RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
चुदाई के उस आखिरी पल का एहसास इतना सुखद होता है यह मुझे उसी वक़्त महसूस हुआ। हम दोनों उसी हालत में लगभग 15 मिनट तक लेटे रहे।
मैं धीरे से रिंकी के ऊपर से उठा और रिंकी के नंगी पीठ को अपने होंठों से
चूम लिया। रिंकी की आँखें बंद थी और जब मैंने उसकी पीठ को चूमा तो उसने
धीरे से अपनी गर्दन हिलाई और पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी।
मेरा लंड अब तक थोड़ा सा मुरझा कर उसकी चूत के मुँह पे फँसा हुआ था। मैंने
खड़े होकर अपने लंड को उसकी चूत से बाहर खींचा तो एक तेज़ धार निकली चूत से
जो हम दोनों के रस और रिंकी की चूत का सील टूटने की वजह से निकले खून का
मिश्रण दिख रहा था।
रिंकी वैसे ही उलटी लेती हुई थी और उसकी चूत से वो मिश्रण निकल निकल कर बिस्तर पर फैलने लगा।
मैंने रिंकी की पीठ पर हाथ फेरा और उसे सीधे होने का इशारा किया। रिंकी
सीधे होकर लेट गई और अपने पैरों को फैला कर मेरे कमर को पैरों से जकड़ लिया
और अपने पास खींचा। ऐसा करने से मेरा मुरझाया लंड फिर से उसकी चूत के
दरवाज़े पर रगड़ खाने लगा। चूत की चिकनाहट मेरे लंड के टोपे को रगड़ रही थी।
अगर थोड़ी देर और वैसा ही करत रहता तो शायद मेरा लंड फिर से खड़ा होकर उसकी
चूत में घुस जाता।
मैंने वैसे ही खड़े खड़े रिंकी की आँखों में देख और उसे आँख मारते हुए अपने हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिए।
रिंकी ने मेरे हाथों में अपने हाथ दिए और मैंने उसे खींच कर उठा दिया। उठते
ही रिंकी मुझसे ऐसे लिपट गई जैसे कोई लता किसी पेड़ से लिपट जाती है। हम
दोनों एक दूसरे को हाथों से सहलाते रहे।
तभी रिंकी को बिस्तर से उठाते
हुए मैं अलग हो गया उर हम दोनों खड़े हो गए। खड़े होते ही रिंकी की टाँगें
लड़खड़ा गई और उसने मेरे कन्धों को पकड़ लिया। मैंने उसे सहारा देकर अपने सीने
से लगा लिया। रिंकी मेरे सीने में अपना सर रख कर एकदम चिपक सी गई और ठंडी
ठण्डी साँसे लेने लगी।
मैंने झुक कर उसके चेहरे को देखा, एक परम तृप्ति के भाव उस वक़्त उसके चेहरे पे नज़र आ रहे थे।
रिंकी ने अपना सर उठाया और मुझसे लिपटे लिपटे ही बिस्तर की तरफ मुड़ गई...
"हे भगवन......यह क्या किया तुमने..." रिंकी ने बिस्तर पर खून के धब्बे देख कर चौंकते हुए पूछा।
"यह हमारी रास लीला की निशानी है मेरी जान... आज तुम कलि से फूल बन गई हो।" मैंने फ़िल्मी अंदाज़ में रिंकी को कहा।
"धत...शैतान कहीं के !" रिंकी ने मेरे सीने पे एक मुक्का मारा और मेरे गालों को चूम लिया। हम दोनों हंस पड़े।
तभी हमारा ध्यान दीवार पर लगी घड़ी पर गया तो हमारा माथा ठनका।
घड़ी में 3 बज रहे थे...यानि हम पिछले 3 घंटे से यह खेल खेल रहे थे। हम
दोनों ने एक दूसरे को देखा और एक बिना बोले समझने वाली बात एक दूसरे को
आँखों से समझाई। रिंकी ने मेरे होंठों को चूम लिया और मुझसे अलग होकर अपने
कपड़े झुक कर उठाने लगी।
उसके झुकते ही मेरी नज़र उसके बड़े से कूल्हों पर गई और एक सुर्ख गुलाबी सा छोटा सा छेद मेरी आँखों में बस गया।
वो नज़ारा इतना हसीं था कि दिल में आया कि अभी उसे पकड़ कर उसकी गांड में
अपना लंड ठोक दूँ। लेकिन फिर मैंने सोचा कि जब रिंकी को मैंने अपने लण्ड का
स्वाद चखा ही दिया है तो चूत रानी की पड़ोसन भी मुझे जल्दी ही मिल जायेगी।
यह सोच कर मैं मुस्कुरा उठा और अपनी निक्कर और टी-शर्ट उठाकर पहन ली। रिंकी
ने भी अपनी स्कर्ट पहन ली थी और अपनी ब्रा पहन रही थी। मैंने आगे बढ़ कर
उसकी ब्रा को अपने हाथों से बंद किया और ब्रा के ऊपर से जोर से चूचियों को
मसल दिया।
"ऊह्ह्ह...क्या करते हो सोनू... आज ही उखाड़ डालोगे क्या...अब तो ये
तुम्हारी हैं, आराम से खाते रहना।" रिंकी ने एक मादक सिसकारी के साथ अपनी
चूचियों को मेरे हाथों से छुड़ा कर कहा और फिर बाहर निकलने लगी क्यूंकि उसका
टॉप बाहर सोफे पे था।
रिंकी मेरे आगे आगे चलने लगी,
उसकी टाँगें लड़खड़ा रही थीं। मैं देख कर खुश हो रहा था कि आज मेरे भीमकाय
लंड ने उसकी चूत को इतना फैला दिया था कि उससे चला नहीं जा रहा था...
खैर धीरे धीरे रिंकी बाहर आई और अपना टॉप उठाकर पहन लिया। मैं भी अपने कपड़े
पहन कर बाहर हॉल में आ चुका था। मैंने रिंकी को एक बार फिर से अपनी बाहीं
में भर और उसके गालों को चूमने लगा।
"अब बस भी करो राजा जी, वरना अगर मैं जोश में आ गई तो अपने आप को रोक नहीं
पाऊँगी...हम्म्म्म..." रिंकी ने मुझे अपनी बाँहों में दबाते हुए कहा।
"तो आ जाओ न जोश में... मेरा मन नहीं कर रहा तुम्हें छोड़ के जाने को।"
मैंने उसके होंठों को चूमते हुए मनुहार भरे शब्दों में अपनी इच्छा जताई।
"दिल तो मेरा भी नहीं कर रहा है जान, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है और सबके
वापस आने का वक़्त हो चुका है। अब आप जाओ और मैं भी जाकर अपने प्रेम की
निशानियों को साफ़ कर देती हूँ वरना किसी की नज़र पड़ गई तो आफत आ
जाएगी।"...रिंकी ने मुझे समझाते हुए कहा।
मैंने भी उसकी बात मान ली और एक आखिरी बार उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी स्कर्ट के ऊपर से उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में दबा दिया।
"उफ्फ्फ...दुखता है न... मत दबाओ न जान... पहले ही तुम्हारे लंड ने उसकी
हालत ख़राब कर दी है...अब जाने दो।" रिंकी ने तड़प कर मेरा हाथ हटाया और मुझे
प्यार से धकेल कर नीचे भेज दिया।
मैं ख़ुशी ख़ुशी सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आने लगा।
तभी मेन गेट पर आवाज़ आई और गेट खुलने लगा। मैं तेज़ी से नीचे की तरफ भागा और अपने कमरे में घुस गया।
कमरे से बाहर झाँका तो देखा कि प्रिया गेट से अन्दर दाखिल हुई... मैंने चैन
की सांस ली कि सही वक़्त पर हमारी चुदाई ख़त्म हो गई वरना आज तो प्रिया हमें
पकड़ ही लेती...
मैं अपने बिस्तर में लेट गया और थोड़ी देर पहले बीते सारे लम्हों को याद करते करते अपनी आँखें बंद कर लीं...
ख्यालों में खोये खोये कब नींद आ गई पता ही नहीं चला...
"सोनू...सोनू...उठ भी जा भाई...तबियत कैसी है?" नेहा दीदी की आवाज़ ने मेरी
नींद तोड़ी और मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गया और सामने देखा तो नेहा दीदी और
सिन्हा आंटी हाथों में ढेर सारा सामान लेकर मेरे कमरे के दरवाज़े पर खड़ी
थीं...
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