RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन सोचने लगी क्या क्या सुना होगा सुनील ने - उसकी सिसकियाँ - कहीं उसे पता तो नही चल गया कि समर ही उसका बाप है. उफफफफ्फ़ - क्या हाल हो रहा होगा सुनील का ? क्या होगा सागर का हाल जब उसे ये पता चलेगा कि सुनील जान गया है कि वो सागर का बेटा नही.
क्या सागर को बताऊ या नही? नही उसे नही बता सकती वो सुनील से बहुत प्यार करता है- बिखर जाएगा वो. मुझे सुनील को ही संभालना पड़ेगा.
वो उठ के पॅकिंग करने लगी - उसे जल्द से जल्द अब सुनील के पास पहुँचना था.
समर ने पूछने की कोशिश करी पर सुमन ने कोई जवाब नही दिया - उसकी आँखों से आग बरस रही थी. वो अपना बॅग पॅक कर सागर के कमरे की तरफ बढ़ गयी.
इधर.....................................
पार्क में बैठा सुनील - अपनी जिंदगी के कड़वे सच के बारे में सोच रहा था.
अपने से ज़यादा उसे सागर और सोनल की चिंता हो रही थी.
क्या गुज़रेगी सोनल पे जब उसे इस कड़वी सच्चाई का पता चलेगा?
क्या होगा डॅड का - लेकिन डॅड शायद जानते हैं - पता नही सच क्या है?
लेकिन मैं - मैं क्या करूँ - क्या अब भी मेरी नज़रों में डॅड के लिए वही प्यार , वही श्रद्धा होगी जो हुआ करती थी? अब हर पल जब भी डॅड सामने आएँगे - मुझे यही लगेगा - मैं इनका बेटा नही.
उफफफ्फ़ ये क्या हो रहा है मेरे साथ.
दूसरे ही पल उसके दिमाग़ में सुमन की कामोउत्तेजना से भरी हुई सिसकियाँ गूंजने लगी --------उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ न्न् ंननणणनूऊऊऊऊऊओ - उसने अपने कानो पे हाथ रख लिए जैसे उन सिसकियों को रोक रहा हो कि उसे सुनाई ना दें. पर वो तो दिमाग़ में घुस चुकी थी- वहाँ से कैसे निकालता.
फिर उसके कानो में समर की बात घूमी जब वो सुमन को कह रहा था सुनील को ट्रेन करने के लिए. ऐसा कैसे कोई सोच सकता है - कोई कैसे एक माँ को बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए कह सकता है. किस टाइप का इंसान है समर - उफफफफफफ्फ़ कैसे इंसान का खून दौड़ रहा है मेरी रगों में.
घिंन आती है मुझे उस इंसान पर - जो होने को मेरा बाप है और मेरी ही माँ को उकसा रहा था मुझे....... न्न्णैनो नूऊऊऊऊऊऊ
डॅम इट मॅन! वॉट'स गोयिंग ऑन?
वहाँ घर में बैठी सोनल - परेशान हो रही थी - सुनील कहाँ गया - क्या हुआ है उसे? क्या हुआ है उसके और माँ के बीच?
पार्क में एक कोने में एक मंदिर बना हुआ था वहाँ से भगवान कृशन के बारे में उपदेश की आवाज़े आने लगी और सुनील के दिमाग़ में कृशन की दो माँ - यशोदा - जिसने पाला था और देवकी जिसने जनम दिया था का वर्णन गूंजने लगा.
मगर उसके साथ उल्टा था सागर ने पिता का पूरा प्रेम उसे दिया था चाहे जनम देने वाला समर था. वो प्रेम वो देखभाल जो सागर ने दी थी उसके आगे समर तो कहीं भी नही था.
और उसकी माँ तो उसके साथ थी. उसकी नज़रों के सामने वो दिन आ गये - जब वो लड़ते हुए ज़ख्मी हो गया था - क्या हालत थी सागर की और सुमन की - दिमाग़ से परतें हटने लगी और उसने इस राज को राज ही रखने का फ़ैसला ले लिया- वरना पूरा परिवार खंडित हो जाता.
दिल में कुछ सकून सा आया और वो घर की तरफ बढ़ गया.
जैसे ही वो घर में घुसा सोनल उसके साथ चिपक गयी और उसके चेहरे को चुंबनो से भरती हुई बार बार एक ही सवाल पूछने लगी - क्या हुआ था मेरी जान को? क्यूँ रोया था तू ? मैं हूँ ना सब ठीक हो जाएगा.
भाव विहल हो सुनील की बाहें सोनल को कस्ति चली गयी . सोनल तो सुनील को छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी उसकी आँखों से आँसू बहने शुरू हो चुके थे. बस वो यही जानना चाहती थी कि सुनील की आँखों में आँसू क्यूँ थे.
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