RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
एम-डी ने विषय को बदलते हुए कहा, “राज मैं जानता हूँ कि जिस फ्लैट में तुम रह रहे हो, छोटा है। क्या तुम नियापेनसिआ रोड पर कंपनी के फ्लैट में रहना चाहोगे और तुम्हें किराया भी नहीं देना पड़ेगा। ”
नियापेनसिआ रोड, मुंबई के सबसे पॉश इलाके में फ्लैट! मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ, “हाँ सर! क्यों नहीं रहना चाहुँगा?” मैंने खुशी से जवाब दिया।
“राज! ये तरक्की, ये फ्लैट सब कुछ तुम्हारा हो सकता है, अगर तुम एम-डी पर एक एहसान कर दो”, महेश ने कहा।
“एम-डी पर एहसान? सर अगर मेरे वश में हुआ तो एम-डी के लिये मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ”, मैंने ग्लास में से स्कॉच का बड़ा घूँट भरते हुए कहा।
“महेश! राज का ग्लास भरो”, एम-डी ने कहा “सच तो ये है राज कि जिस दिन से मैंने तुम्हारी बीवी प्रीती को देखा है, मैं रात को सो नहीं पाया हूँ। मैं उसके ही सपने देखता हूँ। तुम्हें अपनी बीवी को तैयार करते हुए उसे हम दोनों को सौंपना है। फिर तुम्हें तरक्की भी मिल जायेगी और फ्लैट भी। हम लोग तुम्हारी दूसरे तरीके से भी मदद करेंगे।”
“हम दोनों को?” मैं समझा नहीं।
“हाँ! हम दोनों को”, एम-डी ने कनफर्म किया।
मैं एक दम सकते की हालत में था। क्या कहूँ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने अपना ग्लास एक ही झटके में खाली कर दिया। ओह गॉड! ये लोग मेरी बीवी पर नज़र रखते हैं, ये दोनों उसे चोदना चाहते है। मुझे लगा सारा आसमान मेरे सिर पर गिर पड़ेगा।
“ये आआआ...प क्या कह रहे हैं सर”, मैंने थोड़ा गुस्से में, पर नीची आवाज़ में कहा, “क्या आप दोनों मेरी बीवी को चोदना चाहते हैं।”
“मैं नहीं कहता था सर! अपना राज समझदार लड़का है, हाँ! राज हम तुम्हारी बीवी प्रीती को चोदना चाहते हैं”, महेश ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।
“नहीं! मैं ऐसा नहीं कर सकता”, मैंने सुबकते हुए कहा, “प्रीती बहुत सीधी लड़की है, वो भगवान को बहुत मानती है और डरती है और सबसे बड़ी बात, वो पतिव्रता नारी है। वो नहीं मानेगी।”
“हम भी भगवान से डरने वालों में से हैं”, एम-डी ने कहा।
“राज! ठंडे दिमाग से सोचो, तुम तरक्की के साथ दुनिया का सब सुख और आराम पा सकते हो। कंपनी के साथ रहते हुए तुम कहाँ से कहाँ पहुँच सकते हो”, एम-डी ने कहा।
“ओह गॉड! ये मैं कहाँ फँस गया”, मैं सोच रहा था। मेरे अंदर का शैतान मुझे भड़का रहा था कि राज हाँ कर दे! इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा! कितनी औरतें हैं जो अपने पति के होते हुए दूसरों से चुदवाती हैं। उनके पति को पता भी नहीं चल पाता क्योंकि चूत में तो कोई फ़रक नहीं आता। फिर तुम्हें तो उसकी चूत हासिल रहेगी ही। और सोचो नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में रहना..., वो सब सुख और आराम। मगर मेरे अंदर का इनसान मुझे मना कर रहा था कि ये सब पाप है और मुझे उक्सा रहा था राज मना कर दे...! अभी और इसी वक्त!
“वो नहीं मानेगी सर! मैं जानता हूँ”, मैंने जवाब दिया।
“कैसे नहीं मानेगी? अगर वो पतिव्रता है तो तुम्हारा हुक्म कभी नहीं टालेगी”, एम-डी ने कहा।
“सर आप समझते क्यों नहीं...? मैं जानता हूँ।”
“महेश! तुमने राज को वो फोटो दिखाये कि नहीं?” कहकर एम-डी ने मेरी बात काटी।
महेश ने अपने पॉकेट से एक लिफाफा निकाल कर मुझे पकड़ा दिया। मैंने देखा उस लिफ़ाफ़े में मेरी और मेरी तीनों एसिस्टेंट्स की चुदाई की तसवीरें थी। मुझे नहीं मालूम कि कैसे और किसने ये तसवीरें खींची थीं। मैं सकते का हालत में था। “आपको ये कहाँ से मिली और आपको किसने बताया?” मैंने डरते हुए पूछा।
“किसी ने नहीं! हमारी कंपनी में कौन क्या कर रहा है, ये जानना हमारा फ़र्ज़ है”, एम-डी ने जवाब दिया।
मेरा दिमाग चकरा रहा था। अगर ये फोटो प्रीती ने देख लिये तो वो जरूर मुझे छोड़ के चली जायेगी। “इनका आप क्या करेंगे?” मैंने पूछा।
“ये तुम पर निर्भर करता है, या तो प्रीती को तैयार करो और अपनी तरक्की, फ्लैट और ये सब तसवीरें, नैगेटिव के साथ तुम्हें हासिल हो जायेंगी या फिर कल सुबह ये तसवीरें तुम्हारी बीवी को मिल जायेंगी और तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। ये फैसला तुम्हें करना है।”
मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने अपना मन पक्का कर लिया और कुर्सी पर से खड़ा होते हुए कहा, “ठीक है सर! मैं प्रीती को तैयार कर लूँगा।”
“तुम काफी समझदार हो राज! बहुत तरक्की करोगे भविष्य में”, एम-डी ने मेरी पीठ थापथपायी।
“तुम्हें विश्वास है... तुम ये काम कर लोगे?” महेश ने पूछा।
“हाँ सर! मैं कर लूँगा, आप मुझे सिर्फ़ समय और तारीख बतायें”, मैंने जवाब दिया।
“ठीक है! शनिवार की शाम हम तुम्हारे घर ड्रिंक्स लेने के बहाने आयेंगे, पर तुम्हारी बीवी का मज़ा लेंगे”, एम-डी ने कहा।
“हाँ सर! ये ठीक रहेगा! प्रीती को होटल में चोदने की बजाये उसी के बिस्तर पर चोदा जाये तो बढ़िया है”, महेश ने कहा।
मैंने उनसे विदा ली और इस दुविधा के साथ अपने घर पहुँचा कि अब प्रीती को कैसे तैयार करूँगा। ड्रिंक्स ज्यादा होने कि वजह से हमारी बात नहीं हो पायी और मैं सो गया।
सुबह प्रीती ने पूछा, “राज कल रात तुम्हारी मीटिंग किस विषय में थी?”
“ऐसे ही ऑफिस की नॉर्मल मीटिंग थी...” मैं चाह कर भी उसे कुछ कह नहीं पाया। “हाँ मैंने सैटरडे को एम-डी और महेश को ड्रिंक्स पर बुलाया है, ध्यान रखना”, मैंने प्रीती से कहा।
“उन्हें घर पर क्यों बुलाया? तुम्हें मालूम है ना वो मुझे अच्छे नहीं लगते”, प्रीती ने नाराज़गी जाहिर की।
“प्रीती! वो मेरे बॉस हैं, और तुम्हें उनसे अच्छे से बिहेव करना है। जब उन्होंने घर आने को कहा तो क्या मैं उन्हें मना कर सकता था?” मैंने प्रीती को समझाया।
बुधवार की शाम कुछ लोग ड्रिंक्स का सामान दे गये, जो महेश ने भिजवाया था।
बास्केट में स्कॉच और कोक देख कर प्रीती ने पूछा, “ये सब क्या है?”
“बॉस के लिये स्कॉच और कोक...” मैंने जवाब दिया।
जब मैंने महेश से पूछा कि कोक क्यों भिजवायी तो महेश ने कहा, “राज ये स्पेशल तरह की कोक है, इसमें उत्तेजना की दवाई मिलायी हुई है। इसे प्रीती को पिलाना, उसका दिमाग काम करना बंद कर देगा।”
पूरा हफ्ता बीत गया और शनिवार आ गया। पर मैं प्रीती को कुछ नहीं बता पाया। मैंने सब कुछ भगवान के सहारे छोड़ दिया।
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