hindi kahani तरक्की का सफ़र
06-13-2017, 09:23 PM,
#72
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
“मैंने मज़ा किरकिरा नहीं किया.... बल्कि तुम्हें तुम्हारे अब्बू से बचा रहा हूँ, अगर तुम्हें ढूँढते हुए वो ऑफिस पहुँच गये और पता चला कि तुम दोपहर में ही चली गयी हो तो तुम्हारी शामत आ जायेगी।”

“हाँ सर... ये.... ये बात तो सही है”, आयेशा बोली। फिर मैंने उसके परों में से उसके ऊँची हील के सैंडल निकाल कर उसे बाथरूम में शॉवर के नीचे बिठा दिया ताकि उसका नशा कुछ कम हो। नहाने के बाद उसने आधा घंटा आराम किया और फिर अपने कपड़े पहन कर जाते हुए चारों लड़कों से बोली, “सही में तुम लोगों के साथ बहुत मज़ा आया..... ऐसा ही कार्यक्रम दोबारा फ़िर रखेंगे।”

“हाँ जरूर!” चारों ने साथ में कहा।

अब अक्सर आयेशा दिन में छुट्टी ले मेरे फ्लैट पर चली जाती और चारों लड़कों से दिल खोल कर चुदवाती।

करीब दस दिन के बाद एक शाम रजनी अपनी एक फ्रैंड फातिमा को ले ऑफिस पहुँची। “राज! ये मेरी कॉलेज की फ्रैंड फातिमा है”, रजनी ने मेरा उससे परिचय कराया।

फातिमा बहुत ही सुंदर थी। पतला बदन, गुलाबी होंठ...... मन करा कि बढ़कर चूस लूँ। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी नहीं थीं पर बनाव अच्छा था। उसने लाइट ब्लू कलर की सलवार कमीज़ और सफ़ेद कलर के बहुत ही ऊँची हील के सैंडल पहन रखे थे। उसकी सुंदरता देखने लायक थी। वो किसी भी टॉप की मॉडल को मात कर सकती थी।

“राज! फातिमा का कहना है कि इसके अंकल चुदाई में तुमसे ज्यादा निपुण हैं और मैं कहती हूँ कि तुम हो...... हमने इसी बात पर शर्त लगायी है”, रजनी ने कहा।

तो मुझे इस सुंदर हूर को चोदने का मौका मिलने वाला है, यही सोच कर मेरा लंड तनने लगा।

“मैं तुम्हें समझाती हूँ कि क्या करना है, सही में मैं जिनकी बात कर रही हूँ वो मेरे अंकल नहीं हैं.... बल्कि वो मेरी अम्मी के प्रेमी हैं और उन्होंने ही मुझे पहली बार चोदा था”, फातिमा बोली। “वो एक हफ़्ते की छुट्टी पर इस शनिवार को आ रहे हैं और मैं चाहती हूँ कि आप भी उसी रोज़ पहुँचें।”

“ठीक है हम लोग पहुँच जायेंगे..... पर मेरी बीवी मेरे साथ होगी”, मैंने कहा।

“बहुत अच्छा, और रजनी ने मुझे बताया कि तुम भी फ़्री सैक्स में विश्वास रखते हो?” फातिमा बोली।

“हाँ! रजनी ने सही कहा है, मैं शनिवार की टिकटों का इंतज़ाम कर लूँगा।”

“एक आखिरी बात! हमारे घर में तुम्हें कईंयों को चोदने को मिलेगा..... जैसे मेरी अम्मी, मैं खुद और हमारी दो नौकरानियाँ। इस हिसाब से तुम चार नई चूतों को चोदोगे और तुम सिर्फ़ प्रीती और रजनी को साथ लेकर आओगे!”

फातिमा थोड़ा हँसते हुए बोली, “इस हिसाब से तुम्हें दो लड़कियों को और साथ लाना होगा.... मेरे अंकल के लिये, जो तुम्हारे लिये कोई मुश्किल काम नहीं होगा।” फातिमा एक दम व्यापारी रीत में बोली।

“ठीक है!!! मैं इंतज़ाम कर लूँगा”, मैंने कहा।

“तो ठीक है..... हम लोग शनिवार को स्टेशन पर मिलेंगे, मैं तुम लोगों के साथ ही चलूँगी”, कहकर फातिमा चली गयी।

रजनी ने पूछा, “किसे साथ लेकर जाने की सोच रहे हो?”

“आयेशा तो पक्की है, और अगर तुम इंतज़ाम कर पाओ तो टीना को लेकर जाना चाहुँगा”, मैंने रजनी की तरफ देखते हुए कहा।

“ठीक है, मैं कोशिश करूँगी”, ये कहकर रजनी भी चली गयी।

बाद में घर पर मैंने प्रीती से बात की तो प्रीती ने घर में सब को हमारे प्रोग्राम के बारे में बताया। “अगर आप इजाज़त दें तो हम सब भी चलना चाहेंगे”, राम ने हमारी बात सुनकर कहा, “इसी बहाने थोड़ा घूमना भी हो जायेगा, जब से आये हैं, घर में ही घुसे हुए हैं।”

“अगर फातिमा को आपत्ति नहीं है तो मैं तैयार हूँ।” मैंने जवाब दिया।

प्रीती ने तुरंत रजनी को फोन लगाकर फातिमा से बात कराने को कहा।

करीब एक घंटे बाद रजनी टीना को लिये घर में दाखिल हुई। टीना की आँखें एक दम सुर्ख लाल हो रही थी।

“ये टीना को क्या हुआ... और ये रो क्यों रही है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“राज तुमसे बात होने के बाद मैंने घर पहुँच कर टीना को सब बताया तो वो खुशी से उछल पड़ी और अपने पापा से इजाज़त लेने गयी, पर अंकल ने एक दम साफ मना कर दिया।” रजनी बोली।

“जब टीना ने पूछा कि पर क्यों पापा!.... तो.... अंकल ने ये कहकर साफ मना कर दिया कि तुम जानना चाहती हो कि मैं क्यों ना बोल रहा हूँ..... जब राज ने तुम्हारी चूत और गाँड मारी तो मैं कुछ नहीं कर पाया और अब तुम चाहती हो कि राज के दोस्त भी तुम्हें चोदें...... नहीं! ये मैं कभी नहीं होने दूँगा।”

“ये सुन टीना बहुत उदास थी और रो रही थी.... इसी लिये मैं इसे यहाँ ले आयी कि कम से कम जाने से पहले एक बार राज से चुदवा लेगी तो इसके मन को ठंडक पड़ जायेगी”, रजनी ने कहा।

“ये तो तुमने ठीक किया पर क्या फातिमा से तुम्हारी बात हो गयी है?” मैंने रजनी से पूछा।

“हाँ! मेरी फातिमा से बात हो गयी है, उसका कहना है कि उनका बंगला काफी बड़ा है और उसे या उसकी अम्मी को कोई परेशानी नहीं होगी”, रजनी ने जवाब दिया।

“रजनी, एक बात बताओ! फातिमा इतनी सुंदर है पर बात करते वक्त इतने ठंडे लहज़े में क्यों बात करती है?” मैंने पूछा।

“ऐसा कुछ नहीं है, बस जब थोड़ा चिंतित होती है तो उसका व्यवहार ऐसा हो जाता है।”

“तब तो ठीक है, नहीं तो मैं तो सोच रहा था कि मुझे बर्फ की सिल्ली के समान चूत में ही अपना लंड पेलना पड़ेगा”, मैंने कहा।

“बर्फ की सिल्ली... मेरी जूती! जब तुम्हारा लंड उसकी चूत में घुसेगा तो तुम्हें लगेगा कि तुम्हारा लंड किसी जलती हुई भट्टी में घुस गया है”, रजनी थोड़ा जोर देती हुई बोली।

उसके बाद मैंने दो बार टीना की जम कर चुदाई की और फिर खाना खाकर वो दोनों चली गयीं।
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