RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
रजनी अपना प्लैन बतानी लगी, “राज! तुम्हें मेरी और मेरी मम्मी की हेल्प करनी होगी, हम दोनों एम-डी से बदला लेना चाहते हैं। राज, तुम्हें एम-डी की दोनों बेटियाँ टीना और रीना की कुँवारी चूत चोदनी होगी। दोनों देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं...... बस एवरेज ही हैं।”
“रजनी, तुम्हारी सहायता के लिये मुझे कुछ कुरबानी देनी होगी..... लगता है!” मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“रजनी! तुम इसकी बातों पे मत जाना, मैं शर्त लगा सकती हूँ कि कुँवारी चूत की बात सुनते ही इसके लंड ने पानी छोड़ दिया होगा”, प्रीती हँसते हुए बोली, “रजनी! राज ऐसा नहीं है! सुंदरता से या गोरे पन से इसे कुछ फ़रक नहीं पड़ता, जब तक उनके पास चूत और गाँड है मरवाने के लिये, क्यों सही है ना राज?”
“तुम सही कह रही हो प्रीती! जब तक उनके पास चूत है मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ता”, मैंने जवाब दिया, “तुम खुद भी तो ऐसी ही हो.... जब तक सामने वाले के पास लंड है चोदने के लिये.... बस चूत में खुजली होने लगती है चुदने के लिये..... फिर वो चाहे एम-डी हो या सड़क पर भीख माँगता भिखारी।”
“ये सब तुम्हारे एम-डी का ही किया-धरा है.... उसने ही मुझे इस दलदल में धकेला है.... और मुझे चुदाई, शराब सिगरेट की लत पड़ गयी.... खैर छोड़ो... तो ठीक है, रजनी! तुम्हें क्या लगता है दोनों लड़कियाँ मान जायेंगी?” प्रीती ने पूछा।
“अभी तो कुछ पक्का सोचा नहीं है पर मैं कोशिश करूँगी कि उनसे ज्यादा से ज्यादा चुदाई की बातें करूँ और फिर बाद में उन्हें चूत चाटना और चूसना सिखा दूँ, फ़िर तैयार करने में आसानी हो जायेगी।”
“हाँ! ये ठीक रहेगा, और अगर मुश्किल आये तो मुझे कहना”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“तुम कैसे मेरी मदद कर सकती हो?” रजनी ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“रजनी! तुम्हें याद है जब मैंने तुम्हें बताया था कि किस तरह एम-डी ने मुझे चोदा था.... तुमने कहा कि अगर मैं चाहती तो ना कर सकती थी, पर मैं चाहते हुए भी उस रात ना, ना कर सकी, कारण: एम-डी ने मुझे कोक में एक ऐसी दवा मिलाकर पिला दी थी जिससे मेरे चूत में खुजली होने लगी, मुझे चुदाई के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा था।”
“मैं उन दोनों को कोक में मिलाकर वही दवा पिला दूँगी जिसके बाद उनकी चूत में इतनी खुजली होगी कि राज का इंतज़ार नहीं करेंगी बल्कि खुद उसके लंड पर चढ़ कर चुदाई करने लगेंगी”, प्रीती ने कहा।
“मुझे विश्वास नहीं होता”, रजनी ने चौंकते हुए पूछा, “क्या तुम्हारे पास वो दवा की शीशी है?”
“हाँ! मैंने २५ शीशी जमा कर रखी हैं, मैं कई बार खुद अपनी ड्रिंक में मिला कर पी लेती हूँ और फिर बहुत मस्त होकर चुदवाती हूँ”, प्रीती ने जवाब दिया।
“तो फिर मैं चाहती हूँ कि आज की रात हम दोनों वो दवा अपनी ड्रिंक्स में मिलाकर पियें, और जब हमारी चूतों में जोरों की खुजली होने लगे तो राज अपने लंड से हमारी खुजली मिटा सकता है”, रजनी मेरे लंड पर हाथ रखते हुए बोली।
“ऑयडिया अच्छा है..... लेकिन मुझे शक है कि राज में ताकत बची होगी खुजली मिटाने की, लेकिन हम अपनी जीभों और अंगुलियों से तो मिटा सकते हैं”, प्रीती बोली।
“हाँ! जीभ से और इससे!” रजनी ने अपने पर्स में से रबड़ का लंड निकाला।
“ओह! तुम इसे साथ लायी हो”, प्रीती नकली लंड को हाथ में लेकर देखने लगी।
“रजनी! मुझे लगता है कि तुम्हें अपनी मम्मी को फोन करके बता देना चाहिये कि आज की रात तुम घर नहीं पहुँचोगी”, प्रीती ने कहा।
रजनी ने घर फोन लगाया और मैंने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया जिससे उसकी बातें सुन सकें।
“मम्मी! मैं रजनी बोल रही हूँ! मैं प्रीती के घर पर हूँ और आज की रात उसी के साथ सोऊँगी.... तुम चिंता मत करना”, रजनी ने कहा।
“प्रीती के साथ सोऊँगी या राज के साथ?” उसकी मम्मी ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“दोनों के साथ!” रजनी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “आपका क्या विचार है?”
“कुछ खास नहीं, आज कि रात मैं अपने काले दोस्त (यानी नकली लंड) के साथ बिताऊँगी।”
“सॉरी मम्मी! आज तुम वो भी नहीं कर पाओगी..... कारण, इस समय प्रीती आपके काले दोस्त को हाथ में पकड़े हुए प्यार से देख रही है”, रजनी ने कहा।
“कितनी मतलबी हो तुम! तुम्हें मेरा जरा भी खयाल नहीं आया?” योगिता ने कहा, “लगता है मुझे राजू {एम-डी} के पास जा कर उसे मिन्नत करके अपनी चूत और गाँड की प्यास बुझानी पड़ेगी। ठीक है देखा जायेगा...... तुम मज़े लो”, कहकर योगिता ने फोन रख दिया।
“प्रीती! मैं तैयार हूँ”, रजनी ने कहा।
“रजनी! मैं चाहती हूँ कि हम पहले अपने कपड़े उतार कर नंगे हो जायें और फिर स्पेशल ड्रिंक पियें जिससे जब हमारी चूत में खुजली हो रही हो तो कपड़े निकालने का झंझट ना रहे”, प्रीती ने सलाह दी।
यही उन दोनों ने किया। अपने हाई-हील सैंडलों को छोड़कर दोनों ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और उन्होंने व्हिस्की के नीट पैग बनाकर उसमें दवा की एक-एक शीशी मिला ली और पीने बैठ गयीं। मैंने भी बिना दवा का व्हिस्की का पैग बनाया और उन्हें देखने लगा और उनकी चूत में खुजली होने का इंतज़ार करने लगा।
आधे घंटे में ही व्हिस्की और दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया। अब वो अपनी चूत घिस रही थीं। थोड़ी देर में ही वो इतनी गर्मा गयी कि दोनों ने मुझे पकड़ कर मेरे कपड़े फाड़ डाले और मुझे नंगा कर दिया।
प्रीती ने सच कहा था। दो घंटे में ही लंड का पानी खत्म हो चुका था और उसमें उठने की बिल्कुल जान नहीं थी, चाहे डंडे के जोर से या पैसे के जोर से। इस का एहसास होते ही वो एक दूसरे की चूत चाटने लगीं।
मैं थक कर सो गया। रात में मेरी नींद खुली तो मुझे उन दोनों की सिसकरियाँ सुनायी दे रही थी। अभी रात बाकी थी। मैंने देखा कि रजनी नकली लंड को पकड़े प्रीती की गुलाबी चूत के अंदर बाहर कर रही थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
उन्हें देख कर मेरे लौड़े में जान आनी शुरू हो गयी। पर मैंने चोदने कि कोशिश नहीं की और वापस लेट गया और सोचने लगा।
|