RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील अपने कमरे में बैठ सोच रहा था कि सोनल को क्या हो गया है . उसने कभी सोनल को वासनात्मक दृष्टि से नही देखा था. उसके लिए वो सिर्फ़ एक प्यारी बहन थी. सोनल को किस तरहा समझाए उसे कुछ भी पल्ले नही पड़ रहा था – सोचते सोचते वो इस निर्णय पे पहुँच गया कि उसे हॉस्टिल चले जाना चाहिए – सोनल की नज़रों से दूर हो जाएगा तो ये भूत जो उसके सर पे चढ़ा है अपने आप उतर जाएगा. और सुनील ने सागर से भी बात करने की सोची कि सोनल की शादी करवा देनी चाहिए. एमडी तो शादी के बाद भी होज़ायगी.
आधी रात को सागर और सुमन घर पहुँच गये – दोनो बच्चे अपने कमरों में सो चुके थे – जैसा कि उन्होने सोचा. सागर ने अपनी चाभी से घर खोला.
दोनो लगेज को वहीं हाल में छोड़ अपने कमरे में चले गये. सागर तो सो गया पर सुमन को नींद नही आ रही थी. सागर के सोने के बाद उसके कदम सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गये. लाइट जल रही थी. यानी सुनील जाग रहा था – सुमन की ममता चीत्कार भर उठी – उसकी वजह से आज उसका बेटा तकलीफ़ में था. सुमन ने दरवाजा खोलने की कोशिश करी पर वो तो सुनील ने अंदर से बंद कर रखा था.
पहले तो सुमन ने सोचा कि वापस अपने कमरे में चली जाए – पता नही क्यूँ उसने हल्के से दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया.
अंदर – आवाज़ आई – दी अभी तक सोई नही क्या. प्लीज़ सो जाओ.
सुमन : बेटा मैं हूँ – दरवाजा खोलो.
सुमन की आवाज़ सुन सुनील सकते में आ गया. वो तो सुबह तड़के निकल जाना चाहता था – उसे बिल्कुल भी उम्मीद नही थी कि उसके माँ बाप अपना हॉलिडे बीच में ही कॅन्सल करके आ जाएँगे.
'मोम इट्स टू लेट आप थके होगे सो जाइए – सुबह बात करेंगे.'
‘मैने कहा दरवाजा खोलो’
मरता क्या ना करता सुनील को दरवाजा खोलना ही पड़ा.
सुनील ने दरवाजा खोला और नज़रें झुकाए पीछे हट गया.
सुमन अंदर आ गयी और गहरी नज़रों से सुनील को देखने लगी – माँ की नज़रें फॉरन पहचान गयी कि उसका बेटा तकलीफ़ में है.
सुमन ने इस वक़्त एक पारदर्शी नाइटी पहन रखी थी – जिसमे से उसका गदराया हुआ जिस्म झलक रहा था.
कुछ देर सुनील को निहारने के बाद सुमन आगे बड़ी और सुनील को अपनी बाँहों में भर उसके माथे पे चुंबन अंकित करने लगी और फिर उसके गालों को चूमने लगी.
सुमन सुनील से चिपकी हुई थी और उसके मम्मे सुनील की छाती में धँस रहे थे नाइटी इतनी पतली थी कि सुनील को अपनी नंगी छाती पे सीधे अपने माँ के मम्मो का अहसास होने लगा . वो सिहर उठा कुछ बोलना चाहता था पर बोल नही पा रहा था.
‘मैने अपने बेटे को बहुत तकलीफ़ दी ना’ सुमन चूमते हुए बोली.
सुनील हैरान रह गया – उसे तो सपने में भी इस बात की उम्मीद नही थी कि उसकी माँ इस तरहा बात की शुरुआत करेगी.
‘त्त्त्तक्लीफ को कॉन सी तकलीफ़ – आप मुझे कभी तकलीफ़ दे ही नही सकती’ सुनील हकलाते हुए बोला.
'बेटा मुझे नींद नही आ रही क्या तेरे साथ सो जाउ – शायद नींद आ जाए.'
सुनील के लिए तो ये एक बॉम्ब के धमाके से कम ना था – उसके दिमाग़ में फोन पे सुनी हुई बातें घूमने लगी
‘मोम आप यहाँ सोना चाहती हैं’सुनील हैरानी से बोला.
‘क्यूँ अपने बेटे के पास नही सो सकती क्या?’
‘न…न…आ मेरा मतलब था कि आपको पापा के पास ही रहना चाहिए था –अगर रात को उन्हें कुछ ज़रूरत हो तो….’
‘बच्चे नही हैं वो और आज मेरा मन अपने बेटे के साथ रहने का कर रहा है- तुझे कोई इतराज़ है क्या?’
‘इतराज़ !! नहीं मोम बेशक आप यहाँ सो जाइए’
‘चल तू भी लेट जा’
सुनील जा के बिस्तर पे लेट गया और सुमन भी उसके साथ लेट गयी.
‘सुनील – तुझ से कुछ बात करनी थी’
सुनील को फोन की बातें याद आने लगी . वो चुप रहा और अपनी आँखें बंद कर ली.
‘बेटे आज जो मैं तुझे बताने जा रही हूँ – वो बस अपने तक ही रखना’
‘मोम अगर आप मोसा जी के बारे में बात करना चाहती हो – तो मुझे कुछ नही सुनना – मेरे डॅड नीचे सो रहे हैं और वही मेरे डॅड हैं – मैं और कुछ नही सुनना चाहता’
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