RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
मैंने उसका स्कर्ट छोड़ कर उसके चूत को अपनी दो उँगलियों से फैला दिया और अन्दर के गुलाबी भाग को अपनी जुबान से चाटने लगा...
प्रिया ने अपन स्कर्ट अब अपने हाथों से ऊपर कर दिया और सिसकारियाँ लेकर मज़े लेने लगी।
"हाँ...बस ऐसे ही सोनू... ह्म्म तुमने मुझे पागल कर दिया है...हाँ...ऐसे ही
चाटो...उफफ्फ्फ्फ़...और अन्दर तक चाटो...घुस जाओ पूरा मेरी चूत
में...ह्म्म्म मेरे रजा...आज मुझे ज़न्नत दिखा दो..."
प्रिया के मुँह से अचानक 'चूत' शब्द सुनकर मैं सन्न रह गया। मुझे यह उम्मीद
नहीं थी कि वो इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करेगी या वो जानती भी
होगी...कसम से दोस्तों, ये लड़कियाँ सब जानती हैं...जरुरत है तो बस एक बार
उन्हें छेड़ देने की ! फिर देखो...
"ओह्ह्ह्हह...मां...मुझे कुछ हो रहा है सोनू...प्लीज कुछ करो...मैं मर
जाऊँगी।" प्रिया ने मेरे बाल जोर से खींचते हुए मेरा मुँह अपनी योनि से हटा
दिया और मेरी आँखों में देखने लगी। उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई भूखी
शेरनी हो।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और वापस अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया और उसकी चूत
की खुशबू लेते हुए अपना काम चालू कर दिया। उसकी आवाजें बढ़ने लगी थीं...
मुझे डर लगने लगा कि कहीं कोई सुन न ले। लेकिन मैं रुका नहीं और चूत की
चुसाई जारी रखी।
"ह्म्म...ह्म्म... ह्ह्मम्म्म्म...और और और...हाँ...चाटो..." प्रिया की
आवाज़ तेज़ हो गई और उसके पाँव और ज्यादा कांपने लगे। उसने अपना हाथ मेरे
हाथों से छुड़ा कर मेरा सर पकड़ लिया और जोर जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी...
"आआअह्ह ह्ह...हम्मम्मम्म...बस सोनू...अब बस..." इतना कहते कहते उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और वापस अपना
मुँह उसकी चूत से लगा दिया और उसकी चूत की खुशबू लेते हुए अपना काम चालू कर
दिया। उसकी आवाजें बढ़ने लगी थीं... मुझे डर लगने लगा कि कहीं कोई सुन न
ले। लेकिन मैं रुका नहीं और चूत की चुसाई जारी रखी।
"ह्म्म...ह्म्म... ह्ह्मम्म्म्म...और और और...हाँ...चाटो..." प्रिया की
आवाज़ तेज़ हो गई और उसके पाँव और ज्यादा कांपने लगे। उसने अपना हाथ मेरे
हाथों से छुड़ा कर मेरा सर पकड़ लिया और जोर जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी...
"आआअह्ह ह्ह...हम्मम्मम्म...बस सोनू...अब बस..." इतना कहते कहते उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया।
जिंदगी में पहली बार किसी चूत का स्वाद चखा मैंने, थोड़ा नमकीन, थोड़ा खट्टा...एक मस्त सा स्वाद था...
मैंने एक एक बूँद अपनी जुबान से चाट कर पी लिया। लेकिन मैंने अब भी उसकी चूत को चाटना छोड़ा नहीं था।
प्रिया ने मेरा मुँह हटा कर अपने हाथों से अपनी चूत को ढक लिया और अचानक से नीचे बैठ गई।
उसके माथे पर पसीने की बूँदें साफ झलक रही थीं... उसने मेरी तरफ देख और
मेरे होठों पर लगे उसके चूत के कामरस को देखा और शर्म से अपनी आँखें नीचे
कर लीं। मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके गालों पर पप्पी करने
लगा। वो अब भी जोर जोर से साँसे लेते हुए मुझे अपनी तरफ खींच रही थी।
मैं अचानक उसे बैठा हुआ छोड़ कर खड़ा हो गया। मेरे खड़ा होते ही मेरा विकराल
लण्ड जिसने की पैंट में तम्बू बना रखा था, उसके सामने ठीक उसके मुँह के पास
आ गया।
प्रिया ने देरी न करते हुए उसे पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और दबाने लगी।
उसने एक बार अपनी नज़र उठा कर ऊपर देखा और मेरी आँखों में देखकर एक मुस्कान
दी। उसकी वो मुस्कान मैं आज तक नहीं भूला।
उसने मेरा लण्ड छोड़ कर अपने हाथों से मेरा शॉर्ट्स नीचे खींच दिया। लण्ड
पूरा अकड़ा हुआ था इसलिए उसकी इलास्टिक लण्ड पर तक गई और नीचे नहीं आ पाई।
प्रिया ने ऊपर से हाथ डाल कर मेरे लण्ड को पकड़ा और फिर धीरे से उसे आजाद कर
दिया।
"ऊफ्फ...!" प्रिया के मुँह से फिर से वैसे ही आवाज़ बाहर आई जैसे उसने दोपहर में मेरा लण्ड देखकर कहा था।
मेरा लण्ड लोहे की तरह कड़क हो चुका था और उसकी नसें साफ़ साफ़ दिखाई दे रही
थीं...प्रिया ने उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और गौर से देखने लगी।
लण्ड का सुपारा अपनी चमड़ी के अन्दर बंद था लेकिन आधा खुला हुआ था और उसके
छेद पर कामरस की कुछ बूँदें उभर आईं थी। प्रिया गौर से उस रस को देख रही
थी।
मेरा जी कर रहा था कि पूरा लण्ड उसके मुँह में उतार दूँ, लेकिन मैं कोई
जबरदस्ती या जल्दबाजी नहीं करना चाहता था वरना हाथ में आई हुई चिड़िया उड़
सकती थी।
तभी मेरी कल्पना के परे प्रिया ने अपने होठों से मेरे लण्ड के सुपारे पर आई
बूँद को चूम लिया और दनादन उस पर पप्पियाँ देने लगी। मैं इस अदा से इतने
जोश में आगे कि मेरे लण्ड ने दो तीन और बूँदें बाहर निकाल दी जिसे उसने
प्यार से चाट लिया।
प्रिया ने अपनी जीभ बाहर निकली और मेरे लण्ड के ठीक छेद पर रख दिया...
"ओह्ह्ह्हह...प्रिया !"
मेरे मुँह से बस इतना ही निकल सका और मैंने अपना एक हाथ उसके सर पर रख
दिया। प्रिया ने अपनी जुबान से मेरे लण्ड की लम्बाई नापनी शुरू कर दी।
कसम से कहता हूँ दोस्तो, जो हरकतें वो कर रही थी वो बस एक खेली खाई लड़की या औरत ही कर सकती थी। मैं उसकी इस अदा पर हैरान था।
उसने धीरे धीरे मेरा लण्ड अपने होठों पर रगड़ना शुरू किया और कभी कभी अपना
मुँह खोलकर अन्दर लेने की कोशिश भी करने लगी। लण्ड का आकार बड़ा था इसलिए
उसे थोड़ी परेशानी हो रही थी लेकिन उसने अपना काम जरी रखा और चाटते सहलाते
हुए लण्ड थोड़ा सा अपने मुँह के अन्दर डाल लिया। मेरा सुपारा अब उसके मुँह
में था और वो हल्की हल्की ह्म्म की आवाज़ के साथ आगे पीछे करने लगी।
मैं जितना हो सके बर्दाश्त करते हुए अपना लण्ड चुसवा रहा था और यह कोशिश कर
रहा था कि वो मेरा पूरा लण्ड अपने मुँह में भर ले। मैंने इसी कोशिश में
अपने लण्ड को एक झटका दिया और मेरा आधा लण्ड अन्दर चला गया।
"गूं...गूं...हम्म्म्म..." ऐसा कहकर उसने लण्ड चूसना छोड़ कर मेरी तरफ देखा
और झटके से लण्ड को बाहर निकाल दिया... उसकी आँखें बड़ी बड़ी हो गईं थीं..।
"जान ही निकल दोगे क्या...एक तो इतना बड़ा लण्ड पाल रखा है और ..." उसने बड़ी अदा के साथ लण्ड को हिलाते हुए मुझसे कहा।
"नहीं मेरी रानी, तुम तो मेरी जान हो, मैं तुम्हारी जान कैसे ले सकता हूँ।
प्लीज थोड़ा और चूसो ना..." इतना कहते हुए मैंने अपना लण्ड उसके मुँह के पास
किया।
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