Aunty ki Chudai आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
06-12-2017, 11:20 AM,
#21
RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
"घबराओ मत, इसे तो आज मैं चूस चूस कर खा ही जाऊँगी। बहुत दिन से तड़प रही थी
तुम्हारा लण्ड खाने के लिए...लेकिन तुम तो बुद्धू हो, इशारा ही नहीं समझते
और अपने हाथों से ही इस बेचारे को तकलीफ देते रहते हो। आज के बाद तुम इसे 
हाथ मत लगाना, जब भी यह खड़ा हो तो मुझे बता देना मैं इसे चूस कर शांत कर 
दूँगी...!" प्रिया ने यह कहते हुए मुझे आँख मारी। 



मैं उसकी बातों से हैरान पर हैरान हो रहा था, पता नहीं वो कब से यह करना 
चाहती थी और मैं बेवक़ूफ़ ब्लू फ़िल्में और कहानियाँ पढ़ पढ़ कर मुठ मार रहा था।
मैंने अब खुलकर बात करने की सोची और झुक कर उसके होठों को चूम लिया। 



"मेरी जान, मेरी प्रिया रानी अगर पहले बता दिया होता तो मैं इतना परेशान 
नहीं होता ना और अब तक तो तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना दिया होता।" मैंने 
उसका सर सहलाते हुए कहा। 



मेरे ऐसा बोलने से प्रिया ने एक जोर की सांस ली और मुझे देखकर मुस्कुराते 
हुए मेरे लण्ड पर पप्पी करी और कहने लगी,"कोई बात नहीं अब तो मैं तुम्हारी 
हो गई हूँ...जब चाहे मुझसे अपनी प्यास बुझा लेना...लेकिन मुझे डर लग रहा 
है, तुम्हारा यह मोटा लम्बा लण्ड मेरी छोटी सी मुनिया को फाड़ ही 
डालेगा...कैसे झेल पाऊँगी इसको...?" 



"अरे मेरी रांड, तू एक बार इसे चूस चूस कर चिकना तो कर फिर देखना तेरी चूत 
कैसे इसे अपने अन्दर ले लेती है।" मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में फ़िर से 
ठूंस दिया और धक्के मारने लगा। 



वो किसी अनुभवी रंडी की तरह मज़े से मेरा लण्ड चूसने लगी और साथ साथ मेरे 
गोलों से भी खेलने लगी। उसने मेरे गोलों को दबाना शुरू किया और धीरे धीरे 
मेरा पूरा लण्ड अपने गले तक उतार लिया। 



लण्ड चुसवाने में कितना मज़ा है, यह बस वो जानते हैं जिनका लण्ड कभी किसी ने प्यार से चूसा हो। 



प्रिया पूरी तन्मयता से मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं अपनी आँखें बंद करके 
मज़े ले रहा था। मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और बिल्कुल चूत की तरह 
उसका मुँह चोदने लगा। मैं अब अपने चरम सीमा पर था। काफी देर से उसकी 
चूचियों और चूत का मज़ा लेते लेते मेरा लण्ड अपना माल बाहर निकालने के लिए 
तड़प रहा था। 



"हाँ मेरी जान...हाँ...ऊह्ह ...हह्मम्म...और चूसो...और चूसो...मैं आ रहा 
हूँ...हम्म्म्म." मैंने उसका सर अपने लण्ड पर दबाते हुए कहा। 



जैसे ही प्रिया ने यह सुना कि मैं आनेवाला हूँ तो उसने लण्ड अपने मुँह से 
निकाल लिया। मैं अचानक से हुई इस अनहोनी से तड़प उठा। मैं उसके मुँह में ही 
झाड़ना चाहता था, पर शायद उसे यह पसंद नहीं था तो उसने अपने दोनों हाथों से 
मेरा लण्ड जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया और मेरे लण्ड को चूमने लगी। 



"आःह्ह्ह...ह्म्म्मम्म...आःह्ह्ह..." और मैंने ढेर सारा माल एक जोरदार पिचकारी के साथ उसके पूरे मुँह पर छोड़ दिया... 



प्रिया ने अपनी आँखें बंद कर लीं और तब तक लण्ड हिलाती रही जब तक उसमें से 
एक एक बूँद बाहर नहीं आ गई। मैं पूरी तरह से निढाल हो गया और धम्म से पीठ 
के बल बिस्तर पर गिर पड़ा। मेरी आँखें उस चरम आनन्द की वजह से बंद हो गई थीं
और मेरा लण्ड अपना सर उठाये छत को निहार रहा था और थोड़ा थोड़ा ठुनक रहा था 
जैसे माल निकलने के बाद होता है। 



प्रिया अब भी वहीं बैठी मेरे लण्ड रस का मज़ा ले रही थी। मैंने धीरे से अपनी
आँखें खोलकर देखा तो पाया कि उसने अपने हाथों में चेहरे पर लगे रस को लेकर
अपनी चूचियों पर मलना शुरू कर दिया है। 



हे भगवन, यह लड़की तो सच में पूरी रंडी है...मैंने सोचते हुए फिर से अपनी नज़रें फेर लीं और अपनी गर्दन घुमा ली। 



प्रिया वहाँ से उठी और उसी हालत में सीधे बाथरूम में चली गई। 



मैंने भी उठकर अपन लण्ड अपने पैंट में डाला और घडी की तरफ देखा तो साढ़े 
बारह बज चुके थे। मेरे मन में यह ख्याल आने लगा कि अभी तक सिन्हा आंटी ने 
प्रिया को आवाज़ क्यूँ नहीं लगाईं। शायद वो सो गई होंगी। लेकिन मेरा सोचना 
गलत था यारों... 



मैंने अपनी खिड़की के परदे के पीछे कुछ हलचल महसूस करी। जैसे कोई चुप कर 
अन्दर का सारा हाल देख रहा हो। मेरी एक बार फिर से फट गई। हम दोनों अपने 
चूमा चाटी के खेल में इतने खोये हुए थे कि हमें पता ही नहीं चला कि हमने 
खिड़की तो बंद ही नहीं की थी। 



मैं डर कर सहम गया कि पता नहीं कौन हो सकता है। घर पर सब लोग हैं। नेहा 
दीदी और रिंकी बगल वाले कमरे में सोई हुई थी...कहीं उनमें से किसी ने तो 
नहीं देख लिया...या फिर सिन्हा आंटी !! 



मैं इस सोच में था कि तभी प्रिया बाथरूम से बाहर आई और आकर धड़ाम से बिस्तर 
पर गिर गई। उसने अपने कपड़े ठीक कर लिए थे और मुँह धो लिया था। मैंने एक बार
उसकी तरफ देखा और फिर दरवाज़े की तरफ बढ़ा। 



जैसे ही मैंने दरवाज़े की कुण्डी खोलनी चाही तो कुण्डी की आवाज़ सुनकर किसी 
के तेज़ क़दमों की आहट सुनाई दी, मानो कोई भाग रहा हो। और फिर आई एक आवाज़ 
जिसे सुनकर मैं चौंक पड़ा। 



पायल की झंकार थी उस क़दमों की आहट में और सीढ़ियों पर तेज़ तेज़ चढ़ने की आवाज़।
अब मेरा शक यकीन में बदल गया, वो और कोई नहीं सिन्हा आंटी ही थीं। मेरा 
सारा जोश एक ही बार में पूरा ठंडा हो गया। अब तो मेरी खैर नहीं... 
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RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ - by sexstories - 06-12-2017, 11:20 AM

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