RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
भाभी ने अपने दीर्घ चुम्बन को तोड़कर अपनी बेटी का मुंह छोड़ा तो सीमा फ़िर तैयार थी. बोली “सा~म्री अंकल, मुंह से आह निकल गयी, इतना बड़ा लौड़ा है आपका, अब कुछ नहीं बोलूंगी” कह कर उसने भाभी को हटने को कहा और खुद धीरे धीरे पर पूरी शक्ति से मेरे लन्ड को अन्दर लेते हुए बैठती गई.
बड़ा प्यारा द्रुश्य था; उसकी नन्ही चूत अब पूरी तन कर खुल गयी थी और इन्च इन्च कर मेरे लन्ड को निगल रही थी. उस मखमली टाइट बुर से होने वाले मीठे घर्षण से ऐसा लग रहा था जैसे अभी झड़ जाऊंगा. किसी तरह मैने अपने आप को संहाला और आखिर सीमा पूरी नीचे होकर मेरे लन्ड को जड़ तक अन्दर लेकर मेरे पेट पर बैठ गई.
मीनल ने अपनी बहन की इस सफ़लता पर ताली बजाई और उसके स्तन दबाकर उसे शाबासी दी. भाभी ने तो खुशी से अपनी बेटी के चुम्बन पर चुम्बन ले डाले.”वाह, क्या चुदैल है मेरी बेटी, अनिल, देखा कैसे तुंहारा सोंटा पूरा खा गई. बेटी, तू तो मुझसे भी बड़ी चुदैल बनेगी और मेरा नाम रोशन करेगी.”
सीमा अपनी चूत की इस सफ़ल लन्ड खाने की क्रीड़ा पर अब मुसकरा रही थी. उसे दर्द भी बहुत हो रहा था जैसा उसकी आंखों में झलक आए आंसुओम से साफ़ दिखता था, पर वह कामुक लड़की अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिये बेचैन थी. मुझे अब वह चोदने लगी.
पहले तो वह जरा सी ऊपर नीचे हो रही थी और दर्द से बिलबिलाती भी जाती थी. “उ ऽ ऎ ऽ मां ऽ, मर गई, बहुत दुखता है ममी, हा ऽ य, फ़टी मेरी चूत” पर चोदने नहीं बन्द किया. उसकी सहायता करने को मीनल उस से लिपट कर उसे चूमने लगी और उसकी चूचियां दबाने लगी. सुधा भाभी ने अपनी उंगली उस के क्लिटोरिस पर रखकर उसे रगड़ना शुरू किया. बस वह कुम्वारी बुर पसीजने लगी. जैसे जैसे बुर में पानी छूता, वह लन्ड पर फ़िसलने लगी. इससे उसका दर्द कम हुआ और आनन्द बढ गया. इस तरह सीमा दो मिनट में ऐसी गीली हो गई कि बिना किसी रुकावट के मुझे चोदने लगी.
मैंने उसे मन भर कर चोदने दिया. वह दो बार झड़ी पर अपनी बुर में से मेरा लन्ड नहीं निकाला. मैं भी उस कसी कमसिन बुर से चुदने का मजा लेते लन्ड को ताने चुपचाप पड़ा रहा. आखिर दूसरी बार झड़ने पर सीमा थक कर मेरे ऊपर गिर पड़ी और सुस्ताने लगी. उसका मुंह चूमते हुए मैने इसे बाहों में भर लिया और फ़िर भाभी और मीनल को बाजू में कर के उसे पलटकर अपने नीचे लेता हुआ उस पर चढ गया. वह थोड़ी घबरा गई क्योंकि वह जानती थी कि मेरे सब्र का घड़ा भर चुका है. उसपर चढ कर उसके मुंह को अपने होंठों में दबाकर चूसता हुआ मैं घचाघच उस बच्ची को चोदने लगा.
सीमा अपने दबे मुंह से कराहती हुई अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. मेरा लन्ड अब फ़िर तन कर बड़ा मूसल हो गया था और उसे जरूर दर्द हो रहा होगा. मीनल ने अपनी छोटी बहन को ताना देते हुए कहा. “अब शुरू हुई है तेरी असली चुदाई, अब तक तो खूब मचल रही थी, अब देख अंकल तेरा क्या हाल करते हैं, जैसा मेरा किया था.” भाभी भी अपनी ही बुर में उंगली करते हुए अपनी छोटी बेटी की चुदाई का तमाशा देखती रहीं.
मैंने मन भर कर हचक हचक कर उसे कमसिन लड़की को चोदा और ऐसा झड़ा कि मुझे करीब करीब चक्कर आ गया. इतना सुख बस कभी कभी मिलता है. सीमा को दुखा तो बहुत होगा पर मैंने एक बात गौर की कि इस पूरी चुदाई में उसकी बुर हमेशा गीली रही और सूखी नहीं. याने उसे दर्द के साथ साथ मजा भी खूब आया होगा. सीमा ने भी अपनी आंसू भरी आंखों से मेरी तरफ़ देखा और उलाहना देने के बजाय मुझे चूम लिया. बड़ी होकर यह लड़की पक्की चुदैल होगी ऐसा मैं समझ गया.
झड़ कर मैं तो लुढक कर सो गया, हां नींद लगते लगते मैंने महसूस किया कि मेरे वीर्य के लिये मेरा लन्ड और सीमा की बुर चूसा जा रही है.
पहली रात की धुआंधार चुदाई के बाद सब थक गये थे इसलिये देर तक सोये. मैं दोपहर को आ~म्फ़िस चला गया. रात को आने में देर हो गई. आकर देखा तो लड़कियां सो गई थीं. सुधा भाभी मेरा खाने पर इम्तजार कर रही थीं. उन्होंने मेरा चुम्बन लेते हुए बताया कि दोनों की चूत दुख रही थी. पर दोनों बहुत खुश भी थीं. उस रात मैने भाभी को एक बार चोदा और फ़िर हम दोनों भी सो गये.
दूसरे दिन से चुदाई का एक कार्यक्रम बना दिया गया. सुबह मैं बस एक बार झड़ता था, उन तीनों में से किसी एक के मुंह मेम. उन्होंने दिन भी निश्चित कर लिये थे. मैं अपना लन्ड चुसवाते हुए उन तीनों की बुर का पानी एक एक बार पी लेता था. फ़िर आ~म्फ़िस निकल जाता था. मेरे जाने के बाद भी वे तीनों मां बेटी कुछ देर सम्भोग करती थीं क्योंकि वे चाहे जितना झड़ सकती थीं. फ़िर दोनों लड़कियां भी अपने स्कूल और का~म्लेज को निकल जाती थीं.
आने के बाद सुधा भाभी उनको अनुशासित रखती थीं जिससे रात तक वे सब गर्म हो जायेम. दो तीन घम्टे वे सब सो भी लेती थीं. मैं आ~म्फ़िस से आकर सीधा सो जाता था. रात का खाना खाने ही उठता और फ़िर नौ बजे से हमारी कांअक्रीड़ा शुरू हो जाती थी. शनिवार रविवार छुट्टी होने से हमारा कार्यक्रम जो शुक्रवार रात से चलता वह रविवार देर रात ही खतम होता था. बस सोना, खाना, पीना और सम्भोग यही दिनचर्या थी.
अब मैं लड़कियों को हफ़्ते में दो दो बार चोदता, उससे ज्यादा नहीं. उनकी चूतें आखिर कुम्वारी भी रखना थी. मीनल मंगलवार और शनिवार को चुदती थी. सीमा की कमसिन बुर मैं गुरुवार और रविवार को चोदता था. भाभी तो बहुत बार चुदती थीं. उन मां बेटियों में अब एक दूसरे के प्रति बहुत यौन आकर्षण पैदा हो गया था इसलिये उनमें आपस में सम्भोग तो चलता ही रहता था. सीमा की चूत चूसती सुधा भाभी या फ़िर मीनल को अपनी मां की जांघों में देखकर मुझे बहुत सुखद अनुभूति होती थी. और यह दृश्य देखकर मैं उत्तेजित भी रहता था.
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