RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
हम सबने अपना अपना खाना खत्म किया और अपने अपने कमरे की तरफ चल पड़े। रिंकी
और नेहा दीदी उनके कमरे में चले गए। आंटी घर का बिखरा हुआ सामान समेटने में
लग गईं। प्रिया भी अपने कमरे में चली गई अपने नोट्स और किताबें लेने के
लिए। मैं नीचे अपने कमरे में आ गया और कंप्यूटर पर बैठ कर मेल चेक करने
लगा।
मेल चेक करने के साथ साथ मैंने एक दूसरी विंडो में अपनी फेवरेट पोर्न साईट
खोल लिया। मैं कुछ चुनिन्दा पोर्न साइट्स का दीवाना था और आज भी हूँ। जब तक
एक बार उन साइट्स को चेक न कर लूँ मुझे नींद ही नहीं आती।
थोड़ी देर के बाद मुझे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। मैंने कंप्यूटर पर
विंडो बदल दिया और फ़िर से मेल देखने लगा। मुझे लगा था कि प्रिया अपनी
किताबें लेकर आई होगी लेकिन मुझे पायल के छनकने की आवाज़ सुनाई दी।
मेरे दिमाग ने झटका खाया और मुझे याद आया कि ये सिन्हा आंटी हैं, क्यूंकि एक वो ही थीं जो पायल पहनती थीं।
वैसा ही हुआ और आंटी मेरे कमरे में दो दूध के गिलास लेकर दाखिल हुई।
उन्होंने मेरी तरफ प्यार भरी नज़रों से देखा और मेरे मेज पर ग्लास रख दिया।
उन्होंने मेरे माथे पर हाथ रखते हुए कहा,"ये तुम दोनों के लिए है, पी लेना
और आराम करना, तुम्हारी तबीयत ठीक हो जाएगी। दूध में हल्दी भी मिला दी है,
तुम्हें पिछले कुछ दिनों से कमजोरी सी महसूस हो रही है न, इसे पीकर
तुम्हारे अन्दर ताक़त आ जाएगी और तुम्हें अच्छा लगेगा।"
मैं चुपचाप आंटी की बातें सुनता रहा और उनके बदन से आती खुशबू का मज़ा लेता
रहा। सच में यारों, एक अजीब सी महक आ रही थी उनके बदन से...बिल्कुल मदहोश
कर देने वाला एहसास था वो।
आंटी वापस चली गई और मैं उनकी खुशबू में खोया अपनी आँखें बंद करके सोच में
पड़ गया कि मैं करूँ क्या। एक तरफ रिंकी थी जिसकी हसीं चूचियों और चूत के
दर्शन मैं कर चुका था, दूसरी तरफ प्रिया थी जो अपनी अदाओं और बातों से मेरा
लण्ड खड़ा कर चुकी थी और तीसरी ये आंटी जिनकी तरफ मैं खुद बा खुद खिंचता
चला जा रहा था।
सच कहूँ तो मैं पूरी तरह से असमंजस में था, क्या करूँ क्या न करूँ। मैंने
एक गहरी सांस ली और अपने कंप्यूटर पर वापस पोर्न साईट देखने लगा। मैं अपनी
धुन में पोर्न विडियो देख रहा था और अपने लण्ड को पैंट के ऊपर से ही सहला
रहा था। मैं इतना ध्यान मग्न था कि मुझे पता ही नहीं चला की कब प्रिया मेरे
कमरे में आ चुकी थी और मेरे बगल में खड़े होकर कंप्यूटर पर अपनी आँखें गड़ाए
हुए चुदाई की फिल्म देख रही थी।
उसकी तेज़ सांस की आवाज़ ने मेरी तन्द्रा तोड़ी और मैंने बगल में देखा तो
प्रिया फिर से उसी हालत में थी जैसे उसकी हालत दोपहर में मुझे मुठ मारते
हुए देख कर हुई थी।
मैंने झट से कंप्यूटर की स्क्रीन बंद कर दी और अपने कमरे के बाथरूम में भाग
गया। मैंने बाथरूम में घुस कर नल खोल दिया और कमोड पर बैठकर अपनी साँसों
को सम्हालने लगा।
अब तो मैंने सोच लिया कि मेरी वाट लगने वाली है। यह दूसरी चोरी थी जो
प्रिया ने पकड़ी थी। मैं सच में समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ। फिर मैंने
थोड़ी सी हिम्मत जुटाई और बाथरूम से बाहर निकला।
जब मेरी नज़र कमरे में पड़ी तो मैंने प्रिया को बिस्तर पर अपनी किताबों और
नोट्स के साथ पाया। मैंने चुपचाप अपनी कुर्सी खींची और उसके सामने बैठ गया।
प्रिया बिस्तर पर अपने दोनों पैर मोड़ कर बैठी थी और झुक कर अपने नोट्स लिख
रही थी। मैंने उसकी एक किताब उठाई और देखने लगा। किताबों में लिखे शब्द
मुझे दिख ही नहीं रहे थे। मैं परेशान था और थोड़ा डरा हुआ भी, पता नहीं
प्रिया अब क्या कहेगी।
मैंने धीरे से अपनी नज़र उठाई और उसकी तरफ देखा, उसके चेहरे पर एक अजीब सी
मुस्कान थी और और वो थोड़ा झुकी हुई थी। उसके टॉप का गला पूरा खुला हुआ था
और जब उसके अन्दर से झांकती हुई चूचियों पर मेरी नज़र गई तो मैं एक बार फिर
से सिहर उठा। मुझे एहसास हुआ कि शायद उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, तभी तो
उसकी साँसों के साथ साथ उसके अनार ऊपर नीचे हो रहे थे और पूरे स्वछंद होकर
हिल रहे थे।
मेरा लण्ड फिर से शरारत करने लगा और अपन सर उठाने लगा। मैं ऐसी तरह से बैठा
था कि चाह कर भी अपने लण्ड को हाथों से छिपा नहीं सकता था। लेकिन लण्ड था
कि मानने को तैयार ही नहीं था। मैंने मज़बूरी में अपने हाथ को नीचे किया और
अपने लण्ड को छिपाने की नाकाम कोशिश की। मेरी इस हरकत पर प्रिया की नज़र पड़
गई और उसने मेरी आँखों में देखा।
हम दोनों की आँखें मिलीं और मैंने जल्दी ही अपनी नज़र नीचे कर ली।
"बताओ, तुम्हें कैसी मदद चाहिए थी प्रिया? क्या नोट्स बनाने हैं तुम्हें?" मैंने किताब हाथों में पकड़े हुए उससे पूछा।
"बताती हूँ बाबा, इतनी जल्दी क्या है। अगर आपको नींद आ रही है तो मैं जाती हूँ।" प्रिया ने थोड़ा सा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा।
"अरे ऐसी बात नहीं है, तुम्हीं तो कह रही थी न कि तुम्हें जरूरी नोट्स
बनाने हैं। मुझे नींद नहीं आ रही है अगर तुम चाहो तो मैं रात भर जागकर
तुम्हारे नोट्स बना दूंगा।" मैंने उसको खुश करने के लिए कहा।
"अच्छा जी, इतनी परवाह है मेरी?" उसने बड़ी अदा के साथ बोला और अपने हाथों
से नोट्स नीचे रखकर अपनी टाँगें सीधी कर लीं और अपने कोहनी के बल बिस्तर पर
आधी लेट सी गई।
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