Aunty ki Chudai आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
02-07-2019, 01:13 PM,
#41
RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
प्रिया की हालत देख कर ऐसा लगने लगा था कि अब वो अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच चुकी है और अब झड़ कर निढाल हो जाएगी। मैंने भी अब अपना पानी छोड़ने का मन बनाया और उसकी चूचियों को छोड़ कर उसकी कमर को फिर से पकड़ कर भयंकर तेज़ी के साथ धक्के लगाने लगा। मेरी स्पीड किसी मशीन से कम नहीं थी।

“आआ…अया… आया…सोनू… मेरे सोनू… आज तुमने मुझे सच में जन्नत में पहुँचा दिया…आईई… और चोदो …तेज़…तेज़… तेज्ज़… और तेज़ चोदो… फाड़ डालो इस चूत को… चीथड़े कर दो इस कमीनी के… हाँ…ऐसे ही …और चोदो…मेरे चोदु सनम…चोदो…” प्रिया निरंतर अपने मुँह से सेक्सी सेक्सी देसी भाषा में बक बक करते हुए चुदाई का मज़े ले रही थी और अपनी गांड को जितना हो सके पीछे धकेल रही थी।

“हाँ मेरी जान… ये ले… और चुदा …और चुदा… फ़ड़वा ले अपनी नाज़ुक बूर को…ओह्ह्ह…और ले… और ले… तू जितना कहेगी उससे भी ज्यादा मिलेगा…ले चुदा…!” मैंने भी उसी स्पीड से चोदते हुए उसकी गांड पर अपने जांघों से थपकियाँ देते हुए चूत का नस नस ढीला कर दिया।
“हाँ आआ अन्न… मैं गई जान…मेरे चूत से कुछ निकल रहा है…हाँ…और तेज़ी से मारो…और पेलो… और पेलो… तेज़… तेज़…तेज़… चोदो… चोदो… और चोदो… आऐईईई… ओह्ह्ह्हह्ह.. माँ…मर गई…सोनूऊऊउ !” प्रिया बड़ी तेज़ी से अपनी गांड हिलती हुई झड़ गई और अपने हाथों को सीधा कर के बिस्तर पे पसर सी गई।

मैं अब भी उसे पेले जा रहा था… मैंने उसकी कमर को अपनी तरफ खींच कर ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगाये और मस्ती में मेरे मुँह से भी अनेकों अजीब अजीब आवाजें निकलने लगीं। मैं भी अपनी फ़ाइनल दौर में था।

“ओह्ह्ह्ह… मेरी जान… और चुदा लो… और चुदा लो… तेरी चूत का दीवाना हूँ मैं… मेरा लंड अब कभी तुम्हारी चूत को नहीं छोड़ेगा… हाँ… और लो …और लो… मैं भी आ रहा हूँ… हम्म्म्म… ओह मेरी रानी… चुद ही गई तुम्हारी चूत…और लो…” मैं प्रिया को पूरी तरह अपने कब्जे में लेकर अपना लंड उसकी चूत में पेलता रहा और बड़बड़ाता रहा।

प्रिया लम्बी लम्बी साँसें लेकर मेरा साथ दे रही थी और अपनी गांड को धकेल कर मेरे लण्ड से चिपका दिया।

“ऊहह्ह्ह्ह… ह्म्म्म… ये लो मेरी जान…” मैं जोर से बकने लगा। मुझे यह ख्याल था कि मुझे अपना माल अन्दर नहीं गिराना है वरना मुश्किल हो जाएगी।

मैंने झट से अपना लंड बाहर निकला और अपने हाथों से तेज़ी से हिलाने लगा। प्रिया के चूत से जैसे ही लंड बाहर आया वो घूम गई और मुझे अपना लंड हिलाते हुए देख कर मेरे करीब आ गई और मेरा हाथ हटा कर उसने मेरे लंड को थाम लिया और एक चुदक्कड़ खिलाड़ी की तरह मेरे लंड की मुठ मारने लगी.. साथ ही साथ एक हाथ से मेरे अण्डों को भी दबाने लगी।

मेरा रुकना अब नामुमकिन था। प्रिया ने अपनी मुट्ठी को और भी मजबूती से जकड़ लिया और लंड को स्ट्रोक पे स्ट्रोक देने लगी।
“आआअह्ह… आअह्ह्ह…आअह्ह्ह… प्रिया मेरी जान… ह्म्म्म…आअह्ह्ह्ह !” एक तेज़ आवाज़ के साथ मैंने अपने लंड से एक तेज़ धार निकली और मेरे लंड का गाढ़ा गाढ़ा सा माल प्रिया की चूचियों पर छलक गया। न जाने कितनी पिचकारियाँ मारी होंगी मैंने…मज़े में मेरी आँखें ही बंद हो गई थीं…

प्रिया अब भी लंड को हिला हिलाकर उसका एक एक बूँद निकाल रही थी और उसे अपने बदन पे फैला रही थी।

जब लंड से एक एक बूँद पानी बाहर आ गया तो मैं बिल्कुल कटे हुए पेड़ की तरह बिस्तर पे गिर पड़ा और लम्बी लम्बी साँसें लेने लगा। प्रिया भी मेरे ऊपर ही अपनी पीठ के बल लेट गई और आहें भरने लगी।

हम काफी देर तक वैसे ही पड़े रहे, फिर प्रिया धीरे से उठ कर बाथरूम में चली गई। मैं अब भी वैसे ही लेटा हुआ था।

जब प्रिया बाहर आई तो बिल्कुल नंगी थी और शायद उसने अपनी चूत को पानी से साफ़ कर लिया था। लेकिन वो मेरे पास आकर थोड़ी बेचैन सी दिखी तो मैं झट से उठ कर उसके पास गया और उसकी बेचैनी का कारण पूछने लगा।

तभी प्रिया ने शरमाते हुए बताया कि उसकी चूत पर पानी लगते ही बहुत ज़ोरों से लहर उठ रही है। उसकी चूत के अन्दर तक तेज़ लहर हो रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर ऊपर वाले बेड पे बिठा दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा।

अचानक से प्रिया की नज़र नीचे चादर पे गई जहाँ ढेर सारा खून गिरा पड़ा था। उसने चौंक कर मेरी तरफ देखा और अपना मुँह ऐसे बना लिया जैसे पता नहीं क्या हो गया हो।

मैं उसकी हालत समझ गया और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसकी आँखों में आँखें डाल कर उसे समझाने लगा- जान, डरो मत, यह तो हमारे प्रेम की निशानी है… ये तुम्हारे कलि से फूल और आज से मेरी बीवी बनने का सबूत है।” मैंने उसे बड़े प्यार से कहा।

प्रिया ने मेरी बातें सुनकर अपना सार मेरे कंधे पे रख दिया और उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े।

“इतना प्यार करते हो मुझसे…” प्रिया ने बस इतना ही पूछा…लेकिन मैंने जवाब में बस उसके होठों को चूम लिया।

फिर मैंने अपने आलमारी से बोरोलीन की ट्यूब निकल कर उसे दी और कहा कि अपनी चूत में लगा लो, आराम आ जायेगा।

उसने मेरी तरफ देखा और अचानक से मेरे कान पकड़ कर बोला, “अच्छा जी, चूत तुम्हारी है और तुम्हारे ही लंड ने फाड़ी है…तो ये काम भी आप को ही करना होगा ना?”

मैं हंस पड़ा और बोला- हाँ जी, चूत तो मेरी ही है लेकिन उसे फाड़ा तो आपके लंड ने है…ता अपने लंड को कहो कि तुम्हारी चूत में घुस कर दवा लगा दे !”

“ना बाबा ना…अगर इसे कहा तो ये फिर से शुरू हो जाएगा।” यह कहकर प्रिया ने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर मरोड़ दिया।

इतनी देर के बाद लंड अब ढीला पड़ चुका था लेकिन जैसे ही प्रिया ने उसे छुआ कमबख्त ने अपना सर उठाना चालू कर दिया। प्रिया यह देख कर हंसने लगी और मैं भी मुस्कुराने लगा। मैंने प्रिया को वहीं बिस्तर पर लिटा दिया और फिर अपनी उँगलियों पे बोरोलीन लेकर अच्छी तरह से उसकी चूत में लगा दिया और फिर आखिर में उसकी चूत को चूम लिया।

“हम्म्म्म…उफ्फ्फ सोनू ऐसा मत करो… वरना फिर से…” इतना कह कर प्रिया ने अपनी नजर नीचे कर ली और मुस्कुराने लगी।

मैं जल्दी जल्दी बिस्तर से नीचे उतरा और अपनी निक्कर और टी-शर्ट पहन ली और प्रिया के कपड़े उसे देते हुए कहा, “जान, जल्दी से कपड़े पहन लो काफी देर हो चुकी है। तुम्हारी मॉम तुम्हें ढूंढते हुए कहीं यहाँ आ जाये।”

मेरी बात सुनकर प्रिया हंसने लगी और अपने कपड़े मेरे हाथों से लेकर पहन लिया। फिर मैंने जल्दी से नीचे पड़ा चादर उठाया और उसे बाथरूम में रख दिया। प्रिया अपनी किताबें समेट रही थी। किताबें लेकर प्रिया दरवाज़े की तरफ बढ़ी लेकिन उसकी चाल में लड़खड़ाहट साफ़ दिख रही थी। हो भी क्यूँ ना…आखिर उसकी सील टूटी थी। मैं पीछे से यह देख कर मुस्कुराने लगा और मुझे दोपहर की रिंकी वाली बात याद आ गई।

सच पूछो तो मुझे अपने आप पर थोड़ा गर्व हो रहा था। एक ही दिन में दो दो चूतों की सील तोड़ी थी मैंने…

प्रिया ने पलट कर मुझे एक स्माइल दी और मेरी तरफ चुम्मी का इशारा करके दरवाज़े से बाहर निकल गई और सीढ़ियाँ चढ़ कर अपने घर में प्रवेश कर गई।

मैं दरवाज़े पे खड़ा उसे तब तक देखता रहा जब तक उसने अपन दरवाज़ा बंद नहीं कर लिया और मेरी नज़रों से ओझल न हो गई। पता नहीं क्यूँ लेकिन दो दो कसी कुंवारी चूतों की सील तोड़ने के बाद भी मुझे सिर्फ और सिर्फ प्रिया का ही ख्याल आ रहा था।

शायद मुझे सच में प्रिया अच्छी लगने लगी थी। मैं इसी ख्याल से खुश होकर अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करके लाइट बंद किये बिना ही बिस्तर पे गिर कर आँखें बंद करके अभी अभी बीते पलों को याद करते करते सो गया।
अपने जीवन का अब तक का सबसे अच्छा वक़्त बिताकर मैं फूला नहीं समां रहा था। प्रिया के जाने के बाद मैंने भी अपने बिस्तर को थाम लिया और थक कर चूर होने की वजह से लेटते ही नींद कि आगोश में समां गया। आँखे बंद होते ही मेरे जेहन में वो कामुक सिसकारियाँ गूंजने लगीं जो रिंकी और प्रिया के मुँह से निकले थे। मेरे होंठों पे बरबस एक मुस्कान सी आ गई और मैं मुस्कुराता हुआ सो गया।

सुबह दरवाजे पे दस्तक हुई और पता नहीं क्यूँ मैं एक बार में ही सिर्फ उस खटखटाहट से ही जाग गया। वैसे मैं सोने के मामले में बिल्कुल कुम्भकर्ण का सगा हूँ। सुबह देर तक सोना मेरी आदत है और जबतक मुझे झकझोर कर न उठाओ तब तक मैं उठता ही नहीं. हा हा हा हा …

आँखें खुल चुकी थीं और सीधे दीवार पे लटकी घड़ी पे गई, देखा तो सुबह के 5 बज रहे थे…मैं थोड़ा अचंभित सा हो गया, ‘इतनी जल्दी…कौन हो सकता है??’ मैंने खुद से फुसफुसाकर पूछा और धीरे से आवाज लगाई…

“कौन…?? कौन है ?”

“मैं हूँ बुद्धू….कभी तो जल्दी उठ जाया करो !!” एक धीमी सी खनकती हुई आवाज़ ने मेरे कानों में रस सा घोल दिया। लेकिन साथ ही साथ एक सवाल भी उठा मन में…नींद से अलसाये होने के कारण मैं उस आवाज़ को ठीक से पहचान नहीं पाया।

“रिंकी… या फिर प्रिया… कौन हो सकती है??” मन में उठे सवालों से उलझते हुए मैं बिस्तर से उठा और लड़खड़ाते क़दमों से दरवाज़े तक पहुँचा।

दरवाज़ा खोला तो देखा कि मेरे सपनों की रानी, मेरी हसीन परी प्रिया खड़ी थी। सफ़ेद शलवार-कुरते और सफ़ेद चुन्नी में… भीगे हुए बाल… होंठों पे एक सुकून भरी मुस्कान… आँखों में एक प्यार भरा समर्पण…!

एक पल को तो ऐसा लगा जैसे अब भी नींद में हूँ और कोई सपना देख रहा हूँ। मैं बिना कुछ बोले बस उसके चेहरे को देख रहा था और कहीं खो सा गया था। आज से पहले मैंने प्रिया को कभी भी ऐसे कपड़ों में नहीं देखा था। वो हमेशा मॉडर्न कपड़े ही पहना करती थी। आज तो जैसे चाँद उतर आया था ज़मीन पर…और वो भी सुबह सुबह !!

“आउच….” मेरे मुँह से अचानक निकल पड़ा, उँगलियों पे जलन सी महसूस हुई, देखा तो पाया कि मैडम जी ने अपने हाथों में पड़े चाय की गरमागरम कप मेरे उँगलियों से सटा दी थी और मज़े से मुस्कुरा रही थीं..

“जागो मेरे पति परमेश्वर…सुबह हो गई है और आपकी प्यारी सी बीवी आपके लिए गरमागरम चाय लेकर आई है !” प्रिया ने अपने नाज़ुक होंठों से इस अंदाज़ में कहा कि मैं तो मंत्रमुग्ध सा बस उसे फिर से उसी तरह देखने लगा।

“अरे अब अन्दर भी चलोगे या यहीं मुझे घूरते रहोगे..??” प्रिया की खनकती हुई आवाज़ ने मेरा ध्यान तोड़ा और मैंने उसके हाथों से चाय का कप अपने हाथों में लेकर उसका एक हाथ पकड़ा और अन्दर ले आया।

मैंने चाय का प्याला मेज़ पर रख दिया और प्रिया को अपनी बाहों में भर लिया। प्रिया भी जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रही थी… उसने भी मुझे जकड़ सा लिया और मेरे सीने में अपना सर रखकर जोर जोर से साँसें लेने लगी। हम दोनों दुनिया से बेखबर होकर एक दूसरे को जकड़े खड़े थे..

थोड़ी देर के बाद प्रिया ने खुद को मुझसे अलग किया और मेरी आँखों में देखने लगी। उसकी वो आँखें आज भी याद हैं मुझे… इतना प्यार और इतना सुकून भरा था उन आँखों में कि मैं बस डूब सा गया था !

“चलिए जनाब अब जल्दी से फ्रेश हो जाइये और यह चाय पीकर बताइए कि कैसी बनी है…?? प्रिया ने मुझे बाथरूम की तरफ धकेलते हुए कहा।

मैंने प्रिय को फिर से अपनी बाहों में भरने की कोशिश की तो उसने मुझे रोक दिया..

“ओहो, बाबा…पहले आप जल्दी से फ्रेश हो लो…फिर मैं तो आपकी ही हूँ, जितना चाहे प्यार कर लेना। वैसे अगर आप जल्दी से हमारी बात मानोगे तो आपको एक अच्छी खबर मिलेगी !” प्रिया ने प्यार से मुझे पीछे से धक्का देते हुए कहा।

प्रिया के गोल गोल उभारों का स्पर्श मुझे उत्तेजित सा कर रहा था… लेकिन साथ ही उसकी बातों से मेरा कौतूहल बढ़ता जा रहा था… मैं सोचने पर विवश हो गया कि आखिर ऐसी क्या खबर होगी…

“इससे अच्छी क्या खबर हो सकती थी कि जिसके सपने देख कर मैं सोया था वो खुद ही सुबह सुबह मेरी आँखों के सामने है।” यह सोचकर मैं मुस्कुरा कर फ्रेश होने के लिए बाथरूम में घुस गया।

बाहर आया तो देखा कि प्रिया रानी मेरे कमरे को साफ़-सुथरा करने में व्यस्त थीं। देख कर मन प्रसन्न हो गया, बिल्कुल एक बीवी की तरह वो अपना धर्म निभा रही थी। शायद ये उन हसीन पलों में से एक था जिसकी कल्पना हम सभी कभी न कभी करते ही हैं।
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RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ - by sexstories - 02-07-2019, 01:13 PM

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