RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील उसकी तड़प को महसूस कर रहा था, उस प्यार को महसूस कर रहा था जो एक बहन का भाई के लिए होता है - वो ये नही जान पाया था कि सोनल की नज़रों में उसकी शख्सियत कुछ बदल सी गयी थी - वो कुछ कुछ सुनील को दूसरी नज़रों से देखने लगी थी.
सुनील ने अपने बंधन को ढीला किया - कुछ नही हुआ यार - एक तूफान आया था और आ के चला गया. चिल. चाय नही पिलाएगी.
सोनल सुनील की आँखों में आँखें डाल के देखने लगी - तू मुझ से कुछ छुपा रहा है - बताएगा या फिर सीधा माँ से पूछूँ.
सुनील हिल के रह गया . अब बोलता भी तो क्या बोलता.
'यार सर दर्द कर रहा है पहले चाइ पीला फिर बात करते हैं.'
'ह्म्म - छोड़ूँगी नही जब तक सच नही बोलेगा' ये कहती हुई वो किचन में चली गयी.
सुनील वहाँ हाल में बैठा सोचने लगा - क्या बहाना लगाए सोनल के सामने.
उधर...................................................
सुमन कमरे से बाहर निकली तो समर उसके पीछे लपका.
‘अरे यार हुआ क्या है – कुछ बोलोगि भी – यूँ इतना एक दम नाराज़ क्यूँ हो गयी हो?’
‘सब तुम्हारी करनी है – मुझे आज ही वापस जाना होगा.’
‘मतलब?’
सुमन सागर के कमरे के बाहर खड़ी हो के बेल बजाने ही वाली थी कि अंदर से सविता की सिसकियों की आवाज़ आने लगी.
सुमन सोचने लगी कि पहले सागर को मज़े लेने दूं फिर बात करूँगी. वो फिर से अपने कमरे में आ कर बैठ गयी.
समर भी साथ में आया और उसका हाथ पकड़ उसे अपनी गोद में खींच लिया.
‘क्या बात है बोलो?’
सुमन रो पड़ी.
‘अरे बोलो भी यार. ऐसी भी क्या परेशानी हो गयी'
‘सुनील को सब पता चल गया. तुम्हें मना भी किया था, फिर भी तुमने सुना नही और शुरू हो गये.’
‘ओह! ये बात तो सीरीयस है – मैं ऐसा नही चाहता था – पर अभी तुम सागर को मत बताना – वो बहुत एमोशनल है’
‘नही मैं सागर से कुछ नही छुपा सकती’
‘आज मत बताओ – पहले तुम सुनील को समझाओ – उसे अपनी तरफ खिँचो – फिर बता देना’
‘तुम पागल तो नही हो गये – तुम चाहते हो मैं अपने बेटे के साथ सो जाउ- ये नामुमकिन है’
समर सुमन के गालों पे किस करते हुए बोला
‘तुमने मुझ से वादा किया था उसे ट्रेन करने का – और अब तो ये और भी ज़रूरी हो गया है – वो सेक्स को अच्छी तरहा समझे – तभी उसे समझ में आएगा हमारी स्वापिंग की वजह – और उसे दुख भी नही होगा तब’
‘ वो वो तो उस वक़्त चुदते हुए कुछ भी कह दिया सुन लिया – इसका मतलब ये तो नही कि सच में अपने बेटे के साथ…..- पागल हो क्या तुम…..’
‘अच्छा फिर झाड़ते हुए सुनील का नाम क्यूँ लिया था….. क्यूँ सोचने लगी थी कि वो तुम्हें चोद रहा है’
‘उफफफ्फ़ समझते क्यूँ नही – तुम बार बार उसका नाम ले रहे थे तो मेरे जेहन में वो आ गया.’
‘झूठ बोल रही हो तुम …. उसके अंदर तुम्हें मैं दिखाई देता हूँ …. तभी तुमने उसके बारे में सोचना शुरू किया ---- हम तो साल में एक बार ही अब मिलते हैं ---- उसके ज़रिए मेरी कमी पूरी हो जाएगी’
‘क्या बकवास कर रहे हो ---- ऐसा कुछ नही होने वाला ---- चलो वो दोनो फ्री हो गये होंगे…….’
‘अरे थोड़ा मस्ती करने दो उनको – जल्दी क्या है…..’
‘मेरी जान पे बनी पड़ी है और तुम……’
‘कुछ नही होता….. वो समझदार लड़का है --- बस तुम्हें उसपे थोड़ा ध्यान देना होगा’
समर ने सुमन के होंठों से अपने होंठ चिपका दिए.
‘उफफफफफफफ्फ़ तुउुुउउम्म्म्मममम मेरा मूड नही है’ – सुमन अपने होंठ छुड़ाते हुए बोली.
तभी साथ वाले कमरे से सविता की चीख की आवाज़ सुनाई दी – जैसे किसी ने उसकी गान्ड फाड़ दी हो.
‘तुम्हारा मूड ही तो ठीक करना चाहता हूँ – वो दोनो तो खूब मज़े ले रहे हैं’ समर फिर सुमन के होंठों को जाकड़ लेता है और साथ ही उसके मम्मे को मसल्ने लगता है.
‘उम्म्म्म उउफफफफफफफ्फ़ ‘ सुमन समझ चुकी थी कि सागर और सविता जल्दी फ्री नही होने वाले वो समर का साथ नही दे रही थी पर उसे अब रोक भी नही रही थी.
‘सोचो जब इन गुलाबी होंठों को सुनील चूमेगा – तब तुम्हें कैसा लगेगा’ एक पल के लिए अपने होंठ हटा के समर बोला और फिर ज़ोर से सुमन के होंठ चूमने लग गया.
‘अहह’ सुमन सिसक पड़ी – उसके दिमाग़ में तो वैसे भी सुनील था. पर इस वक़्त वो खुद को सुनील के बारे में सोचने के लिए रोकने लगी और अपना ध्यान समर पे लगाने लगी. समर के चेहरे को अपनी आँखों में बसाने की कोशिश करने लगी---- पर साथ ही साथ उसे समर और सुनील का चेहरा मिलता हुआ नज़र आया क्यूंकी सुनील बिल्कुल ऐसा हो गया था जैसा समर जवानी के दिनो में था.
‘ओह्ह्ह मोम तुम्हारे होंठ कितने मीठे हैं – दिल करता है बस इन्हें चूस्ता रहूं’
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