RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
“अब बताओ तुम्हारा दिन कैसा गया?” रूही ने सायरा से पूछा।
“मैडम! पहले तो मैं बहुत डरी हुई थी पर बाद में बहुत मज़ा आया”, सायरा ने मुसकराते हुए जवाब दिया।
“आज तुमने मुझे खुश कर दिया। ये लो तुम्हारा इनाम”, इतना कहकर रूही ने उसे एक हीरे का पेंडेंट दे दिया और साथ में पाँच हज़ार रुपये।
“मैडम ये क्या मेरा कुँवारापन खोने की कीमत है? मैं कोई वेश्या नहीं हूँ!” सायरा उदास होते हुए बोली।
“तुम वेश्या नहीं हो..... मैं जानती हूँ”, रूही ने नम्रता से कहा, “ये पेंडेंट मैं तुम्हें इसलिये दे रही हूँ कि आज मेरे बेटे ने पहली कुँवारी चूत की चुदाई की है। तुमने उसे लड़के से मर्द बना दिया..... और ये रुपये इसलिये हैं ताकि तुम कुछ अच्छे कपड़े, सैंडल और मेक-अप वगैरह का सामान खरीद सको..... आबिदा और सलमा इसमें तुम्हारी मदद कर देंगी.... अब से इस घर में आओ तो तुम भी इन दोनों की तरह ही टिप-टॉप बन कर आओ।”
“शुक्रिया मैडम! पर ये पेंडेंट तो बहुत कीमती लगता है”, सायरा पेंडेंट को ऊपर से नीचे देखते हुए बोली, “अगर मेरे घर वाले इसे देखेंगे तो समझेंगे कि मैं इसे चुरा के लायी हूँ।”
“तुम इसकी चिंता मत करो! ऐसा नहीं होगा”, रूही हँसते हुए बोली, “आबिदा तुम्हें घर तक छोड़ आयेगी और तुम्हारे घर वालों को बता देगी कि ये रुपये और पेंडेंट मैंने तुम्हें दिया है।”
“चलो सायरा! अब घर चलते हैं”, आबिदा दरवाजे की ओर बढ़ते हुए बोली।
जैसे ही सायरा जाने के लिये मुड़ी, आर्यन ने पूछा, “सायरा! अब हम फिर चुदाई कब करेंगे?”
“शुक्रवार को!” उसने शरमाते हुए कहा और आबिदा के पीछे भाग गयी।
जब आबिदा वापस लौटी तो रूही ने उससे पूछा, “उसके अम्मी-अब्बा से तुमने क्या कहा?”
“यही कि ये आपने उसे आर्यन बाबा के जन्मदिन पर इनाम दिया है”, आबिदा ने जवाब दिया।
“क्या उन्होंने तुम्हारी बात पर विश्वास कर लिया?” रूही ने पूछा।
“हाँ कर लिया... और मुझसे ये भी पूछा कि क्या मुझे भी कोई तोहफ़ा मिला है”, आबिदा हँसी।
“तो तुमने क्या जवाब दिया?” रूही बोली।
“मैंने कहा कि मुझे तो मेरा तोहफ़ा दो दिन पहले ही मिल गया था, है ना आर्यन बाबा?” आबिदा आर्यन की ओर देखते हुए बोली।
दूसरे दिन आयेशा ने प्रीती से वही स्पेशल दवाई माँगी। “तुम्हें क्यों चाहिये?” प्रीती ने पूछा।
“मैं इसे पीकर इसका असर देखना चाहती हूँ”, आयेशा ने जवाब दिया।
“नहीं इसे मत देना! इसकी चूत पहले से ही इतनी भूखी है और अगर इसने ये दवाई पी ली तो ये तो हमारे लंड से चुदवा चुदवाकर हमें मार डालेगी!” सब लड़के चिल्लाये।
“आयेशा! मुझे लगता है कि ये लड़के सही कह रहे हैं। ये दवाई तो लड़की की चूत को गरमाने के लिये है। अल्लाह ने तो तुम्हारी चूत को पहले से ही इतना गरमा रखा है कि तुम्हें इस दवाई की जरूरत नहीं है”, प्रीती ने उसे समझाया।
“तुम लोगों में कोई नहीं चाहता कि मैं भी थोड़ा मज़ा लूँ!” आयेशा ने हँसते हुए शिकायत की।
हमारे अगले दो दिन खूब मौज मस्ती में गुजरे, बल्कि ये कहो कि चुदाई में गुजरे। जब हम सब रूही से विदाई ले रहे थे तो मैंने रूही को हमारे यहाँ आने की दावत दी। “शुक्रिया, मुझे जैसे ही टाईम मिलेगा मैं जरूर आऊँगी”, रूही ने जवाब दिया।
“रूही इस शनिवार को क्यों नहीं आ जाती हो? हम भी सोमवार को अपने घर वापस जाने वाले हैं। अगर आ जाओगी तो आखिरी बार हमारा मिलना हो जायेगा”, जय ने कहा।
“हाँ ये अच्छा रहेगा। फातिमा और आर्यन को भी अपने साथ ले आना”, मैंने कहा।
रूही कुछ देर तक सोचती रही। “ठीक है! रवि भी दो दिन बाद चला जायेगा फिर मैं फ़्री हूँ”, रूही बोली, “ठीक है हम शनिवार कि शाम तक पहुँच जायेंगे।”
जब हमारा सामान गाड़ी की डिक्की में रखा जा रहा था तो मैंने देखा कि आयेशा हम सब के बीच नहीं थी। “ज़ुबैदा! तुम्हें पता है कि आयेशा कहाँ है?” मैंने पूछा।
“वो मुझसे बोली थी कि वो रवि और आर्यन को गुड-बॉय बोल कर आ रही है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“गुड-बॉय करके तो मुझे आधा घंटा हो गया”, रवि ने कहा। इतने मैं आयेशा और आर्यन हँसते हुए आ गये। “हरामी साले, लगता है कि तेरा चुदाई से जी नहीं भरा अभी तक?” रूही ने आर्यन को धीरे से एक थप्पड़ लगाते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“ओह मम्मी! मैं आयेशा को कुछ दे रहा था जिससे वो मुझे याद रखे”, आर्यन ने शर्माते हुए कहा।
“कहीं देने के चक्कर में इसे प्रेगनेंट तो नहीं कर दिया..... जिससे ये तुम्हें ज़िंदगी भर याद रखे?” रूही हँसते हुए बोली।
“आर्यन डरो मत! मैं प्रेगनेंट नहीं होऊँगी पर हाँ मैं तुम्हें हर वक्त हर पल याद रखुँगी”, आयेशा ने उसे कहा।
जब हम घर पहुँचे तो मैंने जय से पूछा, “अच्छा बताओ जब रूही यहाँ आयेगी तो तुम किस तरह की पार्टी करना चाहोगे।”
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