RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल ने सोनालिका के कंधों पे सर टिका दिया था और उसके सहारे वो बाहर निकली अब तक उसे होश ना रहा था कि वो कहाँ जा रही है बस कदम चल रहे थे किसी तरहा. सोनल को कोई होश ना था जब सोनालिका ने उसे कार में धकेला.
इधर कामया ने मार पिटाई देखी उसने लगातार तीन फोन करे – पहला एक प्रोफेसर को जो हॉस्टिल में ही रहता था- दूसरा पोलीस को और तीसरा सोनल के घर.
रंजीत के दोस्तों ने जब रंजीत को पिट देखा तो वो फिर सुनील पे टूट पड़े. इस वक़्त सुनील पागल हो चुका था दर्द क्या होता है वो भूल चुका था उसे बस अपनी बहन को बचाना था.
वो तीनो से लड़ता रहा किसी को कार तक ना पहुँचने दिया.
जिस प्रोफेसर को कामया ने फोन किया था वो हॉस्टिल से कुछ लड़के ले वहाँ पहुँचा तब तक सुनील बहुत ज़ख्मी हो चुका था. वो लड़के अब रंजीत और उसके साथियों पे पिल पड़े – मदद मिलती देख सुनील को राहत पहुँची उसने सोनल को अपनी कार में किसी तरहा डाला और ज़ख्मी हालत में कार ले भागा. कार सीधा उसके घर के दरवाजे पे जा के रुकी और उसका सर स्टियरिंग व्हील पे गिर गया जिससे लगातार हॉर्न बजने लगा – वो बेहोश हो चुका था.
पोलीस के आने से पहले रंजीत और उसके साथी किसी तरहा जान बचा के भाग गये सोनालिका भी मोके का फ़ायदा उठा के गायब हो गयी.
रंजीत को तो पहचान लिया गया था इसलिए प्रोफेसर और बाकी लड़कों ने उसका हुलिया पोलीस को दे दिया. बाकी दोनो ने अपने चेहरे पे नक़ाब ओढ़ रखा था इसलिए पहचाने ना जा सके..
इधर सोनल की माँ कॉलेज की तरफ निकल चुकी थी और उसके डॅड हॉस्पिटल से कॉलेज की तरफ निकल चुके थे, घर पे एक नोकर ही था जो बहुत पुराना था और बुजुर्ग था. वो काफ़ी टाइम से इनके यहाँ नोकरी करता था.
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