RE: Chudai Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
कामया सुनील का नंबर अपने मोबाइल में सेव कर लेती है.
कामया : वैसे ये लफडा है क्या- तू तो जानती है मेरी सोनल से कुछ ज़यादा दोस्ती नही है – फिर वो क्यूँ मेरे साथ रहेगी.
आरषि : दी वो सुनील को किसी ने बताया है कि कुछ लड़के आज सोनल के साथ कुछ गड़बड़ करनेवाले हैं. इसलिए सुनील ने रिक्वेस्ट करी है कि आप सोनल के साथ रहो उसपे नज़र रखो और कुछ भी गड़बड़ लगे तो उसे मिस कॉल मार दो.
कामया : ह्म्म देख कोशिश करूँगी – बाकी देखते हैं क्या होता है.
आरषि : थॅंक्स दी. लव यू ( और वो कामया के गले लग जाती है)
इधर आरषि अपनी बहन को सोनल के साथ चिपके रहने के लिए समझा रही थी उधर रंजीत अपनी प्लॅनिंग कर रहा था.
सोनालिका के जाने के बाद ऊस्तम और शंकर उसके खास दोस्त पहुँच गये.
रंजीत : सुनो तुम दोनो – पार्टी में हम में से कोई भी सोनल के आसपास नही मंडराएगा. पार्टी में हम उसे ओवरलुक करेंगे.
ऊस्तम : क्या यार यही तो मोका है अंजान बनते हुए उसके जिस्म के लम्स का अहसास लेने के लिए.
रंजीत : शंकर समझा इस चूतिए को – भोंसड़ी के अगर उसके आसपास्स मंडराते हुए दिखे तो शक़ हम पे जाएगा – उसके पास सिर्फ़ सोनालिका रहेगी जो उसे कोक में वोड्का और आफ्रोडीज़िक की डोज देती रहेगी. हमारा काम पार्टी में सिर्फ़ सोनालिका को कोक के तयार ग्लास देने का है.
अंड तुम साले कुछ ना कुछ गड़बड़ कर दो गे पार्टी में. सोनालिका और सोनल को मैं हॅंडल करूँगा तुम दोनो पार्टी शुरू होने के आधे घंटे बाद बाहर निकल जाओगे और वॅन ले कर एक दम कॉलेज के गेट के पास ला कर इधर उधर हो जाओगे – जैसे ही सोनालिका सोनल को वॅन तक लाएगी घर छोड़ने के बहाने और वॅन में बिठाएगी तब तुम दोनो वॅन के एक एक दरवाजे से अंदर घुस जाओगे – बस उसके बाद वॅन मेरे फार्म हाउस पे ही रुकेगी.
सोनल जब शाम को रेडी होकर अपने कमरे से बाहर निकली तो सुनील भी वहीं था वो खास तौर पे हॉस्टिल से घर आया था ताकि वो सोनल के साथ रह सके ये बात अलग थी कि वो पार्टी के अंदर नही जा सकता था.
सुनील ने जब सोनल को देखा तो देखता ही रह गया. आज उसे इस बात का अहसास हुआ था कि उसकी बहन कितनी सुंदर है. सुनील की नज़रों में सोनल के लिए प्रशंसा का भाव था उसमे कोई भी वासनात्मक भाव नही था. सुनील ने कभी भी अपनी बहन की तरफ वासनाकमक दृष्टि नही डाली थी. दोनो का प्रेम आपस में स्वच्छ था.
तभी वहाँ कामया भी आ गयी, कामया ने जब सोनल को देखा तो उसका भी मुँह खुला रह गया दिल ही दिल में नश्तर चुभने लगे क्यूंकी पार्टी में सब की नज़रें सोनल पे ही ठहर जाएँगी. ये बात वो समझ गयी थी.
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