़ट गई, इतना दर्द हो रहा है जैसे किसी ने पूरा हाथ घूम्सा बनाकर डाल दिया हो. खून बह रहा होगा, जरा देखो ना. ममी अनिल से कहो ना मुझे छोड़ दे, अपना लन्ड निकाल ले नहीं तो मैं मर जाऊंगी.” सीमा ने बड़ी उत्सुकता से उसके गुदा को टटोल कर देखा. “नहीं दीदी, नहीं फ़टी, खून भी नहीं निकला, तू गांड ढीली क्यों नहीं कर लेती जैसा जीजाजी कहते हैं?”
मीनल को शांत करना जरूरी था, नहीं तो बेचारी की सुहागरात पूरी दर्द से बिलबिलाते हुए जाती. मैं उसे बांहों में जकड़े बिस्तर पर पलट गया जिससे मैं नीचे और वह ऊपर थी. मैंने भाभी से कहा “भाभी, जरा दुल्हन की चूत पर आप ध्यान दीजिये. और सीमा तू इधर आ और दीदी को अपनी चूची चुसवा.” सीमा ने अपना एक निपल मीनल के मुंह में दे दिया और दर्द की मारी मीनल उसे चूसने लगी कि कुछ तो हो जिससे उसका ध्यान बम्टे उसके गुदा में होती पीड़ा से.
भाभी ने झुककर अपनी तड़पती बेटी की बुर को चूमना शुरू कर दिया. मैं उसकी चूचियां पकड़कर उनकी मालिश करने लगा. धीरे धीरे मीनल कुछ सम्भली और उसने रोना बन्द कर दिया. भाभी बुर चाटते मेरी ओर देखकर मुसकराईं तो मैं समझ गया कि दुल्हन की चूत में से रस निकलना शुरू हो गया है.
मीनल अब अपनी गांड को किसी तरह ढीला छोड़ने में भी सफ़ल हो गई और उसका दर्द कुछ कम हुआ. मस्ती में आकर उसने अपनी छोटी बहन की चूत टटोली और उसे गीला पाकर कहा. “सीमा, मुझे अपनी चूत चुसवा. बैठ मेरे मुंह पर” सीमा को और क्या चाहिये था. झट से मीनल के मुंह पर अपनी बुर रख कर बैठ गई और मीनल उसे मन लगाकर चूसने लगी. मीनल का सिर मेरी छाती पर था इसलिये मुझे बहनों के बीच की यह क्रीड़ा साफ़ दिख रही थी.
उधर मीनल की बुर अब इतनी मस्त हो चुकी थी कि मां के सिर को उसने जांघों में जकड़ लिया था और अपनी टांगेम घिस घिस कर वह सुधा भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन कर रही थी. सीमा अचानक झड़ी. उसकी किलकारी से मेरा ध्यान उसकी चूत पर गया. उसमें से अब लगातर पानी बह रहा था जिसे मेरी दुल्हन भूखी की तरह चाट रही थी. पास से उस पानी की महक मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई और मैने मीनल का सिर बाजू में किया और खुद अपनी उस नन्ही साली की बुर चूसने लगा.
काफ़ी देर इस तरह मजा करने के बाद आखिर मेरा लन्ड इतना उत्तेजित हो गया कि अब मुझसे न रहा गया. मैने भाभी और सीमा को अलग किया और पलट कर मीनल को पलन्ग पर ओम्धा पटककर उसपर चढ गया और उसकी गांड मारने लगा. जैसे ही मेरा मोटा ताजा तन्नाया हुआ लौड़ा उसकी बुरी तरह से फ़ैले गुदा में अन्दर बाहर होने लगा, वह फ़िर दर्द से बिलबिला उठी. दर्द से न चाहकर भी उसकी गांड का छल्ला सिकुड़ने की कोशिश करने लगा जिससे मेरा आनन्द दूना हो गया और उसका दर्द और बढ गया.
मुझे अब अपनी उस नाजुक पत्नी के दर्द की कोई परवाह नहीं थी. मैंने अपने हाथों में उसकी चूचियां पकड़ ली थीं और अपनी जांघें उसके कूल्हों के इर्द गिर्द जकड़ कर उछल उछल कर उसकी गांड मार रहा था. अब वह दर्द से बिलखती हुई अपनी मां और बहन को सहायाता के लिये पुकारने लगी. “मां , बचा लो मां, आज मैं जरूर मर जाऊंगी, सीमा, जीजाजी को समझा, मेरी फ़ाड़ देंगे, उनसे कह कि चोद लेम या मैं चूस देती हूं, पर मेरी गांड पर दया करेम.”
उसकी इस याचना से मेरी वासना और दुगनी हो गई और उसकी चूचियां बुरी तरह से कुचलते हुए मैंने उसे ऐसा भोगा कि वह हमेशा याद करेगी. आज भी उसे अपनी सुहागरात याद आती है तो घबरा जाती है. भाभी और सीमा ने उसकी एक न सुनी बल्कि वे दोनों भी मीनल की सकरी कुम्वारी गांड में निकलते घुसते मेरे लन्ड को देखकर ऐसी गरमाईं कि एक दूसरे से लिपट कर सिक्सटी-नाइन करती हुई एक दूसरे की बुर चूसने लगीं.
मैंने आधे घम्टे मीनल की गांड मारी और फ़िर अखिर एक जोर की हुमक के साथ झड़ गया. मीनल अब तक दर्द से बेहोश हो चुकी थी, नहीं तो मेरे उबलते वीर्य से उसकी गांड की जो सिकाई हुई उससे उसे कुछ आराम जरूर मिलता.
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