RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
मीनल को बड़ा आश्चर्य हुआ जब उसका एक चुम्बन लेकर मैंने उसे उठाकर पट लिटा दिया. उसे लगा कि शायद मैं कुतिया स्टाइल में पीछे से चोदने वाला हूं इसलिये वह अपने घुटनों और कोहनियों पर जमने लगी तो मैंने उसे फ़िर नीचे पट लिटा दिया और भाभी और सीमा को इशारा किया.
भाभी ने उसके हाथ पकड़ लिये और सीमा उसके पैरोम पर बैठ गई. मैंने मन भर के अपनी रानी के नितम्ब देखे. काले सांवले पर कसे हुए वे चूतड़ खा जाने को मन होता था. मैने झुक कर उन्हें मसलते हुए चूमना और चाटना शुरू किया और फ़िर उसके गुदा को चूसने लगा. अपनी जीभ उसमें डाली तो बड़ी मुश्किल से गई; बड़ा ही टाइट होल था. उसके सौम्धे स्वाद को मैं अभी चख ही रहा था कि मीनल बोली. “छोड़ो, यह क्या कर रहे हो?”
मैंने कहा.” तुंहारे उपहार को चूम रहा हूं रानी, आखिर अपना इतना अमूल्य अंग एक पत्नी अपने पति को भोगने को दे रही हो तो उसका स्वाद लेना जरूरी है, चोदने के पहले.” मीनल घबरा कर बोली. “नहीं नहीं, ऐसा मत करो, मैं मर जाऊंगी, ममी समझाओ ना अनिल को.” भाभी बोलीं. “उसका हक है बेटी, अब वह तेरा पति है, और पति को सुहागरात में अपनी कुछ तो कुम्वारी चीज़ देना चाहिये, तेरी चूत तो पहले ही चुद चुकी है, हां यह गांड बिलकुल अछूती है जो वह अब मस्ती से मारेगा.”
मीनल अब रोने लगी. जब छूटने की सब कोशिशें बेकार हुईं तो सिसकते हुए लस्त पड़ गई. तब तक मैने उसकी गांड के छेद में मक्खन चुपड़ना शुरू कर दिया था. एक ही उंगली अन्दर जा रही थी. “सचमुच बड़ी कसी कुम्वारी गांड है आपकी बेटी की, बहुत मजा आयेगा इसे चोदने मेम.” मैंने भाभी से कहा.
मेरे लन्ड को सीमा मक्खन लगा रही थी, उसके छोटे छोटे हाथों के स्पर्श से लन्ड और फ़ूल गया था. अपनी उंगलियां चाटते हुए मैं पलन्ग पर चढ कर मीनल के पैरोम के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गया. अपना लाल लाल सूजा सुपाड़ा मैंने अपनी पत्नी के गुदा पर रखा और थोड़ा दबाया. फ़िर भाभी को इशारा किया. भाभी ने अपनी बेटी के मुंह पर हाथ रख दिया. मैंने तुरम्त सुपाड़ा पेलना शुरू किया. घबराकर मीनल ने अपनी गांड का छल्ला सिकोड़ लिया था जिससे गांड का मुंह करीब करीब बन्द हो गया था.
“गांड खोल रानी, ढीली छोड़ नहीं तो तुझे ही तकलीफ़ होगी.” कहकर मैने और दबाया. मेरी शक्ति के आगे उस बेचारी की क्या चलती. गांड को खोलता हुआ मेरा सुपाड़ा आधा धम्स गया. ंईनल का शरीर एकदम कड़ा हो गया और वह छटपटाने लगी. भाभी ने मुझसे पूछा. “फ़ट तो नहीं जायेगी मेरी बच्ची की गांड? जरा संहाल कर बेटा.” मैंने कहा. “घबराइये मत सासू मां, हौले हौले डालूंगा, बस सुपाड़ा अन्दर हो जाए, फ़िर डम्डा तो आराम से जायेगा.और मक्खन इसी लिये लगाया है कि सट से चल जाए.”
मैंने पेलना बन्द करके नीचे देखा. मीनल का गुदा पूरा तन कर फ़ैला हुआ था और उसमें मेरा सुपाड़ा फ़म्सा हुआ था. मैंने थोड़ा और मक्खन उसपर लगाया और मीनल के शांत होने का इम्तजार करने लगा. दो मिनट में जब उसका कसमसाना बन्द हुआ तो मैंने अब कस कर लन्ड को दबाया. पा~म्क्क की आवाज से सुपाड़ा अन्दर हो गया. मीनल हाथ पैर पटकने लगी. उसके दबे मुंह से सीत्कार निकल रहे थे. उस युवती के तड़पने में भी ऐसा मादकपन था कि भाभी और सीमा भी गरम हो उठीं. मैंने झुक कर भाभी को चूम लिया और उनकी चूचियां दबाते हुए मीनल का दर्द कम होने का इम्तजार करने लगा.
कुछ देर बाद मैंने बड़े धीरे धीरे लन्ड अन्दर घुसेड़ना शुरू किया. कस कर फ़म्सा होने की बाद भी मक्खन के कारण लन्ड फ़िसल कर मीनल के चूतड़ोम की गहराई में इम्च इम्च कर जा रहा था. वह ज्यादा छटपटाती तो मैं रुक जाता. आखिर जड़ तक लन्ड खोम्सने के बाद मैं अपनी पत्नी के ऊपर सो गया और हाथ उसके शरीर के इर्द गिर्द जकड़ लिये. झुककर देखा तो उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और बड़ी दयनीय भावना से वह मेरी ओर देख रही थी. मुझे थोड़ी दया आई पर बहुत अच्छा लगा. सुहागरात उस चुदैल को हमेशा याद रहेगी ऐसा मैंने मन ही मन सोचा. मैं यह भी जानता था कि अब वह मेरी मुठ्ठी में रहेगी और हमेशा मुझ से थोड़ा घबरा कर रहेगी.
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