RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
मैंने फिर से अपने लंड को ठीक जगह पे रखकर सख्ती से धक्का दिया। सुपारा चूत
के छोटे से दरवाज़े में अटक गया और रिंकी ने एक जोर की सांस लेकर अपने शरीर
को कड़ा कर लिया। मैंने थोड़ा सा रुक कर एक हल्का सा धक्का और दिया। इस बार
मेरा सुपारा थोड़ा और अन्दर गया।
"उह्ह्ह...जान, थोड़ा धीरे करना...तुम्हारा लंड सच में बहुत ज़ालिम है, मेरी
हालत ख़राब कर देगा।" रिंकी ने डरते हुए अपना सर उठा कर मुझसे कहा और अपने
दांत भींच लिए।
उसकी चूत सच में बहुत कसी थी। अब तक जैसा कि मैं सोच रहा था कि उसने पहले
भी लंड खाए होंगे वैसा लग नहीं रहा था। उसकी चूत की दीवारों ने मेरे लंड के
सुपारे को पूरी तरह से जकड़ लिया था। मेरे सुपारे पे एक खुजली सी होने लगी
और ऐसा लगा मानो चूत लंड को अपनी ओर खींच रही हो।
उह्ह्ह...जान, थोड़ा धीरे
करना...तुम्हारा लंड सच में बहुत ज़ालिम है, मेरी हालत ख़राब कर देगा।" रिंकी
ने डरते हुए अपना सर उठा कर मुझसे कहा और अपने दांत भींच लिए।
उसकी चूत सच में बहुत कसी थी। अब तक जैसा कि मैं सोच रहा था कि उसने पहले
भी लंड खाए होंगे वैसा लग नहीं रहा था। उसकी चूत की दीवारों ने मेरे लंड के
सुपारे को पूरी तरह से जकड़ लिया था। मेरे सुपारे पे एक खुजली सी होने लगी
और ऐसा लगा मानो चूत लंड को अपनी ओर खींच रही हो।
मैंने अब थोड़ा जोर का झटका देने का सोचा, मुझे पता था कि जिस तरह से उसकी
चूत ने सुपारे को जकड़ा था उस अवस्था में धीरे धीरे लंड को अन्दर करना कठिन
था। मैंने अपनी सांस रोकी और एक जोरदार धक्का उसकी चूत पे दे मारा।
"आई ईई ईईई ईईईई ईईईग......मर गई......सोनू, मुझे छोड़ दो...मुझसे नहीं होगा......" रिंकी के मुँह से एक तेज़ चीख निकल गई।
उसकी चीख ने मुझे थोड़ा डरा दिया और मैं रुक गया। मैंने उसकी तरफ देखा और
अपने एक हाथ से उसके चेहरे पे अपनी उंगलियाँ बिखेर कर उसके होंठों को छुआ।
मैंने झुक कर देखा तो मेरा आधा लंड रिंकी की चूत में समा चुका था। मेरे चेहरे पर एक मुस्कान खिल गई।
"अब बस अगली बार में तो किला फ़तेह ही समझो।" मैंने अपने आप से कहा और आगे झुक कर रिंकी की चूचियों को अपने मुँह में भर लिया।
मैंने धीरे धीरे उसकी चूचियों को चुभलाना शुरू किया और दूसरी चूची को अपने हाथों से हल्के हल्के दबाने लगा।
मैंने कई कहानियों में पढ़ा था कि जब लड़की या औरत कि चूत में लंड अटक जाए या
दर्द देने लगे तो उसका ध्यान उसकी चूचियों को चूस कर बाँट देना चाहिए ताकि
वो अपना दर्द भूल जाए।
कहानियों से सीखी हुईं बातों को ध्यान में रख कर मैंने उसे प्यार से सहलाते
हुए उलझाये रखा और धीरे धीरे अपने लंड को उतना ही अन्दर रखते हुए रगड़ता
रहा। रिंकी अब शांत हो गई थी और मेरे लंड का स्वागत अपनी कमर हिला कर करने
लगी। उसने अपनी गांड नीचे से उठा कर मेरे लंड को चूत में खींचा।
मैं समझ गया कि अब असली खेल खेलने का सही वक़्त आ चुका है। मैंने फिर से एक
लम्बी सांस खींची और अपने हाथों के सहारे अपनी कमर के ऊपर के हिस्से को उठा
लिया। अब मैं तैयार था रिंकी को ज़न्नत दिखाने के लिए। मैंने सांस रोक कर
एक जबरदस्त धक्का मारा और मेरा पूरा लंड रिंकी की कोमल चिकनी मुनिया को
चीरता हुआ अन्दर घुस गया।
"आईईई ईईईई ईई ईईईई......ओह माँ......बचाओ मुझे..." रिंकी ने इतनी जोर से
चीख मारी कि उसकी आवाज़ कमरे में गूंजने लगी और उसने अपना सर उठा कर मेरे
सीने पे अपने दांत जोर से गड़ा दिए।
मैं तड़प उठा...लेकिन बिना रुके अपना लंड पूरा बाहर खींचकर एक और जोर का
झटका दिया। इस बार भी मेरा पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया पर इस बार कुछ और
भी हुआ...
रिंकी की चूत से 'फचाक' की एक आवाज़ आई और खून के एक धार बाहर निकलने लगी।
"ओह...ये तो बिल्कुल कुंवारी है।" मैंने अपने मन में सोचा और मेरी आँखें इस
बात से चमक उठीं। मैं और जोश में आ गया और तेज़ी से एक धक्का लगाया।
"आअह्ह्ह्ह...ममम्मम्म...मैं गई।" इतना बोलकर रिंकी ने अपन सर बिस्तर पर
गिरा दिया। मेरा ध्यान बरबस ही उस पर चला गया। मैंने देखा कि रिंकी की
आँखें सफ़ेद हो गईं थीं और वो बेहोश होने लगी थी।
मैं थोड़ा डर गया। मैं रुक गया और उसके गालों पे अपने हाथ से थपकी देने
लगा...थपकी देने से रिंकी ने अपनी आँखों को धीरे से खोला और मेरी तरफ देख
कर ऐसा करने लगी जैसे उसे असहनीय पीड़ा हो रही हो...
"प...प्लीज सोनू...मैं मर जाऊँगी..." रिंकी ने टूटे हुए शब्दों में मुझसे कहा।
मुझे उस पर दया आ गई। मैंने उसे पुचकारते हुए उसके होंठों को चूमा और कहा,
"बस मेरी जान, जो होना था वो हो चुका है। अब तुम्हें तकलीफ नहीं होगी।"
"ओह माँ... मुझसे भूल हो गई जो मैं तुम्हारा लंड लेने के लिए तड़प उठी।
प्लीज इसे बाहर निकाल लो...प्लीज सोनू...फिर किसी दिन कर लेना।" रिंकी ने
रोनी सी सूरत बनाकर मुझे कहा।
एक बार तो मैंने सोचा कि उसकी बात मान लूँ और उसे छोड़ दूँ...फिर मेरे दिमाग
में एक ख्याल आया कि अगर आज इसे छोड़ दिया तो फिर यह पट्ठी कभी भी मेरा लंड
लेने को तैयार नहीं होगी, इसलिए आज इसे लंड का असली मज़ा देना ही होगा ताकि
यह मेरी गुलाम बन जाए और दिन रात मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर रखे।
मैंने रिंकी के होंठों को अपने
होंठों में भरा और प्यार से चुभलाने लगा और अपने हाथों को उसकी चूचियों पे
रख कर मसलता रहा। साथ ही साथ मैंने अपने लंड को बिल्कुल धीरे धीरे उसकी चूत
में वैसे ही फंसा कर आगे पीछे करना शुरू किया।
चूत को मैंने चाट चाट कर भरपूर गीला कर दिया था और साथ ही उसकी चूत ने पानी
छोड़ कर चिकनाई और भी बढ़ा दी थी लेकिन इतनी चिकनाई के बावजूद मेरा लंड ऐसे
फंस गया था जैसे बिना तेल लगे बालों में कंघी फंस जाती है।
मैंने अपनी कोशिश जारी रखी और लंड से उसकी चूत को रगड़ता रहा। थोड़ी देर
बीतने के बाद रिंकी ने मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसना शुरू किया और
अपनी जीभ को मेरे मुँह में ठेलने लगी। अब वो अपने दर्द को भूल कर चूचियों
की मसलाई और चूत में लंड की रगड़ का मज़ा लेने लगी।
मैंने भी महसूस किया कि अब उसकी चूत ने अपना मुँह खोलना शुरू किया है। धीरे
धीरे उसकी गांड हिलने लगी और उसने मस्त होकर मुझे अपनी बाहीं में लपेट
लिया। मैंने उसका इशारा समझ लिया और उसी अवस्था में अपने लंड को बाहर निकल
कर धक्के मारने लगा। मैंने अपनी गति धीमी ही रखी थी ताकि उसे दुबारा दर्द
का एहसास न हो। मैं मंद गति से चोद रहा था और वो मेरे पीठ पे अपने हाथ फेर
रही थी। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना मुँह उसके मुँह से अलग किया और थोड़ा सा
उठ कर एक तेज़ धक्का पेल दिया।
"उम्म्म्म...हाँ...सोनू अब ठीक है...अब करते जाओ...करते जाओ..." रिंकी ने
मेरी कमर पे अपने हाथ रख दिए और अपनी गांड थोड़ा थोड़ा ऊपर उठा कर लंड का
स्वागत करने लगी।
"क्या करूँ मेरी जान...खुलकर बोलो ना?" मैंने उसे और भी मस्ती में लाने के
लिए उससे खुल कर मज़े लेने के लिए कहा और अपने लंड का प्रहार जारी रखा।
"बड़े वो हो तुम...मुझे अपनी तरह गन्दी बना दोगे क्या?" रिंकी ने मुझे प्यार भरी नज़रों से देखते हुए लंड खाते खाते कहा।
"तुम एक बार खुल कर मज़े लेने की
कोशिश तो करो रिंकी रानी...देखना तुम अपना सारा दर्द भूल कर मुझे अपनी चूत
में घुसा लोगी।" मैंने भी उसे चोदते हुए सेक्सी अंदाज़ में उसे जवाब दिया।
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