RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
जब उनका ध्यान अपने हाथ में पकड़े मस्त ९ इम्च के मोटे ताजे लन्ड पर गया तो मानो उसके शरीर में बिजली दौड़ गयी. वह भी मुझे चूमने लगी और देखते ही देखते उसकी वासना ने अब तीव्र रूप ले लिया. वह चश्मे के नीचे से अपनी आंखें मेरी आंखों में डाल के देखने लगी और अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसेड़ दी. जल्द ही सुधा भाभी अपना नरम मुंह खोल कर मेरा मुंह चूसने लगी और अपने हाथों से मेरे लन्ड को मुठियाने लगी. उसका हाथ फ़िर अपनी बुर में चलने लगा.
मैं भी कांओत्तेजना से पागल हो गया था. भाभी के मीठे मुंह को चूम कर मुझे लगा कि इस मुंह से क्यों न अपना लन्ड चुसवाऊम. “भाभी, लन्ड चूसेंगी?” मैने धीरे से पूछा. भाभी ने सिर्फ़ सिर हिलाया और मैने उठ कर खड़े होकर अपना लन्ड उसके हाथ से निकालकर अपने हाथ में ले लिया. बैठी हुई भाभी का मुंह मेरे लन्ड के ठीक सामने था. लन्ड का सूजा हुआ सुपाड़ा सुधा भाभी के गाल पर रगड़ता हुआ मैं बोला. “भाभी, मुंह खोलिये”. उसने चुपचाप अपना मुंह खोल दिया और मैने सुपाड़ा सीधा उसके मुंह में घुसेड़ दिया. भाभी के गाल फ़ूल गये जैसे कोई सेब मुंह में पूरा भर लिया हो.
“चूसिये भाभी, लन्ड चूसिये और मुट्ठ मारना बन्द मत कीजिये, मजा लेती रहिये” भाभी ने मेरी बात मान कर मेरे लन्ड को चूसना शुरू कर दिया. जोर जोर से दो उंगलियों से मुट्ठ मारती हुई वह अब मेरे लन्ड को निगलने की कोशिश करने लगी. मैने भी लन्ड उसके मुंह में धीरे धीरे गहरा पेलना शुरू किया. “लन्ड पूरा निगलिये भाभी, गले तक उतर जाने दीजिये, मैं अब आपके मुंह को चोदना शुरू करने वाला हूं, देखिये क्या मजा आयेगा.” मैने धक्के लगाने शुरू किये और किसी तरह मेरा आधे से ज्यादा लन्ड भाभी के गले तक घुस गया. अब मैने हाथ से उसका सिर पकड़ा और लन्ड जोर से पेलना शुरू किया. एक दो धक्कों में ही लन्ड जड़ तक उसके हलक में उतर गया.
सुधा भाभी का दम घुटने लगा और वह थोड़ी कसमसाई पर मैने उनके गोंगियाने की परवाह न करके उनका सिर पकड़ कर जोर जोर से उनके गले को चोदना शुरू कर दिया. “डरिये नहीं भाभी, कुछ नहीं होगा, चूसती रहिये और मुट्ठ मारती रहिये, मुझे अपने गले को चोदने दीजिये, अभी आपको मस्त मलाई खिलाता हूं.” दोनों हाथों में भाभी का सिर किसी फ़ुटबाल की तरह पकड़ कर मैं खड़ा खड़ा उसका मुंह चोदने लगा.
लन्ड अब भाभी की जीभ और तालू को रगड़ता हुआ उसके गले में अन्दर बाहर हो रहा था. मुंह बन्द करके भाभी भी उसे भरसक चूस रही थी. जिस आसानी से अब भाभीने मेरा पूरा लन्ड निगल लिया था उससे स्पष्ट था कि भाभी को लन्ड चूसने का काफ़ी अनुभव था. अभी भी भाभीने चश्मा पहन रखा था और धक्के मारते समय मेरा पेट उससे टकरा जाता था. मुझे बहुत मजा आया और दस मिनट उस मतवाली नारी का मुंह चोदने के बाद मैं झड़ गया.
मैने तुरंत लन्ड आधा बाहर खींच कर सिर्फ़ सुपाड़ा भाभी के मुंह में रहने दिया. “सुधा भाभी, जीभ पर मेरा वीर्य लीजिये और स्वाद ले लेकर खाइये, आपको मजा आ जायेगा, मेरे लन्ड की मलाई खाने को तो लौंडियां तरसती हैं, आपको खुद ही खिला रहा हूं” कहकर लन्ड को मैने खूब मुठियाया और गाढे सफ़ेद वीर्य का फ़ुहारा भाभी की जीभ पर बरसने लगा. भाभी ने वह चुपचाप निगल लिया, हां उसका हाथ अपनी बुर में और तेज चलने लगा. मेरा लन्ड जब सिमट कर शांत हो गया तो मैने उसे भाभी के होंठों से खींच कर बाहर निकाल लिया.
बुर में उंगली चलने की पुच – पुच – पुच आवाज निकल रही थी. मचली हुई उस बुर की महक भी कमरे मैं फ़ैल गई थी. मेरा दिल उस माल को चाटने के लिये मचल उठा. भाभी का हाथ पकड़ कर मैने खींच लिया और पास से देखा. उंगलियों पर गीला चिपचिपा सफ़ेद शहद सा लगा था. मैने अपने मुंह में लेकर भाभी की उंगलियां चाट लीं.
भाभी अपनी वासना से भरी आंखों से मेरे इस कर्म को देखती रह गई. भाभी की बुर का स्वाद जैसा मैने सोचा था, वैसा ही मादक निकला, थोड़ा कसैला और खटमिट्ठा. “भाभी, आपकी चूत चूसूंगा, आप अपनी जांघें पसार कर आराम से बैठ जाइये.” कामवासना में तड़पती सुधा भाभी तुरंत अपनी टांगें फ़ैला कर बैठ गई. “चूस लो अनिल भैया, मुझे अब यह चुदासी सहन नहीं होती” उसने सिसक कर कराहते हुए कहा.
मैं फ़र्श पर भाभी के पैरोम के बीच बैठ गया. आगे सरक कर अपना मुंह उस रसीली चूत पर जमाने के पहले उसे मन भर कर बिलकुल पास से देखा. पास से तो उस बुर का जो नजारा था वह देख कर मेरा अभी अभी झड़ा लन्ड भी फ़िर तन्नाने लगा. मैने ऐसी रसीली और बड़े बड़े भगोष्ठों वाली बुर बहुत कम देखी थीं क्योंकि ऐसी चूत सिर्फ़ उम्र में बड़ी और खूब चुदी हुई औरतों की ही होती है. सुधा भाभी की घनी झांटें भी बिलकुल काली और घुंघराली थी, मानो किसी छोकरी के सिर के बाल हों. बुर के लाल लाल होंठों को ठीक से चूमने के लिये मुझे वह जुल्फ़ें बाजू में करनी पड़ी. चूत के ढीले ढाले गहरे छेद में से सफ़ेद चिपचिपा पानी रिस रहा था.
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