RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
जब तक रूबी बाथरूम से निकलती माँ आ चुकी थी. रूबी अपनी माँ से बोल अपनी सहेली के यहाँ चली गयी. उसने रमण से बिकुल भी बात नही करी.
रूबी शाम को देर से आई और खाना खा के अपने रूम में बंद हो गयी. जब दोनो के माँ बाप सो गये तो रमण ने बहुत कोशिश करी की रूबी रूम खोलदे, पर उसने कोई जवाब तक नही दिया. अंदर बैठी वो आँसू बहा रही थी – उसे रमण से ये उम्मीद ना थी कि वो उसे छोड़ किसी और के बारे में सोचने लगेगा और वो भी बड़ी मासी की बेटी सोनल के बारे में.
मन मसोसता हुआ रमण अपने कमरे में चला गया – सारी रात वो सो नही पाया और यही सोचता रहा कैसे रूबी को मनाए. वो अपने आप को गालियाँ दे रहा था कि क्यूँ उसके मुँह से सोनल का नाम निकल गया.
रूबी भी एमबीबीएस पढ़ रही थी पर मुंबई में और उसकी और सुनील की उम्र लगभग बराबर थी बस कुछ दिनो का ही फ़र्क था और यही अंतर था रमण और सोनल की उम्र में. सोनल और रमण दोनो डॉक्टर बन चुके थे. रमण तो आगे एमडी करने लग गया था पर सोनल ने तो सुनील की देखभाल के लिए अपना साल जाया कर दिया था.
इनकी माँ आपस में सग़ी बहने थी पहले सभी देल्ही में रहती थे पर बाद में रमण और रूबी का परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया था. जब भी गर्मी की छुट्टियाँ होती तो या तो सुमन का परिवार मुंबई जाता या संगीता ( सुमन की छोटी बहन) का परिवार देल्ही आता.
चारों भाई बहन में अच्छी दोस्ती थी और एक दूसरे का खूब ख़याल रखते थे. आज जब रमण के मुँह से रूबी ने सोनल के बारे में सुना तो उसका तन मन दोनो जल गया. वो तो रमण के साथ अपनी पूरी जिंदगी जीने का सपना लेटी थी. कोई रात ऐसी ना थी जब वो आने वाले कल के बारे में ना सोचती – एक तरहा से रूबी ने रमण को अपना भावी पति ही समझ रखा था और उसे यकीन था कि रमण भी उसे भावी पत्नी के रूप में देखता है.
उसके सारे सपने आज धूल में मिल गये थे. कोई बच्ची तो थी नही जो इतना भी ना समझती कि उसे चोद्ते वक़्त रमण के ख़यालों में सोनल थी जिस्म रूबी का था पर ख़यालों में रमण सोनल को चोद रहा था. और ये रूबी कभी नही बर्दाश्त कर सकती थी.
अपने बिस्तर पे लेटी आँसू बहाती रूबी उन यादों में खो गयी जब रमण उसकी जिंदगी में एक पुरुष बनके आ गया जिसमे वो अपना सब कुछ देखने लगी – जिसे अपने दिल के मन-मंदिर में वो स्थान दे दिया जो लड़की सिर्फ़ अपने पति को देती है.
दो साल पहले की वो रात जब मम्मी पापा कुछ दिनो के लिए बाहर गये हुए थे तो दोनो भाई बहन अकेले घर में रह गये थे क्यूंकी दोनो ही उनके साथ नही जा सकते थे क्यूंकी पढ़ाई का बहुत नुकसान होता.
मोम डॅड को गये दो दिन हो चुके थे, तीसरे दिन रमण अपने दोस्तों के साथ एक पार्टी में गया था और जब वापस लोटा तो नशे में धुत था. उस रात………रूबी लड़खड़ाते हुए रमण को सहारा दे उसके बेडरूम तक ले गयी. रमण उसके साथ जोंक की तरहा चिपका हुआ था और रूबी को उसे संभालना बहुत मुश्किल पड़ रहा था.
किसी तरहा वो रमण को उसके बिस्तर तक ले गयी और जब वो उसे बिस्तर पे लिटाने लगी रमण के पंजे उसके उरोज़ पे कस गये कुछ पल के लिए. रूबी को ज़ोर का झटका लगा क्योंकि पहली बार उसे एक मर्द के हाथों का अहसास अपने उरोज़ पे हुआ था. उसके जिस्म में बिजली सी कोंध गयी – होंठों से चीख निकलते निकलते बची. रमण बिस्तर पे लूड़क गया और उसके मुँह से धीमे से निकला – लव यू रूबी – फिर वो नींद के आगोश में चला गया.
रूबी काँपती टाँगों से अपने कमरे में गयी और अपने बिस्तर पे लेट गयी. रमण के हाथों का अहसास अब भी उसे अपने उरोज़ पे महसूस हो रहा था और रमण के मुँह से निकले अल्फ़ाज़ – लव यू रूबी – उसके कानो में हथौड़े की तरहा बज रहे थे. – ये लव यू – एक भाई बहन के बीच प्यार को दर्शा रहा था या फिर एक मर्द और एक औरत के बीच.
रूबी बहुत परेशान हो गयी – उसे ख्वाब में भी ये गुमान ना था कि रमण उसे बहन की तरहा नही एक लड़की की तरहा देखता है.
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