Aunty ki Chudai आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
02-07-2019, 01:11 PM,
#28
RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
रिंकी धीरे धीरे एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह मेरा लंड हिला रही थी। वो अपने 
घुटनों पर बैठ गई थी जिस वजह से उसका मुँह ठीक मेरे लंड के आगे हो गया था। 
लंड अपने पूरे जोश में था और ठनक ठनक कर उसे धन्यवाद कह रहा था। मेरा मन कर
रहा था कि अभी तुरंत रिंकी का मुँह पकड़ कर अपना लंड जड़ तक पेल दूँ और उसके
मुँह को चूत की तरह चोद दूँ। लेकिन मैंने सब्र करना ही ठीक समझा, मैं समझ 
गया था कि जब प्रिया मुझे इतना मज़ा दे सकती है तो रिंकी तो शायद खेली खाई 
है और हो सकता है वो मुझे कुछ अलग ही मज़ा दे। 



कहते हैं कि दिल से कुछ सोचो तो वो होता जरुर है। ऐसा ही हुआ... 



रिंकी अचानक से उठ गई और बाहर की ओर चली गई। मैं चौंक कर उठने लगा तो बाहर 
से उसकी आवाज़ आई,"उठाना मत सोनू, वैसे ही लेटे रहो, मैं अभी आती हूँ।" उसकी
आवाज़ में एक आदेश था। मैं हैरान भी था और उत्तेजित भी था। रिंकी का अगला 
कदम जानने की उत्सुकता थी मन में। 



तभी वो तेज़ क़दमों से कमरे के अन्दर दाखिल हुई अपने हाथों में एक हल्का पीला
सा पैकेट लेकर। सामने पहुँची तो देखा कि वो बटर का पैकेट था। शायद रिंकी 
किचन में गई थी बटर लाने... लेकिन उसका इरादा क्या था...आखिर वो इस बटर का 
करेगी क्या ? मेरे दिमाग में एक साथ कई सवाल कौंध गए। 



तभी रिंकी वापस उसी अवस्था में मेरे पैरों के पास बैठ गई और उपनी हथेली में
बटर लेकर उसे मेरे लंड पे अच्छी तरह से लगा दिया। हथेली में बचे हुए बाकी 
के बटर को उसने दोनों हाथों की हथेलियों में ऐसे लपेट लिया जैसे कोई क्रीम 
लगाते वक़्त करते हैं। 



मेरा लंड अब भी पूरी तरह से तना हुआ था और यह तो आप सब ही जानते हैं कि लंड
जब खड़ा होता है तो गर्म भी हो जाता है। मेरा लंड भी गर्म था और इस वजह से 
उस पर लगा बटर थोड़ा थोड़ा पिघलने लगा। रिंकी ने देरी न करते हुए अपने दोनों 
हथेलियों से मेरे लंड को पकड़ लिया और ऊपर नीचे करने लगी। एक तो लंड का जोश 
ऊपर से उस पर लगा बटर और सबसे ज्यादा आनन्द देने वाली रिंकी की मुलायम 
हथेलियाँ। मेरा लंड तो फूले नहीं समा रहा था।
"ह्म्म्मम्म...ओह्ह्ह्ह...रिंकी, यह क्या जादू जानती हो तुम?" मैंने मज़े में अपने मुँह से यह सिसकारी भरी आवाज़ निकाली। 



रिंकी की हल्की सी हंसी सुनाई दी, वो मेरे सामने पैरों के पास बैठी थी और 
मैं आधा लेटे लेटे उसे अपने लंड से खेलते हुए देख रहा था। रिंकी ने अपने 
होंठों पे जीभ फेरनी शुरू कर दी और अब लंड को थोड़ा तेज़ी से हिलाने लगी। 
उसने दोनों हाथों से लंड को थाम रखा था। उसने लम्बे लम्बे स्ट्रोक देने 
शुरू किये। लंड को पूरी तरह से खोलकर सुपारे को भी अपनी हथेली में लगे बटर 
से सराबोर कर दिया। 



मैंने अपने लंड को देखा तो मुझे खुद उस लंड पर प्यार आ गया। बटर की वजह से 
मेरा लंड बिल्कुल चमक सा रहा था और रिंकी के हाथों में मस्ती से खेल रहा 
था। सच कहता हूँ दोस्तों...कभी ऐसा करके देखना...मुझे दुआएं दोगे। 



रिंकी की यह करामात मुझे अन्दर तक सिहरा गई। मैं अब बर्दाश्त करने की हालत 
में नहीं रह गया। मैंने रिंकी की आँखों में देखा और बिना कुछ बोले यह विनती
करने लगा कि अब कुछ करो...वरना मैं मर ही जाऊँगा। रिंकी ने मेरी आँखों में
देखा और मुस्कुरा कर अपनी जीभ पूरी बाहर निकाल ली और मेरी आँखों में देखते
हुए मेरे सुपारे पे अपनी जीभ से छुआ। उसकी वो नज़र आज भी मेरी निगाहों में 
कैद है। उन आँखों में ऐसी कशिश थी कि बस पूछो मत।
"रिंकी ने देरी नहीं की और उठ कर 
मेरे दोनों पैरों के बीच आकर मुझ पर लेट गई। उसका नंगा बदन मेरे नंगे बदन 
से चिपक गया। मेरा लंड अब भी सख्त था और ठुनक रहा था। 



रिंकी ने मेरे लंड को अपने हाथों से नीचे की तरफ एडजस्ट किया और अपनी चूत 
की दीवार को मेरे लंड पे रख कर उसे अपनी चूत से दबा दिया। लंड तो दबने का 
नाम ही नहीं ले रहा था लेकिन रिंकी ने उसे जबरदस्ती दबाये रखा और मेरे सीने
पे अपनी चूचियों को रगड़ने लगी। 



मैं अब भी अपनी आँखें बंद किये हुए मज़े ले रहा था। 



तभी मेरे होंठों से कुछ लगा और मैंने अपनी आँखें खोल लीं। सामने देखा तो 
रिंकी अपने एक हाथ से अपनी एक चूची के निप्पल को मेरे होंठों पे रगड़ रही 
थी। मैंने उसकी निप्पल का स्वागत किया और अपने होंठ खोल कर उसे अन्दर कर 
लिया और जोर से चूस लिया। 



"उह्ह्ह्ह...धीरे जान...अभी भी दुःख रहा है।" रिंकी ने एक सिसकारी लेकर मेरे बालों में उँगलियाँ फिराते हुए कहा। 



मैंने उसे मुस्कुरा कर देखा और उसे पकड़ कर अपने बगल में पलट दिया। अब रिंकी
मदर्जात नंगी मेरी बाहों में बिस्तर पे लेटी हुई थी और मेरा मुँह उसकी 
चूची को चूस रहा था। मैंने अपने हाथ को हरकत दी और उसके चिकने बदन को ऊपर 
से नीचे तक सहलाने लगा। रिंकी मज़े से तड़पने लगी और मुँह से हल्की हल्की 
सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने अपने हाथों को उसकी जाँघों पे लेजाकर उसकी 
चिकनी जाँघों को हल्के हल्के मुट्ठी में भर कर दबाना शुरू किया। रिंकी के 
पैर खुद बा खुद अलग होने लगे। यह इस बात का इशारा था कि अब उसकी चूत कुछ 
मांग रही थी। 



मैंने अपने हाथ को उसकी जाँघों के बीच सरका दिया और धीरे धीरे ज़न्नत के 
दरवाज़े की तरफ बढ़ा। जैसे जैसे मेरे हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ रहे थे, मुझे 
कुछ गीलापन और गर्मी महसूस होने लगी। मैं समझ गया था कि इतने देर से चल रहे
इस चुदाई क्रीड़ा का असर था कि उसकी चूत ने अपना रस बाहर निकाल दिया था। 



मैंने सहसा अपना हाथ सीधे उसकी चूत पे रख दिया और उसकी छोटी सी नर्म मुलायम
चिकनी चूत मेरी हथेली में खो गई। उफ्फ्फ्फ़......क्या गर्म चूत थी, मानो 
किसी आग की भट्टी पे हाथ रख दिया हो मैंने... 



"उफ्फ्फ्फ़......सोनू..." रिंकी ने मेरे बालों को जोर से पकड़ लिया और अपनी कमर को ऊपर उठा लिया।
उसे एक झटका सा लगा और उसने अपनी 
अवस्था का ज्ञान अपनी कमर हिलाकर करवाया। मैंने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी 
में हल्के से भर कर धीरे धीरे ऐसे दबाना चालू किया जैसे कॉस्को की गेंद हो।
उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी और मेरे हथेली को रस से भर दिया था। मैं मज़े
से उसकी चूचियों को पीते पीते उसकी चूत को सहलाता रहा और अपनी उँगलियों से
चूत की दीवारों को छेड़ता रहा। 



रिंकी लगातार मेरे बालों में अपनी उँगलियों से खेलते हुए अपनी कमर उठा उठा 
कर मज़े लेती रही। उसकी रस से भरी चूत ने मुझे ज्यादा देर खुद से दूर नहीं 
रहने दिया। रस से भरी चूत मेरी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हो रही थी। मैंने 
उसकी चूचियों को मुँह से निकाल कर उसके होंठों को एक बार फिर से चूमा और 
सीधे नीचे उसकी चूत की तरफ बढ़ गया। 



उसकी चूत कमरे की रोशनी में चमक रही थी। चूत की दीवारें रस से भरी हुई थीं।
लेकिन उसकी चूत का उपरी हिस्सा जो कि पाव रोटी की तरह फूली हुई थी वो थोड़ी
खुश्क लग रही थी। शायद बालों को साफ़ करने के लिए क्रीम लगाने कि वजह से वो
जगह थोड़ी ज्यादा खुश्क हो गई थी। मैंने उस फूली हुई जगह पे अपने हाथ फेरे 
और अपना मुँह नीचे करके चूम लिया। जैसे ही मैंने चूमा, रिंकी ने एक जोर की 
सांस ली। 



मैंने लगातार कई चुम्बन उसकी चूत के ऊपरी भाग पे किये और अपने दांतों से थोड़ा सा काट लिया। 



"उईईइ...हम्म्म्म...क्या कर रहे हो मेरे राजा जी...दुखता है ना।" रिंकी ने 
इतने प्यार से और इतनी अदा के साथ कहा कि मेरा दिल खुश हो गया। 



तभी मेरी नज़र बिस्तर पे पास में रखे हुए उस पैकेट पे गई जो रिंकी किचन से 
लेकर आई थी। मैंने झट से वो पैकेट उठाया और अपनी दो उँगलियों से ढेर सारा 
मक्खन निकल कर उसकी चूत के ऊपर रख दिया। 
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RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ - by sexstories - 02-07-2019, 01:11 PM

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