Aunty ki Chudai आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
02-07-2019, 01:12 PM,
#36
RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
मेरी बेताबी बढ़ती जा रही थी,”जल्दी करो न बाबा…तुम तो जान ही ले लोगी ऐसे तड़पा कर !”

“हम्म्म्म…अब खोलो…” प्रिया ने एक मादक आवाज़ में कहा…
मैंने धीरे धीरे अपनी आँखें खोलीं…मेरा मुँह खुला का खुला रह गया और आँखें तो बस पत्थर की हो गई…पलकों ने झपकना ही बंद कर दिया उस वक़्त…

सामने प्रिया सुर्ख मैरून रंग के टू पीस बिकनी में खड़ी थी…बाल खुले, होठों पे मेरे होठों का रस जो उन्हें चमकीला बना रहा था… उसकी 34 साइज़ की बड़ी बड़ी चूचियाँ जो कि उस खूबसूरत से बिकनी में संभाले नहीं संभल रही थीं और लगभग 75 प्रतिशत बाहर ही थीं… उसका चिकना पेट… पेट के ठीक नीचे प्यारी सी नाभि… और वी शेप की डोरियों वाली छोटी सी पैंटी जिसने सिर्फ उसकी हसीं चूत को सामने से ढक रखा था.. उसकी चिकनी सुडौल जांघें…

“ओह माई गॉड… प्रिया… मेरी परी…” मेरे मुँह से बस ये दो तीन शब्द ही निकल सके वो भी रुक रुक कर…

मैं अपनी साँसें रोक कर उसे देखता रहा और प्रिया किसी मॉडल की तरह अपने बदन को घुमा घुमा कर मुझे दिखा रही थी।
कसम से दोस्तो, उस वक़्त मैं ऐसा महसूस कर रहा था जैसे मेरे सपनों की रानी सीधा आसमान से उतर कर मेरे सामने खड़ी हो गई हो। मैं कब बिस्तर से उतरा और कब प्रिया के पास पहुँच गया पता ही नहीं चला। मैं प्रिया के सामने खुद भी एक मूरत की तरह खड़ा हो गया और उसे एकटक निहारने लगा। मेरे मुँह से शब्द ही नहीं निकल रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अजंता की गुफाओं में हूँ और एक सुन्दर सी मूर्ति मेरे सामने है।

मैंने धीरे से अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसके बदन को छूने की कोशिश की लेकिन डरते डरते कि कहीं मैली न हो जाये। मैंने अपनी उँगलियों से उसके माथे से लेकर उसके पूरे चेहरे को छुआ और फिर धीरे धीरे नीचे उसके गर्दन और सीने पे आ गया…

उफ्फ्फ़… मानो संगेमरमर की तराशी हुई बेहतरीन कलाकृति को छू रहा हूँ। मैं मंत्रमुग्ध सा बस उसके बदन के हर हिस्से को इंच इंच करके नाप रहा था।

प्रिया के मुँह से हल्की हल्की सिहरन भरी सिसकारियाँ निकल रही थीं और उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे। मैं उसके बदन को निहारते हुए नीचे अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपनी उँगलियों को उसके पेट से होते हुए उसकी नाभि तक ले आया। जैसे ही उसकी नाभि में अपनी उंगली रखी, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ ऐसे देखने लगी जैसे वो बिल्कुल असहनीय उत्तेजना से भर गई हो।

मैं भी कहाँ रुकने वाला था, मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी नाभि में घुसा दी।

“सीईईइ… उम्म्म्म… क्या कर रहे हो सोनू… मुझे अजीब सा लग रहा है !” प्रिया ने एक सिसकारी के साथ मेरे सर पे अपना हाथ रखा और मेरे बालों में उँगलियाँ फिराईं।

मैं मज़े से उसकी नाभि और उसके आस पास अपनी जीभ फिराने लगा। एक अजब सी महक आ रही थी उसके बदन से जो कि दीवाना बनाने के लिए काफी थी। मैंने अपनी जीभ को थोड़ा नीचे करके उसकी नाभि और चूत के बीच वाले हिस्से पे यहाँ वहाँ चाटने लगा। बिल्कुल मक्खन के जैसी चिकनी थी वो जगह। मैं बड़े मज़े में था और इस अद्भुत पल का आनन्द ले रहा था।

प्रिया भी मेरा साथ दे रही थी और हम दोनों पूरी दुनिया से बेखबर अपने अपने काम में लगे हुए थे।

काफी देर तक ऐसे ही खड़े खड़े प्रिया मज़े लेती रही और मैं अठखेलियाँ करता रहा। फिर मुझे याद आया कि मैंने आज की रात को खास बनाने के लिए कुछ सोच रखा था। मैं तुरंत उठ खड़ा हुआ और प्रिया को अपने गले से लगा कर एक प्यारी सी किस्सी देते हुए उसे बिस्तर पर बिठा दिया।

प्रिया मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी और मैं अपने कमरे के एक कोने की तरफ बढ़ा। प्रिया मुझे गौर से देख रही थी और यह जानने की कोशिश कर रही थी कि आखिर मैं कर क्या रहा हूँ।

मैंने कोने से एक चटाई निकाली और बिस्तर के बगल में नीचे फर्श पे बिछा दिया। फिर एक मोटी सी चादर लेकर चटाई के ऊपर डाल दी और उस पर बैठ गया।

प्रिया ने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा,”ये क्यूँ…नीचे क्यूँ बिछाया है ये बिस्तर…इरादा क्या है??” प्रिया ने आँख मारते हुए पूछा।

प्रिया शायद यह सोच रही थी कि मैंने बस इसलिए बिस्तर नीचे लगाया है ताकि जब हम चुदाई करें तो बिस्तर की चरमराहट से कहीं कोई जाग न जाये। लेकिन उसे नहीं पता था कि मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। मैं जानता था कि आज जो मैं करने वाला था उसकी वजह से बिस्तर ख़राब हो सकता था। यही सोच कर मैंने यह इन्तजाम किया था।

मैंने प्रिया को अपने पास बुलाया अपनी बाहें फैला कर और प्रिया भी देरी न करते हुए नीचे मेरे पास आकर मुझसे लिपट गई। हम दोनों बैठे हुए थे और एक दूसरे को गले लगाये हुए चूमे जा रहे थे। चूमते चूमते मैंने प्रिया को धीरे से अपनी बाहों का सहारा देकर लिटा दिया।

अब प्रिया मेरे सामने उस मैरून रंग की बिकनीनुमा ब्रा और पैंटी में सीधी लेटी हुई थी और अपने हाथों को अपने सर के पीछे सीधा करके अपने सीने को उभार कर मुझे रिझा रही थी। मैं तो पहले ही उसपे लट्टू हो चुका था.

मैं उसे उसी अवस्था में छोड़ कर उसके पैरों की तरफ मुड़ गया और अपने होंठों से उसके दोनों पैरों को चूमते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। जैसे जैसे मैं उसके पैरों से ऊपर बढ़ रहा था उसकी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थीं और उसकी गर्दन इधर उधर होकर उसकी बेचैनी का सबूत दे रही थी।

मैंने उसके पूरे बदन को नीचे से लेकर ऊपर की तरफ चूमा और फिर उसकी जांघों के पास आकर रुक गया। मेरी नज़र उसकी छोटी सी वी शेप की पैंटी पर गई तो देखा कि एक बड़ा सा हिस्सा गीला हो चुका था। शायद यह मेरे होंठों का कमाल था जिसने प्रिया को मदमस्त कर दिया था और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था।

ऐसा होना लाज़मी भी था, आखिर जवानी का जोश था…संभाले नहीं संभलता।

मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ठीक उसकी चूत के मुँह पर अपने होंठ रखे और दो तीन बार चूम लिया।

“हम्म्म्म…ओह मेरे रजा जी…कितना तड़पाओगे…” प्रिया ने चूत पे होंठों को महसूस करते ही कहा।

“अभी तो बस शुरुआत है जान…अभी तो बहुत कुछ बाकी है।” मैंने भी अपन मुँह उठाकर उसकी तरफ देखते हुए कहा।

“आज सारी रात यहीं रखने का इरादा है क्या…?” प्रिया ने मदहोशी बहरे शब्दों में मेरी आँखों में आँखें डालकर पूछा।

प्रिया की बात सुनकर मैं मुस्कुराया और फिर से उसके चूत पे एक पप्पी दे दी और उसका हाथ पकड़ कर बिठा दिया।

प्रिया के बैठते ही मैंने देरी किये बिना अपने हाथ उसकी पीठ पे लेजाकर उसके ब्रा की डोरी खोल दी। डोरी खुलते ही उसकी चूचियों ने जैसे चैन की सांस ली हो… वो एकदम से थिरक कर हिलने लगी। ब्रा का एक छोर उसके गले में बंधा था, मैंने उसे भी खोल डाला और उतार कर साइड में रख दिया।

यूँ तो प्रिया मुझसे कभी भी शर्माती नहीं थी लेकिन आज पता नहीं क्यूँ जैसे ही मैंने उसे नंगा किया उसने अपने हाथों से अपनी चूचियों को छुपा लिया और किसी नई नवेली दुल्हन की तरह अपना सर नीचे कर लिया।

कसम से कहता हूँ उसकी यह अदा देखकर मेरा प्यार और भी बढ़ गया। मैंने भी एक नए नवेले पति की तरह उसके चेहरे को अपने हाथों से ऊपर उठाया और उसके लरजते होंठों पर अपने होठों से प्यार का प्रमाण रख दिया।

प्रिया शरमा कर मुझसे लिपट गई। मैंने उसे अलग किया और अपनी बाहों का सहारा देकर वापस बिस्तर पर लिटा दिया…

कमरे में अच्छी रोशनी थी और ऊपर से उसका चमकीला बदन… मेरी नज़रें टिक ही नहीं पा रही थीं। मैंने एक नज़र उसे जी भर के देखा और फिर अपने हाथ बढ़ा कर साइड टेबल के ऊपर से गुलाबजामुन वाली प्लेट उठा ली।

प्रिया की नज़र जब उस प्लेट पर गई तो उसने बड़े ही अजीब से अंदाज़ में मुझे देखा और चौंक कर मेरे अगले कदम का इंतज़ार करने लगी।

मैंने प्लेट में रखे चम्मच से गुलाब जामुन को बिल्कुल आधा आधा कटा और प्रिया की तरफ देखते हुए आधे हिस्से को उसकी एक चूची के नोक पर रख दिया। उसकी चूचियाँ वैसे ही बिल्कुल खड़ी खड़ी थीं इसलिए उसकी नोक्क पे गुलाब जामुन बिल्कुल ऐसे स्थिर हो गया जैसे कोई चुम्बक हो। फिर मैंने दूसरा हिस्सा भी दूसरी चूची पर रख दिया।
प्रिया को बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि मैं ऐसा भी कर सकता हूँ। उसे छत पर कही हुई मेरी बात याद आ गई और उसने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा,”तो जनाब इसी अंदाज़ के बारे में कह रहे थे?”

मैंने बिना कोई जवाब दिए बस उसको देख कर मुस्कुराया और फिर से अपने काम में लग गया। प्लेट में अब दो और गुलाब जामुन बचे थे। मैंने एक नज़र उन पर डाली और फिर प्लेट को बगल में रख दिया। अब बारी थी उस कटोरी की जिसमे मैंने सारा रस इकठ्ठा किया था। मैंने वो कटोरी उठाई और अपनी जगह को बदल कर इस बार प्रिया के जांघों के दोनों तरफ अपने पैरों को फैला कर ऐसे बैठ गया जैसे मैं किसी घोड़ी पर बैठा हूँ।

प्रिया अब और भी ज्यादा चौंक कर मुझे देख रही थी। मैंने उसे आँख मारी और आराम से उसकी जाँघों पे अपने आप को सेट करके बैठ गया। मेरा तनतनाया हुआ लंड मेरे निकर के अन्दर से निकलने को बेचैन हो रहा था और इस अवस्था में सीधे उसकी चूत पर दस्तक देने लगा। प्रिया ने अपना एक हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को एक बार सहला दिया। मैं खुश हो गया और मुझसे ज्यादा मेरा ज़ालिम लंड खुश हो गया और ठुनक कर प्रिया को धन्यवाद कहा।
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