RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
प्रिया झुक कर मेरे सीने और बदन के बाकी हिस्से को चाट और चूम रही थी और मैं अपने हाथ को उसके नितम्बों के ऊपर ले जा कर सहला रहा था। उसके पिछवाड़े की दरार में मैंने अपनी उँगलियों को ऊपर नीचे फिराना शुरू किया और तभी मेरी उँगलियों ने उसकी गोल गुलाबी छोटी सी गांड के छेद को छुआ। मैंने एक दो बार उस छेड़ को उंगली से सहलाया और धीरे से अपनी एक उंगली को उस छेड़ में थोड़ा अन्दर डालने की कोशिश की।
“आउच… यह क्या करे रहे हो… बड़े शैतान हो तुम…”प्रिया ने अचानक से अपना मुँह उठा कर मुझे देखा और बनावटी गुस्से से मुझे कहा।
मैंने बस उसकी तरफ देखकर एक स्माइल दी और फिर अपनी उंगली उसकी गांड के छेद से हटा कर वापस से उसके बड़े से पिछवाड़े को सहलाने लगा।
अब प्रिया मेरे पैरों के ऊपर से नीचे उतर गई और मेरे निक्कर को अपने हाथों से पकड़ कर नीचे खींच दिया। फिर वही हुआ जैसा पिछली रात को हुआ था। लंड की वजह से निक्कर फिर से अटक गई। मैं नहीं चाहता था कि ज्यादा देर अपने लंड को प्रिया के हाथों से दूर रखूं, इसलिए मैंने खुद ही अपनी कमर उठा कर लंड को ठीक करते हुए निक्कर को निकाल दिया।
निक्कर निकलते ही मेरा मुन्ना बिल्कुल अकड़ कर फुफकारने लगा। प्रिया की आँखें फ़ैल गईं और फिर उनमें वही चमक दिखने लगी जो कि पिछली रात को नज़र आई थी। उसने झट से मेरे लंड को अपने हाथों में जकड़ लिया और झुक कर लंड के सुपारे पर एक किस्सी कर दी। किस करते ही मेरे लंड ने उसे ठुनक कर सलाम किया जिसे देख कर प्रिया के मुँह से हंसी निकल गई।
“शैतान…बड़ा मज़ा आ रहा है न… खूब ठनक रहे हो… अभी बताती हूँ।” प्रिया ने मेरे लंड को देखकर कहा मानो वो उससे ही बातें कर रही हो।
निक्कर निकलते ही मेरा मुन्ना बिल्कुल अकड़ कर फुफकारने लगा। प्रिया की आँखें फ़ैल गईं और फिर उनमें वही चमक दिखने लगी जो कि पिछली रात को नज़र आई थी। उसने झट से मेरे लंड को अपने हाथों में जकड़ लिया और झुक कर लंड के सुपारे पर एक किस्सी कर दी। किस करते ही मेरे लंड ने उसे ठुनक कर सलाम किया जिसे देख कर प्रिया के मुँह से हंसी निकल गई।
“शैतान…बड़ा मज़ा आ रहा है न… खूब ठनक रहे हो… अभी बताती हूँ।” प्रिया ने मेरे लंड को देखकर कहा मानो वो उससे ही बातें कर रही हो।
प्रिया ने मेरे लंड को एक बार फिर से अच्छी तरह से अपने हाथों से सहलाया और फिर मेरे अन्डकोशों को मुट्ठी में भर कर एक दो बार दबाया और मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने उसकी आँखों में देख कर उससे आगे बढ़ने के लिए इशारा किया। प्रिया को पता था कि मैं क्या चाहता हूँ…
प्रिया ने फिर से रस वाली कटोरी उठाई और सारा का सारा रस मेरे लंड में ऐसे डालने लगी मानो नहला रही हो। मेरा लंड गुलाबजामुन के रस से सराबोर हो गया और उस गाढ़े रस की वजह से चमकने लगा। लंड की नसें रस से सराबोर होकर और भी उभर गईं थीं और मोटे से रस्से के सामान दिख रही थीं मानो रस्सियों से लंड को लपेट दिया हो।
प्रिया ने कटोरी को अलग रख दिया और अब मेरे दोनों जांघों के बीच अपने आप को स्थपित कर लिया। प्रिया के बाल अब तक खुले हुए थे, उसने अपने दोनों हाथों से अपने बालों को बाँध कर जूड़ा बना लिया ताकि लंड चूसते वक़्त वो उसे परेशान न करें।
प्रिया की समझदारी ने एक बार फिर से मेरा मन मोह लिया। जब वो अपने बाल ठीक कर रही थी मैंने अपने हाथों को बढ़ा कर उसकी चूचियों को जोर से दबा दिया।
“उह्ह्ह्ह…तुम भी ना ! इतने जोर से कोई दबाता है क्या…” प्रिया ने चीख कर कहा।
“औरों का तो पता नहीं लेकिन मैं तो ऐसे ही दबाता हूँ !” मैंने उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरह खींचते हुए कहा और हंसने लगा।
“अच्छा जी…बड़ा मज़ा आता है मुझे दर्द देकर…?” प्रिया ने अपने हाथों को मेरे हाथों पर रखते हुए कहा और फिर मुस्कुराते हुए मेरे हाथों को हटा कर वापस से अपनी पोजीशन ठीक की और फिर झुकती चली गई।
प्रिया ने अपनी जीभ पूरी बाहर निकाल ली और मेरे टनटनाये लंड को बिना अपने हाथों से पकड़े जीभ की नोक से लंड को ऊपर से नीचे एक लम्बी सी दिशा में चलाया।
“ओह्ह… मेरी रानी… तुम लाजवाब हो !” मेरे मुँह से आह निकली और मैं तड़प उठा।
प्रिया ने वैसे ही बाहर से लंड के चारों तरफ लगे रस को अपनी जीभ से चाट चाट कर साफ़ किया और फिर लंड के अगले भाग को अपने होठों में भर लिया।
अब प्रिया ने अपना कमाल दिखाना शुरू किया और आइस क्रीम की तरह लंड को मज़े से चूसने लगी। हालांकि मेरे लंड को पूरा मुँह में लेना मुश्किल था लेकिन प्रिया पूरी कोशिश कर रही थी कि उसे जितना हो सके अपने मुँह में भर ले।
मैं मज़े से अपनी कमर को थोड़ा थोड़ा हिलाते हुए अपना लंड उसके मुँह में दे रहा था। मेरे मुँह से बस हल्की हल्की सिसकारियाँ ही निकल पा रही थीं… क्यूंकि जैसे ही मैं कुछ बोलने की सोचता, प्रिया पूरे लंड को मुँह में भर लेती और मेरी साँसें ही अटक जातीं।
“उम्म्म… हाँ… मेरी जान, तुम सच में कमाल हो… चूसो जान… और चूसो…” इस बार मैंने सांस रोक कर उससे कहा और अपने हाथ बढ़ा कर उसका सर पकड़ लिया।
प्रिया ने अपना मुँह थोड़ा अलग किया और अपनी जीभ फिर से निकाल कर मेरे अन्डकोशों को चाटने लगी। अभी तक उसने अपने हाथों को अलग ही कर रखा था, शायद इसलिए कि कहीं गुलाबजामुन के रस से उसके हाथ चिपचिप न हो जाएँ…
खैर अब तक उसने लंड और आस पास लगे सारे रस को चाट लिया था इसलिए अब उसने अपने दायें हाथ से मेरा लंड पकड़ा और खूब तेज़ी से लंड को हिलाने लगी जैसे कि मुठ मारते वक़्त किया जाता है। साथ ही साथ वो अपने होंठों के बीच मेरे अण्डों को पकड़ कर चुभला भी रही थी। कुल मिलकर ऐसी स्थिति थी कि मैं अपने पूरे होशोहवास खो रहा था। प्रिया की नाज़ुक हथेली और नाज़ुक होठों की मस्ती ने मुझे मस्त कर दिया था।
प्रिया ने अब मेरे लंड की तरफ अपने नज़रें उठाई और धीरे से मेरे लंड के चमड़े को खोलकर मेरा सुपारा बाहर किया। सुपारा अभी तक लाल हो चुका था और प्रिया के मुँह के रस से भीग कर चमक रहा था।
प्रिया ने अपने होंठों से खुले हुए सुपारे को चूमा और फिर से अपने हाथ को पीछे ले जा कर रस वाली कटोरी फिर से उठा लिया। अब तक सारा रस लगभग ख़त्म हो चुका था लेकिन फिर भी प्रिया ने अपनी उँगलियों से कटोरी के अन्दर का रस इकट्ठा किया और फिर लगभग 8-10 बूँदें सुपारे पर गिरा दीं। रस मेरे सुपारे के ठीक ऊपर मेरे लंड के छेद से होता हुआ चारो तरफ फ़ैल गया। अब सुपारा बहुत ही प्यारा दिख रहा था क्यूंकि उसके ऊपर रस की गाढ़ी सी परत चढ़ गई थी।
प्रिया ने एक खा जाने वाली नज़रों से लंड को देखा और फिर से अपनी जीभ को मेरे लंड के छेद पे रखा और धीरे धीरे जीभ की नोक को रगड़ा।
“उफफ्फ… आह प्रिया… ले लो पूरा अन्दर… ऐसे मत करो, गुदगुदी होती है…” मैं थोड़ा सा तड़प कर बोलने लगा।
“आप बस ऐसे ही लेटे रहो मेरे सरकार… मुझे जो करना है वो तो मैं करके ही रहूँगी !” प्रिया ने मुझे देखकर हंसते हुए कहा और वापस अपने काम में लग गई। उसने अपनी जीभ को सुपारे के चारों तरफ घुमा घुमा कर सारा रस चाट लिया और फिर अपना मुँह खोल कर पूरे सुपारे को मुँह में भर लिया।
फिर शुरू हुआ प्रिया का रफ़्तार भरा लंड चूसने का कार्यक्रम और उसने तेज़ी से लंड को पूरा निचोड़ डाला। मेरी तो साँसें ही रुकने लगी थीं। मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको संभाल रहा था। आज प्रिया मेरे लंड को तोड़ डालने के मूड में थी। उसने अब अपना एक हाथ भी लगा दिया और हाथ से हिलाते हुए लंड को चूसने लगी…
मैं अब काबू रखने की हालत में नहीं था, मैंने उसका सर पकड़ कर हटा दिया और उठ कर बैठ गया। अगर ऐसा नहीं करता तो शायद उसके मुँह में ही झड़ जाता। मैं बैठ कर लम्बी लम्बी साँसें लेने लगा और प्रिया मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूरने लगी।
मैंने अपनी साँसों को नियंत्रित किया और प्रिया को एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया। प्रिया का फूल सा बदन मेरे ऊपर आ गया और मैंने उसे लिपटा कर नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसके होंठों को अपने होठों में लेकर चूसने लगा। मैंने उसकी चूचियों को बेदर्दी से पकड़ कर मसलना शुरू किया और अपने सांप को उसकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा। लण्ड और चूत दोनों इतने गीले थे कि अगर मैं कोशिश करता तो एक ही झटके में लंड अन्दर हो जाता लेकिन मुझे यह ख्याल था कि प्रिया अभी तक कुंवारी थी और मेरा लंड उसकी नाज़ुक चूत को फाड़ सकता था।
मुझे रिंकी वाली बात भी याद आ गई, मैंने रिस्क नहीं लिया और उसके ऊपर से उठ कर उसके पैरों की तरफ आ गया।
मैंने प्रिया की जांघों को अपने हाथों से सहलाया और फिर धीरे से उसके पैरों को ऊपर उठा कर अपने कंधे पर रख लिया। पैरों को उठाने की वजह से मेरा लंड अब उसकी चूत के ठीक मुहाने पर सैट हो गया और ठुनक ठुनक कर उसकी चूत को चूमने लगा।
मैंने भी अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर उसकी चूत की दरारों में घिसना शुरू किया और प्रिया की तरफ हसरत भरी नज़रों से देखने लगा।
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