RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
जब होश आया तो देखा कि एम-डी अपनी बाँहें फैलाये मेरी तरफ बढ़ रहा था। “ओह मॉय राज! तुम कितने अच्छे हो, तुमने स्पेशियली अपनी बहनों को अपनी बीवी द्वारा बुलवाया जिससे हम उन्हें चोद के मज़ा ले सकें....” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। मैं कुछ कहना चाहता था पर मेरी आवाज़ गले में ही घुट कर रह गयी।
“कुछ कहने की जरूरत नहीं! हमें प्रीती ने सब समझा दिया था। हम उनकी कुँवारी चूत नहीं चोद पाये तो क्या.... पर कुँवारी गाँड तो चोद ही ली। वैसे उनकी चूत बहुत टाइट थी, हमें खूब मज़ा आया। तुम्हारी इस उदारता और नेक काम के लिये तुम्हें इनाम मिलना चाहिये, क्यों महेश क्या कहते हो?”
हमेशा की तरह महेश ने एम-डी की हाँ में हाँ मिलायी और फिर दोनों चले गये।
अब सब कुछ शीशे की तरह साफ़ था। प्रीती ने ही सब किया था किंतु उसने अंजू और मंजू को चुदाई के लिये तैयार कैसे किया? एम-डी ने कहा कि दोनों कुँवारी नहीं थी और उस दिन ही जब मैंने उनसे बॉय फ्रैंड्स के बारे में पूछा था तो उन्होंने कहा था कि वो वैसी लड़कियाँ नहीं हैं? कई सवाल मेरे दिमाग में रह-रह कर आ रहे थे।
इतने में मेरी सोच टूटी। अंजू और मंजू कमरे से सिर्फ सैंडल पहने ही नंगी ही बाहर आ रही थी और उनकी चूत से पानी टपक रहा था। दोनों हँसते हुए आयी और प्रीती से पूछा, “क्यों भाभी कैसा रहा?” दोनों की चाल और हाव-भाव से साफ पता चल रहा था कि उन दोनों ने भी शराब पी हुई थी।
“शानदार!!! बल्कि मैं कहुँगी लाजवाब”, प्रीती भी खुशी से बोली, “मंजू यहाँ आओ... मुझे तुम्हारी गाँड देखने दो... कहीं इसमें से खून तो नहीं आ रहा, जब गाँड मारने की बात आती है तो महेश का भरोसा नहीं कर सकती।”
मंजू झुक कर अपनी गाँड प्रीती को दिखाने लगी। “शुक्र है!!! कुछ खास नहीं हुआ है, थोड़ी सी सूजन है... वो कुछ घंटों में ठीक हो जायेगी”, प्रीती ने उसकी गाँड को परखते हुए कहा और सिगरेट का धुँआ उसकी गाँड में छोड़ दिया।
“मुझे भी यही लगता है, कि कुछ लगाने की जरूरत नहीं है, इतनी सारी दवाई जो अंदर गयी हुई है”, मंजू ने हँसते हुए कहा, “भैया आपको हमारी चुदाई कैसी लगी?”
ओह गॉड कितनी सुंदर थी दोनों। उनके उभरे और भरे हुए मम्मे और उस पर काले निप्पल गज़ब ढा रहे थे। उनकी बिना बालों की चूत ऐसे निखर रही थी क्या कहना। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि प्रीती के कहने पर ही उन्होंने अपनी झाँटें साफ़ करी होंगी। मुझे शर्म आ रही है ये कहते हुए कि उनका गोरा बदन देख कर मेरा लंड भी एक दम तन कर खड़ा हो गया था।
“चुप रहो और जाके कपड़े पहनो”, मैं चिल्ला कर बोला।
“देखो इसके तने हुए लंड को”, प्रीती ने मेरे खड़े लंड की और इशारा करते हुए कहा, “जाओ जा कर कपड़े पहनो इसके पहले कि तुम्हारे भैया का सब्र टूटे और ये तुम्हें चोदने लगे।”
“मुझे बुरा नहीं लगेगा”, अंजू ने कहा, “आओ भैया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, भाभी ने बताया है कि इन्होंने जितने भी लंड का स्वाद चखा है उसमें तुम्हारा लंड सबसे जानदार और अच्छा है।”
“हाँ भैया! हम दोनों को चोदो... हम तैयार हैं...” मंजू ने भी कहा।
“इससे पहले कि मैं तुम दोनों की पिटायी करूँ, यहाँ से दफ़ा हो जाओ और जा कर कपड़े पहनो...” मैं जोर से चिल्लाया। वो दोनों घबरा कर रूम में भाग गयीं।
थोड़ी देर बाद वो अपने कपड़े पहन कर आ गयी और सोफ़े पर बैठ गयी। मैंने प्रीती की तरफ देखते हुए कहा, “प्रीती!!! अब इनकार मत करना! मैं समझ गया हूँ कि इस सब के पीछे तुम्हारा हाथ है।”
“इनकार कौन कर रहा है, बल्कि मैं तो खुश हूँ कि मैंने अकेले ही ये सब कर दिखाया”, उसने जवाब दिया।
“लेकिन प्रीती तुमने ऐसा क्यों किया? झगड़ा तुम्हारे मेरे बीच था, उसमें मेरी बहनों को घसीटने की क्या जरूरत थी?” मैंने सवाल किया।
“जरूरत थी राज!!! मैं भी तुम्हें उतना ही दुख देना चाहती थी जितना तुमने मुझे दिया था। मुझे मालूम है तुम अपनी बहनों से बहुत प्यार करते हो, इसलिये जो आज हुआ इसी से मेरा बदला पूरा हो सकता था”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन क्यों प्रीती, क्यों?” मैं धीरे से बोला।
“भाभी!!! हम बतायें या आप बतायेंगी?” अंजू ने पूछा।
“नहीं अंजू! मुझे ही इसका आनंद लेने दो, तुम लोग भी बैठ जाओ... इस कहानी को सुनने में थोड़ा वक्त लगेगा...” प्रीती ने कहा और अपने लिये एक ड्रिंक बना कर और सिगरेट सुलगा कर बैठ गयी।
!!! क्रमशः !!!
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