RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
करीब एक घंटे के बाद दीदी और आंटी शोपिंग के लिए निकल गईं। जाते जाते आंटी
ने रिंकी को मेरा ख्याल रखने के लिए कह दिया। रिंकी ने भी कहा कि वो नहा कर
नीचे ही आ जायेगी और अगर मुझे कुछ जरुरत हुई तो वो ख्याल रखेगी।
मैं खुश हो गया और पप्पू को फोन करके सारी बात बता दी। दीदी और आंटी को गए
हुए आधा घंटा हुआ था कि पप्पू मेरे घर आ गया और हम दोनों ने एक दूसरे को
देखकर आँख मारी।
“सोनू मेरे भाई, तेरा यह एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूलूँगा। अगर कभी मौका
मिला तो मैं तेरे लिए अपने जान भी दे दूँगा।” पप्पू बहुत भावुक हो गया।
“अबे यार, मैंने पहले भी कहा था न कि दोस्ती में एहसान नहीं होता। और रही
बात आगे कि तो ऐसे कई मौके आयेंगे जब तुझे मेरी हेल्प करनी पड़ेगी।” मैंने
मुस्कुरा कर कहा।
“तू जो कहे मेरे भाई !” पप्पू ने उछल कर कहा।
हम बैठ कर इधर उधर की बातें करने लगे, तभी हम दोनों को किसी के सीढ़ियों से
उतरने की आवाज़ सुनाई दी। हम समझ गए कि यह रिंकी ही है। मैं जल्दी से वापस
बिस्तर पर लेट गया और पप्पू मेरे बिस्तर के पास कुर्सी लेकर बैठ गया।
रिंकी अचानक कमरे में घुसी और वहाँ पप्पू को देखकर चौंक गई। वो अभी अभी
नहाकर आई थी और उसके बाल भीगे हुए थे। रिंकी के बाल बहुत लंबे थे और लंबे
बालों वाली लड़कियाँ और औरतें मुझे हमेशा से आकर्षित करती हैं। उसने एक झीना
सा टॉप पहन रखा था जिसके अंदर से उसकी काली ब्रा नज़र आ रही थी जिनमें उसने
अपने गोल और उन्नत उभारों को छुपा रखा था।
मेरी नज़र तो वहीं टिक सी गई थी लेकिन फिर मुझे पप्पू के होने का एहसास हुआ और मैंने अपनी नज़रें उसके उभारों से हटा दी।
रिंकी थोड़ा सामान्य होकर मेरे पास पहुँची और मेरे माथे पर अपना हाथ रखा और
मेरी तबीयत देखने लगी। उसके नर्म और मुलायम हाथ जब मेरे माथे पर आये तो मैं
सच में गर्म हो गया और उसके बदन से आ रही खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया था।
अगर थोड़ा देर और उसका हाथ मेरे सर पर होता तो सच में मैं कुछ कर बैठता। मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया और उसे बैठने को कहा।
रिंकी ने एक कुर्सी खींची और मेरे सिरहाने बैठ गई। पप्पू ठीक मेरे सामने था
और रिंकी मेरे पीछे इसलिए मैं उसे देख नहीं पा रहा था। मैंने ध्यान से
पप्पू की आँखों में देखा और यह पाया कि उसकी आँखें चमक रही थीं और वो अंकों
ही आँखों में इशारे कर रहा था, शायद रिंकी भी उसकी तरफ इशारे कर रही थी।
पप्पू बीच बीच में मुझे देख कर मुस्कुरा भी रहा था और तभी मैंने उसकी आँखों
में एक आग्रह देखा जैसे वो मुझसे यह कह रहा हो कि हमें अकेला छोड़ दो।
उसकी तड़प मैं समझ सकता था, मैंने अपने बिस्तर से उठने की कोशिश की तो पप्पू
भाग कर मेरे पास आया और मुझे सहारा देने लगा। हम दोनों ही बढ़िया एक्टिंग
कर रहे थे।
मैंने धीरे से अपने पाँव बिस्तर से नीचे किये और उठ कर बाथरूम की तरफ चल
पड़ा,“तुम लोग बैठ कर बातें करो, मैं अभी आता हूँ।” इतना कह कर मैं अपने
बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचा और धीरे से पलट कर पप्पू को आँख मारी।
पप्पू ने एक कातिल मुस्कान के साथ मुझे वापस आँख मारी। मैं बाथरूम में घुस गया और उन दोनों को मौका दे दिया अकेले रहने का।
मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और कमोड पर बैठ गया। पाँच मिनट ही हुए थे
कि मुझे रिंकी की सिसकारी सुनाई दी। मेरा दिमाग झन्ना उठा। मैं जल्दी से
बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचा और दरवाजे के छेद से कमरे में देखने की कोशिश
करने लगा।
“हे भगवान !!” मेरे मुँह से निकल पड़ा। मैंने जब ठीक से अपनी आँखें कमरे में
दौड़ाई तो मेरे होश उड़ गए। पप्पू ने रिंकी को अपनी बाहों में भर रखा था और
दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे जैसे बरसों के बिछड़े हुए प्रेमी मिले हों।
मेरी आँखे फटी रह गईं। मैंने चुपचाप अपना कार्यक्रम जारी रखा और उन दोनो ने अपना।
पप्पू ने रिंकी को अपने आगोश में बिल्कुल जकड़ लिया था। उन दोनों के बीच से
हवा के गुजरने की भी जगह नहीं बची थी। रिंकी की पीठ मेरी तरफ थी और पप्पू
उसके सामने की तरफ। दोनों एक दूसरे के बदन को अपने अपने हाथों से सहला रहे
थे।
तभी दोनों धीरे धीरे बिस्तर की तरफ बढ़े और एक दूसरे की बाहों में ही बिस्तर पर लेट गए। दोनों एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे।
उनके बिस्तर पर जाने से मुझे देखने में आसानी हो गई थी क्यूंकि बिस्तर ठीक मेरे बाथरूम के सामने था।
पप्पू ने धीरे धीरे रिंकी के सर पर हाथ फेरा और उसके लंबे लंबे बालों को
उसके गर्दन से हटाया और उसके गर्दन के पिछले हिस्से पर चूमने लगा। रिंकी की
हालत खराब हो रही थी, इसका पता उसके पैरों को देख कर लगा, उसके पैर
उत्तेजना में इधर उधर हो रहे थे। रिंकी अपने हाथों से पप्पू के बालों में
उँगलियाँ फिरने लगी। पप्पू धीरे धीरे उसके गले पर चूमते हुए गर्दन के नीचे
बढ़ने लगा। मज़े वो दोनों ले रहे थे और यहाँ मेरा हाल बुरा था। उन दोनों की
रासलीला देख देख कर मेरा हाथ न जाने कब मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड पर
चला गया पता ही नहीं चला। मेरे लंड ने सलामी दे दी थी और इतना अकड़ गया था
मानो अभी बाहर आ जायेगा।
मैंने उसे सहलाना शुरू कर दिया।
उधर पप्पू और रिंकी अपने काम में लगे हुए थे। पप्पू का हाथ अब नीचे की तरफ
बढ़ने लगा था और रिंकी के झीने से टॉप के ऊपर उसके गोल बड़ी बड़ी चूचियों तक
पहुँच गया। जैसे ही पप्पू ने अपनी हथेली उसकी चूचियों पर रखा, रिंकी में
मुँह से एक जोर की सिसकारी निकली और उसने झट से पप्पू का हाथ पकड़ लिया।
दोनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा और फ़ुसफ़ुसा कर कुछ बातें की। दोनों अचानक उठ गए और अपनी अपनी कुर्सी पर बैठ गए।
मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि अचानक उन दोनों
ने सब रोक क्यों दिया। कितनी अच्छी फिल्म चल रही थी और मेरा माल भी निकलने
वाला था।
“खड़े लण्ड पर धोखा !” मेरे मुँह से निकल पड़ा।
मैं थोड़ी देर में बाथरूम से निकल पड़ा और पप्पू की तरफ देखकर आँखों ही आँखों में पूछा कि क्या हुआ।
उसने मायूस होकर मेरी तरफ देखा और यह बोलने की कोशिश की कि शायद मेरी मौजूदगी में आगे कुछ नहीं हो सकता।
मैं समझ गया और खुद ही मायूस हो गया।
मैं वापस अपने बिस्तर पर आ गया और इधर उधर की बातें होने लगी। तभी मैंने
रिंकी की तरफ देखा और कहा,“रिंकी, अगर तुम्हें तकलीफ न हो तो क्या हमें चाय
मिल सकती है?”
“क्यूँ नहीं, इसमें तकलीफ की क्या बात है। आप लोग बैठो, मैं अभी चाय बनाकर लती हूँ।”
इतना कहकर रिंकी ऊपर चली गई और चाय बनाने लगी।
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