RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
समर ने पलटी मार के सुमन को अपने नीचे ले लिया और उसकी जाँघो को मसल्ते हुए उसकी स्कर्ट उपर करने लगा.
‘क्या कर रहे हो’ सुमन उसके कान में बोली.
‘कुछ नही’
‘अब कमरे में चलो ना – बहुत देर हो चुकी है यहाँ’
‘अभी थोड़ी देर और रूको’ समर उसकी स्कर्ट को पूरा उपर तक खिच चुका था पर फिर भी गान्ड के नीचे दबी होने की वजह से पूरी उपर तक नही हुई थी.
‘थोड़ा उपर हो ना’
‘ना प्लीज़ यहाँ नही’
‘थोड़ी देर बस’
‘ना तुम यही शुरू हो जाओगे’
‘प्लीज़ मेरे लिए’
‘उफ्फ – मनोगे नगी’ सुमन ने अपनी गान्ड उपर उठा ली और समर ने फट से उसकी स्कर्ट उपर कर डाली . समर के कहने पे उसने स्कर्ट के नीचे पैंटी नही पहनी थी.
जैसे ही स्कर्ट उपर हुई सुमन को अपनी गान्ड पे ठंडी ठंडी रेत चुबने लगी. समर उसे इतना गरम कर चुका था कि उसकी चूत रस टपका रही थी.
समर थोड़ा उपर उठा और उसने अपनी शॉर्ट नीचे कर अपना लंड बाहर निकाल लिया. और सुमन की चूत पे रगड़ने लगा.
आआआहह
सुमन सिसक पड़ी.
'प्लीज़ चलो ना' कहने को सुमन मना कर रही थी पर उसकी जांघे खुलती चली गयी ताकि समर को बीच में आने के लिए आसानी हो'
'बस थोड़ी देर मेरी जान' कहते हुए समर ने झटका मार अपना लंड उसकी चूत में घुसा डाला.
सुमन बहुत ज़ोर से चीखती पर उसने अपने होंठ दाँतों में दबा के अपनी चीख रोक ली. उसकी चूत गीली थी पर समर का लंड मोटा था और हर बार सुमन को चीखने पे मजबूर कर देता था.
समर के धक्के तेज हो गये और सुमन ने अपने दाँत समर के कंधे पे गढ़ा दिए.
समर को भी दर्द महसूस हुआ पर जो नशा इस वक़्त उसपे चढ़ चुका था उसके आगे इस दर्द की कोई अहमियत नही थी.
सुमन ने अपनी टाँगें समर के गिर्द लपेट ली ताकि वो ज़यादा ज़ोर के धक्के ना लगा पाए पर साथ ही अपनी गान्ड भी उछालने लगी.
अहह उूुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफ्फ़ ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मीमममममममाआआआअ
सुमन की सिसकियों में तेज़ी आ गयी और 5 मिनट में ही दोनो एक साथ झाड़ गये.
खुले में चुदाई का आनंद और पकड़े जाने का डर - ये इतना रोमांच भर चुका था दोनो के अंदर की ज़यादा देर ना टिक पाए.
जब साँसे संभली तो सुमन ने प्यार भरी एक चपत समर को लगा दी.
'कर ली ना अपने मन की- चलो अब सारा जिस्म रेत से भर गया है.'
दोनो ने अपने कपड़े पहने और अपने रूम की तरफ बढ़ गये.
यहाँ सुमन खुले में अपने जीजा से चुदवा रही थी वहाँ उसकी बेटी सोनल सो नही पा रही थी.
जब से उसने नींद में सुनील को देखा था उसके साथ बिल्कुल उसी पोज़ में जो फिल्म में था उसकी बेचैनी बढ़ चुकी थी. कितने ही लड़के उसपे जान छिड़कते थे उनमें से एक आध सोनल को पसंद भी था पर सोनल के अवचेतन मस्तिष्क में सिर्फ़ और सिर्फ़ सुनील ही समाया हुआ था.
कैसे बार बार सुनील उसके जहन में आ जाता ये सोच कर वो बहुत परेशान हो गयी थी. इस वक़्त उसे सुमन की कमी बहुत खलने लगी थी.
सारी रात आँखों में ही गुजर गयी.
सुबह के 5 बज गये – सारी रात सोनल सो ना सकी – अब इस वक़्त क्या नींद आती – वो अपने रूम में बने बाथरूम में फ्रेश होने चली गयी और एक दूसरी नाइटी पहन ली जो थोड़ी सी ट्रॅन्स्परेंट थी. जाने क्यूँ सोनल ने नीचे ब्रा नही पहनी.
वो किचन में जा के चाइ बनाना लगी खुद के लिए और सुनील के लिए.
चाइ बनाके उसने दो कप में डाली और ले कर सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी.
सोनल के गीले बालों से अभी भी पानी की बूँदें टपक रही थी.
सुनील एक शॉर्ट पहने हुए गहरी नींद में था – उसने गर्मी की वजह से बनियान तक नही पहनी थी. सोनल ने चाइ के कप पास टेबल पे रखा और सुनील को देखने लगी. उसकी चौड़ी छाती और काले काले घुँगरले बाल. बाप रे कितने बाल हैं इसकी छाती पे बिल्कुल रीछ लग रहा है. हां होगा भी क्यूँ नही किसी रीछ से कम कहाँ है कितनी ताक़त है जिस्म में .
सोनल वहीं उसके पास बिस्तर पे बैठ गयी और बड़े प्यार से सुनील को देखने लगी -
और उसकी छाती पे हाथ फेरने लगी – एक अजीब सी लज़्ज़त थी इस वक़्त सोनल की आँखों में – बिल्कुल ऐसे जैसे कोई लड़की पहली बार अपने सपनो के राजकुमार को देख रही हो.
सोनल को शरारत सूझी तो उसने अपने चेहरे को सुनील के चेहरे के थोड़ा उपर किया और उसके बालों से टपकती बूँदें सुनील के चेहरे पे गिरने लगी.
सुनील जाने क्यूँ नींद में मुस्कुरा उठा शायद कोई सपना देख रहा था और बंद आखों से ही उसने सोनल को जाकड़ के अपने उपर खींच लिया.
‘ऊऊऊऊुुुुुुुुुऊउक्ककककककककचह’ सोनल चीख पड़ी.
सुनील ने झट से आँखें खोली और देखा कि उसने सोनल को खुद से भींच रखा है. फट से उसके हाथ अलग हो गये- वो बोखला गया – दी – दी – आप आप….
सोनल उसके उपर से हट गयी – पर इस थोड़े वक़्त में उसने सुनील की बाँहों के कसाव को महसूस कर लिया था. उसके मम्मे सुनील की छाती पे दब गये थे और ये अहसास एक मीठा मीठा दर्द दे गया था उसे. उसका चेहरा शर्म के मारे लाल सुर्ख पड़ गया था.
सोनल को वहाँ बैठना अब मुश्किल लग रहा था.
‘वो…वो… चाइ लाई थी तेरे लिए’
सुनील इतना घबरा गया था कि सीधा उठ के बाथरूम में घुस गया और सोचने लगा – ऐसा आज तक नही हुआ – आज क्यूँ ऐसा हुआ--- वो खुद को लानंत भेजने लगा – क्या सोच रही होगी सोनल उसके बारे में.
सोनल के दो मन हो गये वहीं बैठे – या अपनी चाइ ले के चली जाए.
दिमाग़ बोलता चल उठ और जा – दिल बोलता नही बैठ.
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समर और सुमन जब बीच से चुदाई कर के वापस लोटे तो सागर के कमरे से सविता की ज़ोर ज़ोर से सिसकियों की आवाज़ आ रही थी. खिड़की का परदा थोड़ा हिला हुआ था तो दोनो वहीं खड़े हो के अंदर का सीन देखने लगे.
'अहह म्म्म्म.मममममाआआआआ' तभी सविता की चीख सुनाई दी.
अंदर सागर ने उसकी गान्ड में लंड घुसा रखा था.
आह म्म्मामआ उउउफफफ्फ़ ईईईईईईई आराम से हहाआआऐययईईईईईई
तभी समर की नज़र अंदर कमरे में बाल्कनी की तरफ पड़ी - उसने सुमन को कुछ इशारा किया और वो दोनो अपने कमरे की तरफ बढ़ गये.
सुमन समझ गयी थी कि अब समर उसकी गान्ड मारे बिना नही रहेगा.
समर और सुमन जब रूम मे घुस्से साथ वाले रूम से सविता की सिसकियाँ अभी भी सुनाई दे रही थी.
समर : सूमी चल बाल्कनी से देखते हैं दोनो को.
सुमन : चहिईीई --- मैं नहाने जा रही हूँ सारा बदन रेत से भर गया है – बड़ी इरिटेशन हो रही है.
सुमन बाथ रूम में घुस गई और शवर के नीचे खड़ी हो कर अपने कपड़े उतारने लगी. सुमन ने दरवाजा बंद नही किया था. अगर समर भी बाथरूम में घुसता तो सुमन को कोई परेशानी नही थी.
अपनी बहन की सिसकियाँ सुन वो फिर से गरम होने लगी थी और उसके हाथ अपने जिस्म पे घूमने लगे थे.
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