Sex kahani पेइंग गेस्ट
06-17-2017, 12:19 PM,
#4
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
मैने हचक हचक कर चोदते हुए कहा. “दो कारण हैं सुधा भाभी, एक यह कि ढीली चूत आराम से काफ़ी देर चोदी जा सकती है, लन्ड जल्दी झड़ता नहीं इसलिये ज्यादा देर मजा आता है, साली सकरी बुर हो तो दो मिनट में लौड़े को अपने घर्षण से झड़ा देती है. दूसरा कारण यह है कि ढीली चूतें बहुत रसीली होती हैं, जरा से मजे में चूने लगती हैं, और जो बुर के पानी के शौकीन हैं मेरी तरह, उन्हें खूब रस चाटने को मिलता है.”
हमारी इन बातों से हम दोनों अब मस्त गरम हो गये थे. एक घंटा भी होने को आया था. चुदाई का बहुत आनंद हम ले चुके थे. मैने अब हचक हचक कर उछल उछल कर कस के सुधा भाभी को चोदना शुरू कर दिया. दस मिनट में जब मैं मस्ती से चिल्लाते हुए झड़ा तो भाभी करीब सात आठ बार स्खलित हो चुकीं थीं. मजा लेने और सुस्ताने के बाद भाभी ने उठकर कपड़े ठीक किये. “अनिल भैया, अब रोज चोदोगे ना मुझे? प्लीज़? बच्चियों के बाहर जाते ही दोपहर को मैं तुंहारे कमरे में आ जाया करूंगी.” मेरा लन्ड आप के ही लिये है भाभी, पर रात को भी आप चुदाएं तो मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी आपकी सेवा करने में.” “ठीक है, बच्चियों के सो जाने के बाद मैं आ जाया करूंगी, पर चुपचाप अंधेरे में ही चोदना पड़ेगा.”
उस दिन से हमारा कामकर्म मस्त चलने लगा. रोज दिन में जब सीमा और मीनल बाहर जाते तो मैं भाभी की चूत चूसता और चोदता. रात को जाग कर मैं भाभी की राह देखता. करीब एक बजे वे आतीं थी क्योंकि लड़कियां कभी कभी सोने में बाराह बजा देतीं थीं. शनिवार और रविवार को बड़ी तकलीफ़ होती थी क्योंकि दोनो लड़कियां घर में रहती थीं. कभी अगर वे सहेलियों के साथ घूमने जातीं, तब हम मौका देख कर फ़टाफ़ट चुदाई कर लेते.
भाभी के पूरे नग्न शरीर को मैने दूसरे ही दिन देख लिया था. भाभी सफ़ेद काटन की ब्रा और चड्डी पहनतीं थीं. शरीर बड़ा गदराया हुआ और मांसल था. झांटों के बाल छोड़ दिये जाएम तो भाभी का बाकी पूरा शरीर बड़ा कोमल और चिकना था. फ़ूले हुए मम्मे मुलायम और गुदाज थे. बहुत बड़े भी नहीं और छोटे भी नहीं, करीब करीब आमों जितने थे. नरम और पिलपिले होकर थोड़े लटकने लगे थे. निपल खूब बड़े बड़े थे, काले जामुनों जैसे. भाभी के अनुसार छोटी सीमा बहुत दिनों तक, करीब चार वर्ष की होने तक उनका दूध पीती थी, छोड़ने के लिये तैयार ही नहीं होती थी. उसीके चूसने से निपल बड़े हो गये थे.

रात को भाभी सिर्फ़ गाउन पहन कर आती थी ताकि जल्दी से उतारा जा सके. रात के अम्धेरे में कुछ दिखता तो नहीं था, पर मैं टटोल उनकी टांगों के बीच लेट जाता था और पहले घंटे भर उनकी चूत चूसता था. मन भर के बुर का रस पीने के बाद मैं फ़िर घंटे भर उन्हें चोदता. सुबह तीन के करीब भाभी तृप्त होकर अपना गाउन पहनती और अपने कमरे में लौट जातीं. बीच में जब भाभी की मासिक पारी शुरू हुई तो मुझे लगा था कि अब दो-तीन दिन नहीं आयेगी. पर बराबर आकर भाभी मेरा लन्ड चूसतीं और मुझे तीन चार बार झड़ा कर ही वापस जाती.
भाभी कभी कभी मेरी फ़रमाइश पर गाजर या ककड़ी से मुट्ठ मार कर दिखातीं. हस्तमैथुन का नजारा दिखकर मुझे पूरा दीवाना करके फ़िर वह रसभरी चिपचिपी गाजर या ककड़ी मुझे खिलाई जाती. एक बार रात को भाभी की चूत चूसी तो उसमें से मीठा चिपचिपा केला निकला. हम्सते हुए भाभी ने बताया कि उसने मेरे कमरे में आने के पहले छिले केले से आधा घंटा मुट्ठ मारी और फ़िर उसे वैसे ही बुर में घुसेड़ कर मुझे चखाने को चली आई. केले और चूतरस का वह मिश्रण मुझे इतना उत्तेजित कर गया कि उस रात मैने लगातार तीन घम्टे तक सुधा भाभीका भोसड़ा चोदा और आखिर सुबह पांच बजे अपने कमरे में जाने दिया.
सिर्फ़ एक मामले में सुधा भाभी ने मेरी एक न सुनी. उनको नंगा देखते समय मैने कई बार उनके मोटे भरे पूरे चूतड़ देखे थे. उस नरम चिकनी गांड को मारने के लिये मैं मरा जा रहा था पर जब भी भाभी से पूछता तो वह साफ़ मना कर देती. सिर्फ़ यह बात छोड़ कर बाकी सब भोग मुझे भाभी करातीं थीं. धीरे धीरे मैं सुधा भाभी के अधेड़ मांसल शरीर का पूरा दीवाना बन चुका था और वह खुद मेरे मस्त लन्ड की आदी हो गई थी.
एक महीना इसी मस्ती में गुजर गया. लड़कियों को भी खुछ भनक पड़ गयी क्योंकि एक दो बार हम पकड़े ही जाने वाले थे. एक बार भाभी किचन में टेबल के सामने बैठ कर पापड़ बेल रही थी. टेबल पूरा चादर से ढका था. मुझे भाभी के चूतरस की प्यास लगी और मैं सीधा टेबल के नीचे घुस कर उनकी साड़ी उठाकर उस में घुस गया और बुर चूसने लगा. भाभी ने साड़ी मेरे शरीर पर डाल दी और मुझे अन्दर छुपा लिया.
सहसा मीनल वहां आ गयी, वह कालेज से जल्दी लौट आयी थी. दरवाजे में खड़ी होकर अपनी मां से वह बात करती रही, साड़ी और चादर से छुपा होने से मैं उसे दिखा नहीं. “ममी तुम हांफ़ क्यों रही हो, चेहरा भी तमतमाया हुआ है?” उसने पूछा. मैने बुर चूसना चालू रखा और चुदासी की मारी बिचारी भाभी भी अपनी जांघों में मेरा सिर दबा मेरे मुंह को हौले हौले चोदती रही और मीनल से बातें भी करती रही. किसी तरह उसने मीनल को वहां से भगाया और फ़िर मेरे मुंह में अपना पानी झड़ाकर मेरी प्यास बुझाई.
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