RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
अब मैं अपने कमरे में अकेला यह सोचने लगा कि अब मैं क्या करूँ। पप्पू था
नहीं इसलिए बाहर जाने का दिल नहीं था। मैंने अपना कंप्यूटर चालू किया और
लगा सेक्सी फ़िल्में देखने। टेबल पे तेल की बोतल देखी और थोड़ा सा तेल अपने
हाथों में लेकर अपने लंड महाराज की सेवा करने लगा।
लगभग एक घंटे के बाद गेट पे किसी के
आने की आहट हुई। मैंने बाहर निकल कर झाँका तो पाया कि रिंकी अपने हाथों में
कुछ किताबें और एक हाथ में एक छोटी सी पोलीथिन लटकाए घर के अन्दर दाखिल
हुई। मैंने गौर से उसके हाथ में लटके पोलीथिन को देखा तो एक बड़ी सी ट्यूब
थी वीट क्रीम की ! टी वी पे कई बार इस क्रीम के बारे में देखा था।
मेरी आँखों में एक चमक आ गई, मैं समझ गया कि आज रिंकी रानी अपनी मुनिया को
चिकनी करने वाली है। मैं इस ख्याल से ही सिहर गया और उसकी झांटों भरी चूत
को याद करके यह कल्पना करने लगा कि जब उसकी चूत चिकनी होकर सामने आएगी तो
क्या नज़ारा होगा।
रिंकी ने मुझे देखकर एक सवालिया निगाहों से कुछ पूछना चाहा पर कोई शब्द
उसके मुँह से बाहर नहीं आये। और वो मुस्कुराते हुए सीढियाँ चढ़ गई और अपने
घर में चली गई। शायद वो सोच रही थी कि पप्पू मेरे कमरे में है और थोड़ी देर
में उसकी चुदाई लीला चालू हो जाएगी। लेकिन उसे क्या पता था कि आज तो उसका
यार शहर में था ही नहीं।
मेरे दिमाग में एक शैतानी भरा ख्याल आया और मैंने पूरी प्लानिंग कर ली। मैंने ठान लिया कि आज पप्पू की कमी मैं पूरी करूँगा।
मैं इस ख्याल से खुश होकर वापस अपने कमरे में घुस गया और अपने मनपसंद साईट
पे चिकनी चिकनी चूत की तस्वीरें देखने लगा। मेरा लंड खड़ा होकर सलामी देने
लगा।
मुझे पता था कि रिंकी सीधा अपने बाथरूम में घुसेगी और अपनी चूत की सफाई
करेगी। इस सब में उसे कम से कम आधा घंटा तो लगना ही था। मैंने भी जल्दी
नहीं की और आराम से वक़्त बीतने का इंतज़ार करता रहा।
थोड़ी देर में रिंकी अपने बालकनी में आई जो मेरे कमरे की खिड़की से साफ़ दिखाई
देता है। अब तक उसने अपने कपड़े बदल लिए थे और एक हल्के गुलाबी रंग का टॉप
पहन लिया था। नीचे का कुछ दिख नहीं रहा था इसलिए समझ में नहीं आया कि नीचे
क्या पहना है।
खैर, उसे देखकर मैं समझ गया कि उसने अपना काम पूरा कर लिया है और अब वो अपने प्रीतम का इंतज़ार कर रही है।
थोड़ी देर वहाँ खड़े रहने के बाद वो अन्दर चली गई।
अब मैंने अपने धड़कते दिल को संभाला और हिम्मत जुटा कर अपने कमरे से बाहर
निकल कर सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने लगा। मेरे मन में ये ख्याल चल रहे थे कि किस
तरह से इस मौके का फायदा उठाया जाए। मुझे इतना तो विश्वास था कि आज रिंकी
पूरी तरह से मानसिक रूप से अपनी चूत में लंड लेने के लिए तैयार है। बस उसे
थोड़ा सा उत्तेजित करने की जरुरत है फिर वो खुद बा खुद अपनी टाँगें फैला कर
लंड का स्वागत करेगी।
मैं ऊपर पहुँच गया और हॉल में जाकर रिंकी को आवाज़ लगाई। रिंकी वहीं सोफे पे बैठी थी और टी वी पर फिल्म देख रही थी।
मुझे देख कर उसने स्माइल दी और मेरे पीछे देखने लगी। उसे लगा शायद पप्पू
मेरे पीछे पीछे आ रहा होगा। लेकिन किसी को न देख कर उसका चेहरा थोड़ा सा
उदास हो गया।
"आओ, सोनू...बैठो। कुछ काम था क्या?" बड़े भोलेपन से रिंकी ने मुझसे पूछा।
"हाँ जी, आपको एक सन्देश देना था। इसीलिए आपके पास आना पड़ा।" मैंने
मुस्कुराते हुए कहा और उसके बगल में जाकर सोफे पे बैठ गया। हम दोनों एक बड़े
से सोफे पे एक एक किनारे पे एक दूसरे की तरफ मुड़कर बैठ गए।
मैं गौर से रिंकी की आँखों में देख रहा था और मुस्कुरा रहा था। रिंकी भी
एकटक मुझे देखे जा रही थी फिर उसने चुप्पी तोड़ी,"हाँ बोलो, कुछ बोलने वाले
थे न तुम...?"
"हाँ, असल में तुम्हारे लिए एक बुरी खबर है। पप्पू को अचानक किसी जरुरी काम
से रांची जाना पड़ा इसलिए वो आज नहीं आ सकता।" मैंने पप्पू का नाम लेते हुए
उसे आँख मारी।
रिंकी मेरी इस हरकत से थोड़ा शरमा गई और पप्पू के बाहर जाने की बात सुनकर थोड़ा उदास हो गई।
"अरे चिंता मत करो, मैं हूँ ना !! तुम्हें बोर नहीं होने दूँगा।" इतना कहते
हुए मैं थोड़ा सा सरक कर उसके करीब चला गया। अब हमारे बीच महज कुछ इंच का
ही फासला रह गया था।
"वैसे आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो।" मैंने उसके ऊपर अपना जाल डालते हुए कहा।
"क्यूँ, आज से पहले कभी नहीं लगी क्या?" रिंकी ने अपनी तारीफ सुनकर थोड़ा सा लजाते हुए मुझे उलाहना देने के अंदाज में पूछा।
"ऐसी बात नहीं है, असल में कभी तुम्हें उस नज़र से देखा नहीं था लेकिन आज तो
तुम्हारे ऊपर से मेरी नज़र ही नहीं हट रही है।"मैंने एक लम्बी सांस लेते
हुए उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी आँखों में बिना पलकें झपकाए देखने लगा।
"हाँ जी...आपको फुर्सत ही कहाँ है जो आप मेरी तरफ देखोगे। तुम्हारी आँखें
तो आजकल किसी और को देखती रहती हैं।" रिंकी ने दिखावटी गुस्सा दिखाते हुए
कहा।
"यह क्या बात हुई, मैंने कभी किसी को नहीं देखा यार...मेरे पास इतना वक़्त
ही कहाँ है।" मैंने कहते हुए उसके हाथों को अपने हाथों से सहलाने लगा।
"अब बनो मत...मेरे पास भी आँखें हैं और मुझे भी सब दिखता है कि आजकल साहब कहाँ बिजी रहते हैं..." रिंकी ने इस बार मुझे आँख मारी।
मैं समझ गया कि वो बीती रात की बात कर रही है। मैं थोड़ी देर के लिए चुप सा हो गया लेकिन उसकी तरफ देखता ही रहा।
"बड़े थके थके से लग रहे हो, रात भर सोये नहीं क्या?" रिंकी ने मेरी आँखों में देखते हुए पूछा।
"मेरी छोड़ो, तुम अपनी बताओ...लगता है तुम्हें रात भर नींद नहीं आई...शायद
किसी का इंतज़ार करते करते बेचैन हो रही होगी रात भर, है न?" मैंने उल्टा
उसके ऊपर एक सवाल दगा और उसके हाथ को धीरे से दबा दिया।
उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए एक ठण्डी सांस भरी...
"अपनी आँखों के सामने वो सब होता देख
कर किसी नींद आएगी।" रिंकी ने अब मेरे जांघ पर अपने दूसरे हाथ से एक चपत
लगाते हुए कहा और फिर अपने हाथ को वहीं रहने दिया।
मैंने उस वक़्त एक छोटी सी निकर पहनी हुई थी जो कि मेरे जांघों के बहुत ऊपर
तक उठा हुआ था। जब रिंकी ने अपने हाथ रखे तो वो आधा मेरे निकर पे और आधा
मेरी जांघों पे था। मेरी टांगों पे ढेर सारे बाल थे। रिंकी ने अपनी
उँगलियों से थोड़ी सी हरकत करनी शुरू कर दी और मेरे जांघों को धीरे धीरे
सहलाने लगी।
मेरी तो मानो मन की मुराद ही पूरी हो रही थी। मैं मन ही मन खुश हो रहा था
यह सोच कर कि अब मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। मैं अब सीधा आगे बढ़
सकता था लेन मैंने उसे छेड़ने के लिए अनजान बनते हुए पूछा,"ऐसा क्या देख
लिया तुमने जो तुम्हें रात भर नींद नहीं आ रही थी। वैसे मुझे पता है कि तुम
असली बात छुपा रही हो, असल में तुम पप्पू का इंतज़ार कर रही थी और ..."
रिंकी मेरे मुँह से यह सुनकर थोड़ा शरमा सी गई और मेरे जांघों पर फिर से
मारा। मैंने झूठ मूठ ही बचने के लिए उसका हाथ खींचा तो वो मेरे ऊपर गिर पड़ी
और उसकी मौसम्मी सी चूचियाँ मेरे हाथों को रगड़ने लगीं। एकदम से नर्म
मुलायम चूचियों के स्पर्श से मेरा लंड जो कि पहले से ही अपने रोवाब पे था
और भी तन गया।
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