RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
“क्या हो रहा है वहाँ?” मैंने घबरा के पूछा।
“क्या हो रहा है? अरे यार, चुदाई हो रही और क्या...” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“किसके साथ?” मैं चिल्लाया।
“एम-डी और महेश के साथ और किस के साथ...” प्रीती ने सिगरेट का धुँआ छोड़ते हुए जवाब दिया।
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। एम-डी और महेश मेरी बहनों को चोद रहे थे। “उनकी हिम्मत कैसे हुई उन्हें चोदने की। मुझे उन्हें रोकना होगा....” मैं जोर से चिल्लाते हुए खुले दरवाजे की और बढ़ा।
“अगर मैं तुम्हारी जगह होती तो उन्हें नहीं रोकती”, प्रीती ने कहा।
“क्या मतलब है तुम्हारा? मैं यूँ ही चुपचाप खड़ा रहूँ और देखता रहूँ अपनी बहनों की बरबदी को?” मैंने गुस्से में कहा।
“यह कोई तुम्हारे लिये नयी बात नहीं है, इसके पहले भी तुम चुपचाप खड़े अपनी बीवी को दूसरे मर्दों से चुदवाते देख चुके हो, लेकिन मेरा ये मतलब नहीं है....” उसने मुझ पर ताना कसते हुए कहा।
“तो तुम्हारा क्या मतलब है?” मैंने पूछा।
“ज़रा ठंडे दिमाग से सोचो, अगर तुमने एम-डी को उसके इस आनंद में बीच में ही रोक दिया तो ना सिर्फ तुम अपनी नौकरी से हाथ धो बैठोगे बल्कि इस नियापेनसिआ रोड का फ्लैट भी हाथ से जाता रहेगा जिसे तुमने अपनी बीवी की चूत कुर्बान कर के पाया है...” प्रीती ने समझाया।
हाँ... प्रीती सच कह रही थी। मैंने सोचा, अगर एम-डी चाहे तो ये सब कर सकता था। हे भगवान! मैं क्या करूँ? क्या ऐसे ही हाथ पर हाथ धरे बैठा रहूँ। अपनी लाचारी देख मुझे रुलाई फ़ूट पड़ी।
“अब तुम कर भी क्या सकते हो...? उन दोनों का लंड तुम्हारी दोनों बहनों कि चूत में घुस चुका है। ये सच्चाई है और इसे बदला नहीं जा सकता, मैं तो कहती हूँ कि उन लोगों का काम खत्म होने तक इंतज़ार करो...” प्रीती ने सलाह दी। प्रीती के हाथ में ड्रिंक का ग्लास था और वो सिगरेट के कश लेते हुए धीरे-धीरे ड्रिंक सिप कर रही थी।
“ओह गॉड ये सब क्या हो रहा है?” मैंने अपने दोनों हाथ हवा में उठाते हुए कहा।
तभी मुझे अंजू की मादकता भरी आवाज़ सुनाई दी, “हाँ डालो.... और जोर से डालो... हाँआंआँआँआँ इसी तरह चोदते रहो.... बहुत अच्छा लग रहा है... हाँ मेरा छूटने वाला है....।”
अपने कानों पर हाथ रखते हुए मैंने प्रीती से कहा, “मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है”, और मैं सोफ़े पर बैठ गया। मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे।
इतनी देर में मुझे अंजू की तरह ही मंजू कि भी आवज़ सुनाई दी। वो भी मादकता में चिल्ला रही थी, “और ज़ोर से चोदो मुझे... हाँ इसी तरह हाँआंआंआं... बहुत अच्छा लग रहा है.... और तेजी से डालो अपना लंड... आआआआआआआआआआहहहह मेरा भी छूटने वाला है।”
“वाह क्या टाईट चूत है.... हाँ! ले मेरे लंड को अपनी चूत में... पूरा समा ले और मेरा सारा पानी पी ले...” कहकर महेश ने उसकी चूत में अपना पानी छोड़ दिया।
मैं चुपचाप बैठा अपने आप को कोस रहा था। ना मुझे माँ ने जनम दिया होता, ना मैं यहाँ नौकरी करने आता, ना मेरी इच्छायें बढ़ती और ना ही मैं प्रीती के साथ ऐसा व्यवहार करता। इससे तो अच्छा था कि मैं पैदा होते ही मर जाता।
“राज सुना! एम-डी अब अंजू की गाँड मारना चाहता है....” प्रीती चुलबुलाती हुई बोली।
“अंजू! अब तुम घोड़ी बन जाओ..., मैं अब तुम्हारी गाँड मारूँगा”, एम-डी ने कहा।
“नहीं! मैं तुम्हें अपनी गाँड नहीं मारने दूँगी, सुना है बहुत दर्द होता है...” अंजू ने जवाब दिया।
“गाँड तो तुम्हें मरवानी पड़ेगी! हाँ, तुम्हें दर्द होगा तो मैं रुक जाऊँगा”, एम-डी ने उत्तर दिया।
“प्रॉमिस???”
“प्रॉमिस!!! कसम ले लो”, कहकर एम-डी ने अपना लंड अंजू की गाँड में घुसा दिया।
“ओहहहह प्लीज़ रुक जाइये! मुझे बहुत दर्द हो रहा है”, अंजू दर्द से कराही।
“थोड़ी देर की बात है जानू, मेरा लंड तुम्हारी गाँड में घुस रहा है”, कहकर एम-डी ने पूरा लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।
“ऊऊऊऊऊईईईईईईईई माँ.... मर गयी....” अंजू जोर से चिल्लायी।
“डरो मत! मेरा लंड पूरा का पूरा तुम्हारी गाँड में है, सब ठीक हो जायेगा”, एम-डी जोर से कहकर अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।
“राज... डरो मत! अंजू की गाँड तो बहुत पहले फट चुकी थी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“अब तुम्हारी बारी है गाँड में लंड लेने की....” मैंने महेश को मंजू से कहते सुना, “चलो बिस्तर पर पेट के बल लेट जाओ।”
“नहीं मैं तुम्हें अपना इतना मोटा लंड मेरी गाँड में नहीं डालने दूँगी.... बचाओ बचाओ... भाभी!!! मुझे बचाओ.... ” मंजू जोर से चिल्लायी।
“जितना चिल्लाना है जोर से चिल्ला, आज तेरी प्यारी भाभी भी तुझे बचाने के लिये नहीं आ सकती, तुम्हारी भाभी ने तुम्हारी गाँड मारने की पूरी कीमत मुझसे वसूल की है। मैं आज तुम्हारी गाँड मार के रहुँगा, चाहे तुम राज़ी हो या न हो। अगर खुशी से मरवाओगी तो तुझे मज़ा भी आयेगा और दर्द भी कम होगा”, महेश ने कहा।
क्या प्रीती ने इस सब के पैसे लिये हैं? मैं फिर समझ गया कि इन सब में प्रीती का ही हाथ है।
“ठीक है... जरा धीरे-धीरे करना, और जब मैं कहूँ तो रुक जाना”, मंजू ने महेश से विनती करते हुए कहा।
“ठीक है तुम जैसा कहोगी... वैसा ही करूँगा”, कहकर महेश अपना लंड मंजू की गाँड पर रगड़ने लगा।
“देखो राज! अब मंजू की गाँड भी फटने वाली है... ये फटी...... फटी...” प्रीती ड्रिंक पीते हुए मज़े ले-ले कर बोल रही थी।
“ओहहहहह मर गयी.... हरामी साले निकाल ले.... बहुत दर्द हो रहा है”, मंजू जोर से चिल्लायी, पर उसकी आवाज़ ना सुन कर महेश ने एक करारा धक्का मार कर अपना पूरा लंड मंजू की गाँड में घुसा दिया।
अंजू की मादक सिसकरियाँ और मंजू की दर्द भरी चीखों ने मेरा दिमाग सुन्न कर दिया था। मुझे कुछ होश नहीं था कि मैं कब तक यूँ ही बैठा सब सुनता रहा।
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