RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
रजनी की साँसे तेज हो गयी दिल की धड़कन बढ़ गयी. उसने झुक के सुनील के होंठों पे अपने होंठ सटा दिए और फिर एक दम हट के कुर्सी पे बैठ गयी. उसका चेहरा पूरा लाल सुर्ख था.
सुनील और रजनी दोनो ही नही जानते थे कि दो आँखें इन्हें देख रही थी और उनमे काफ़ी गुस्सा आ गया था.
इधर रजनी कुर्सी पे बैठती है उधर सुमन चाइ ले कर कमरे में आ जाती है.
चाइ पीते वक़्त इधर उधर की बातें होती रहती हैं और रजनी अगले दिन का आने को कह चली जाती है.
सुमन दूसरे कामो में लग जाती है और सोनल सुनील के पास आ के बिस्तर पे बैठ जाती है.
गीले बालों से टपकती बूंदे जो कभी उसके गालों पे गिरती तो कभी उसके उरोजो की घाटी में . गुलाबी चेहरा इस वक़्त गुस्से से लाल सुर्ख था. उसने रजनी को सुनील का चुंबन लेते देख लिया था.
वैसे तो दोनो भाई बहन एक दूसरे को पूरी स्पेस देते थे कभी पर्सनल मामलों में टाँग नही अड़ाते थे पर आज जब रजनी ने सुनील को किस किया तो सोनल जाने क्यूँ बर्दाश्त नही कर पाई.
सुनील ने सोनल को बताया कि रजनी रोज आएगी और क्लासस की रेकॉर्डिंग देके जाएगी तो सोनल अंदर ही अंदर और जल गयी कि रजनी अब रोज सुनील के साथ वक़्त बिताएगी.
सोनल : तू चिंता मत कर वो आए या ना आए मैं तुझे रोज पढ़ाउंगी – तेरा कोर्स साथ साथ चलेगा और मेरी भी रिविषन होती रहेगी. पर अभी कुछ दिन रेस्ट कर ज़ोर मत डाल खुद पे.
सुनील सोनल के चेहरे की तरफ ही देख रहा था. गालों पे पानी की बूंदे बहुत प्यारी लग रही थी पर आँखों में कुछ था जो सुनील समझ नही पा रहा था और सोनल की आवाज़ में भी कुछ तल्खी थी जो उसने आज तक नही देखी थी.
सुनील : दी बात क्या है? कुछ उखड़ी सी लग रही हो.
सोनल अपने दिल की बात छुपा जाती है ‘ ना कुछ नही – बस यूँ ही गुस्सा चढ़ गया था तेरा कितना नुकसान हो रहा है ना और वो भी मेरी वजह से’
सुनील : किसने कहा मेरा कोई नुकसान हो रहा है. और तुम ये उटपटांग क्या सोचने लग गयी हो.
सोनल : यार मैं सोच रही थी कि अगर तू ना होता तो मेरा क्या हश्र हुआ होता.
आज सोनल ने सुनील को पहली बार यार बोला था. लेकिन सुनील ने इस पर कोई ध्यान नही दिया.
सुनील : अब दुबारा ऐसी कोई बात बोली तो कभी बात नही करूँगा.
सोनल मुस्कुराते हुए अपने कान पकड़ लेती है ‘ सॉरी बाबा अब नही बोलूँगी’
और सोनल सुनील की छाती पे अपना सर रख देती है.
एक अजीब सा सकुन मिलता है सोनल को और सुनील प्यार से उसके सर पे हाथ फेरने लगता है.
तभी सागर आता है और सोनल पहले से ही ठीक होके बैठ जाती है.
अगले दिन रजनी शाम को पहुँच गयी और सुनील को अब तक हुई पढ़ाई के बारे में नोट्स देते हुए समझाने लगी.
जाने क्यूँ सोनल को रजनी का आना अच्छा नही लगा दिल तो किया कि बाहर चली जाए – पर उस दिन दोनो का चुंबन देख वो अब दोनो को तन्हा नही छोड़ना चाहती थी.
अंदर ही जलती हुई वो दोनो के पास बैठी रही.
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