Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
01-10-2019, 01:43 PM,
RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
यह सुनकर मेजर के पांव तले जमीन ही न रही, उसे लगा जैसे वह अब अपनी जगह पर गिर जाएगा उसने काँपती हुई आवाज़ में कहा, कहा ....... बच्चा ..... कौन सा बच्चा .... ??? 

कर्नल इरफ़ान फिर व्यंग्य का ठहाका लगाया और बोला वही बच्चा जो तुम्हारी जवान पत्नी के पेट में पल रहा है, लो अपनी पत्नी से बात करो ... यह कह कर कर्नल इरफ़ान ने फोन रश्मि के कान से लगा दिया जिसके हाथ पांव कर्नल इरफ़ान बाँध चुका था और वह एक अज्ञात जगह पर कैद थी। मेजर राज को रश्मि की आवाज सुनाई दी: हाय राज ??? 

रश्मि की आवाज सुनकर मेजर के होश खता हो गए, वह वास्तव में कर्नल इरफ़ान जैसे बेरहम और ज़ालिम आदमी के कब्ज़े में थी, लाचार मेजर राज की आंखों से आंसू बहने शुरू हो गए, वह बहुत बहादुर और मज़बूत जिस्म का मालिक था मगर इस समय वह बिल्कुल कमजोर बच्चे की तरह था जिसके हाथ में कुछ भी नहीं था, उसने हकलाती हुई आवाज में कहा, रश्मि तुम कहाँ हो ???

मगर आगे रश्मि की गूँजदार और शांत आवाज सुनाई दी: राज आपने सारा जीवन मेरे साथ रहने का वादा किया था, और मेरी सुरक्षा का मुझे आश्वासन दिया था, और मुझे तुम पर पूरा विश्वास है कि तुम कभी वादा खिलाफी नहीं कर सकते। लेकिन याद रखना एक वादा आपने इस पवित्र भूमि से भी किया था कि अपनी जान पर खेलकर इस देश की एक एक इंच की रक्षा करेंगे। राज आज मैं रहूं या न रहूं, लेकिन तुम्हे मेरी तरह इस मातृभूमि पर, हमारे देश पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए .... रश्मि की इतनी शांत और भावनाओं से भरपूर आवाज सुनकर मेजर राज रो पड़ा था, उसकी आँखों से न केवल आंसू बह थे बल्कि वह बच्चे की तरह बिलबिला कर रो रहा था। उसके भ्रम व गुमान में भी नहीं था कि उसकी वजह से कभी उसकी पत्नी पर इतना बुरा समय आ जाएगा। वह अब भूल चुका था कि वह किस मिशन पर है और लोकाटी जल्द ही कितनी खतरनाक घोषणा करने वाला था, उसके मन में अगर कुछ था तो उसकी पत्नी ........ और उसका बच्चा ... जो अभी इस दुनिया में आया भी नहीं था। 

मेजर राज ने रोते हुए कहा रश्मि हमारा बच्चा ...... ???? 

रश्मि हल्की आवाज में मुस्कुराई और बोली हां हमारे बच्चे को भी अपने पापा पर गर्व होगा और आप को भी अपने बच्चे और अपनी पत्नी पर गर्व होना चाहिए कि वह अपने देश की खातिर अपनी जान का त्याग करने के लिए तैयार हैं,

मेजर राज फिर रोने लगा, नहीं रश्मि नहीं, ऐसा नहीं हो सकता मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। कभी नहीं होने दूंगा। इससे पहले कि रश्मि कुछ और कि पाती, कर्नल इरफ़ान ने उसके कान से फोन निकाल लिया और बोला चल हट, बड़ी आई जान की कुर्बानी देने वाली क्या समझती है तेरी ये बातें भारत को टूटने से बचा लेंगी ? यह कह कर उसने रश्मि के पेट में एक लात मारी जिससे रश्मि की एक दिलख़राश चीख निकली जो मेजर राज के कानों को चीरती हुई खत्म हो गई। मेजर राज समझ गया था कि कर्नल इरफ़ान ने रश्मि पर वार किया है, वह चिल्लाता हुआ कर्नल इरफ़ान से बोला कि खबरदार जो रश्मि को एक खराश तक भी पहुंचाई नहीं तो मैं तेरी बोटी बोटी कर दूंगा। 

मगर कर्नल इरफ़ान पर इस धमकी का कोई असर नहीं हुआ, वह जानता था कि उस समय मेजर राज कुछ नहीं कर सकता। अब मेजर राज को भी अपनी धमकी खोखली महसूस हो रही थी, वह जानता था कि उसके हाथ में कुछ नहीं रहा, खेल खत्म हो चुका है, अब उसे अपनी गलती का तीव्रता से महसूस हो रहा था, जब समीरा ने मेजर राज को इस बात पर उकसाया था कि कर्नल इरफ़ान को राफिया के बारे में बताकर अमजद और उसके साथियों को रिहा करवाए तो एक पल के लिए मेजर राज ने सोचा था कि यह सही नहीं है, अपनी आपस की लड़ाई में किसी की बेटी, किसी की इज्जत से खेलना और उसका लाभ उठाना ठीक नहीं। मगर फिर उसने सोचा कि वह कौन सा वास्तव में राफिया को नुकसान पहुंचाना चाहता है, बस एक धमकी ही देनी है और कर्नल इरफ़ान बेटी के प्यार में उसकी बात मान जाएगा। यही मेजर राज की गलती थी कि उसने एक पिता की भावनाओं का ख्याल नहीं किया, दरअसल उसने राफिया को कुछ नहीं कहा, लेकिन कर्नल इरफ़ान एक बेटी का बाप था, बेटी का सुनकर उसे कैसा महसूस हुआ होगा? वह किस पीड़ा से गुजरा होगा, मेजर राज ने यह सोचा ही नहीं था, और अब उसे इस गलती का अहसास तीव्रता से महसूस हो रहा था। 

वह अब फोन पर कर्नल इरफ़ान की मिन्नतें कर रहा था कि भगवान के लिए मेरी पत्नी और बच्चे को छोड़ दो, इनका कोई दोष नहीं, मेरे बच्चा तो अभी इस दुनिया में आया भी नहीं ....


इस पर कर्नल इरफ़ान ने अत्यंत दुख भरे स्वर में कहा, मेरी बेटी राफिया का क्या दोष था ??? तब तुम्हें विचार नहीं आया कि एक पिता के दिल पर क्या गुज़रेगी ??? 

मेजर राज ने कहा तुम अपनी बेटी से पूछ लो अगर मैंने उसको बाल बराबर भी नुकसान पहुंचाया हो, मैं तो तुम्हें फोन करने के बाद उसका फोन लेकर वहां से चला आया था और वह पूरी तरह आज़ाद थी तुम्हारी बेटी को कोई खतरा नहीं था। ..... प्लीज़ मेरी पत्नी को छोड़ दो .... 

मगर कर्नल इरफ़ान कहां सुनने वाला था, उसके दिल में न केवल राफिया का बदला था बल्कि भारत को दो फाड़ करने का मिशन भी था, आखिरकार कर्नल इरफ़ान ने कहा मैं तुम्हारी पत्नी को छोड़ दूँगा, मगर तुम वहाँ से वापस आजाो, और खबरदार, जो तुमने लोकाटी की कोई सीडी वहाँ चलाई। साना जावेद की फिल्म वाली सीडी चलने दो, लोकाटी को विद्रोह की घोषणा करने दो मैं तुमसे वादा करता हूँ, एक आर्मी कर्नल तुम्हें अपना वादा दे रहा है कि मैं तुम्हारी पत्नी को छोड़ दूंगा और फिर विद्रोह को कुचलने के लिए तुम पूरा जोर लगा लेना, फिर युद्ध के मैदान में ही हम दोनों आमने सामने आएंगे, और मेरा तुमसे वादा है तुम्हे तुम्हारी धरती पर ही अपने पैरों से कुचल कर मारूँगा और तुम्हारी पत्नी सारा जीवन शहीद की विधवा बनकर खुशी खुशी जिंदगी बिता लेगी । 

मेजर राज ने फिर कहा, मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूँ, मैं लोकाटी भी कुछ नहीं कहूंगा, मैं उसकी सीडी नहीं चलाउन्गा मगर भगवान के लिए मेरी पत्नी को छोड़ दो। इस पर कर्नल इरफ़ान ने ठहाका लगाया और बोला पहले पहले विद्रोह शुरू तो हो लेने दो फिर तुम्हारी इस सुंदर और जवान पत्नी को छोड़ दूंगा। अभी कर्नल इरफ़ान ने इतना ही कहा था कि मेजर राज के कानों में लोकाटी की आवाज गूंजी, वह एक बार फिर मंच पर खड़ा हो गया था और उसने घोषणा कर दी थी कि अब हम आपको वह फिल्म दिखाएंगे जो कहानी मैंने आपको अभी सुनाई है, अगर हमारी इस बेटी के सिर से उतरती चादर देखकर भी आपका सम्मान नहीं जागता तो लानत भेजूँगा आपकी मर्दानगी को और यहीं इस सभा में अपने आपको गोली मार कर उड़ा दूंगा, कि मैं ऐसे बेगैरत राष्ट्र का नेता नहीं बन सकता जिसकी अपनी बेटी की इज्जत लुटती देखकर भी जमीर ना जागे। और अगर इस फिल्म को देखने के बाद आपका जमीर जाग उठे, आप मेरी एक आवाज पर अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाओ, तो मैं वादा करता हूँ कि इस देश की हर बेटी की इज्जत की रक्षा के लिए आपके कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहूंगा, अपने खून की आखिरी बूंद तक आपकी बेटियों की इज्जत की रक्षा की खातिर देने के लिए तैयार रहूंगा, भारत की क्रूर सेना के अत्याचार और आपकी बेटियों की इज्जत के बीच में लोहे की दीवार बनकर खड़ा हो जाउन्गा, भारत की सेना पहले मेरी लाश पर से गुज़रेगी तो आपकी बेटियों की इज्जत पर हाथ डालेगी, लेकिन मुझे यकीन है कि मेरे मरने के बाद भी मेरी जगह लेने मेरी प्रजा के बहुत लोग मौजूद होंगे, और स्वतंत्रता की इस लड़ाई को तब तक लड़ेंगे जब तक राष्ट्र का हर आदमी मारा ना जाए, या फिर स्वतंत्रता हासिल न कर लें ... 

लोकाटी का इतना कटौती दार भाषण सुनकर वहां मौजूद लोगों की भावनाओं अपने चरम पर पहुँच व्हुकी थी और अब पूरी सभा स्थल में भारत की सेना के खिलाफ नारेबाजी हो रही थी और हर कोई प्रतिज्ञा कर रहा था कि वह अपनी बेटियों की इज्जत की रक्षा की खातिर अपनी गर्दनें कटवाने के लिए तैयार हैं। उधर कर्नल इरफ़ान भी मेजर राज के फोन के माध्यम से यह सारा भाषण सुन रहा था और ठहाके लगा रहा था, उसे विश्वास था कि इस भाषण के बाद कोई भी स्वस्थ युवा बिना कुछ सोचे समझे विद्रोह की घोषणा कर देगा और उसके लिए अपनी जान भी कुर्बान कर देगा। उसने फिर फोन मेजर राज को कहा कि देखो उन भावनाओं को .... क्या तुम उनकी भावनाओं को अपनी गोलियों से रोक सकते हो? तुम उनके सम्मान को समाप्त कर सकते हैं ???? नहीं मेजर नहीं ... तुम हार चुके हो, तुम कुछ नहीं कर सकते, तो भलाई इसी में है कि चुपचाप वहां से वापस आ जाओ और अपनी पत्नी और अपने बच्चे के साथ अपना बाकी जीवन आराम से गुजारो , 

मेजर राज कोई फैसला नहीं कर पा रहा था, तो उसकी नज़र एक साइड पर बुलेटप्रूफ शीशे पर पड़ी जहां लोकाटी का खास आदमी था जिसने फिल्म चलानी थी उसे मेजर राज के इशारे का इंतजार कर रहा था ... तब मेजर राज को होश आया कि वह यहाँ क्यों आया था और उसका मकसद क्या था, उसके मन में एक ओर आर्मी ज्वाइन करते समय खाई गई कसम थीं कि वह अपने देश की खातिर अपना तन मन धन बलिदान कर देगा, तो दूसरी तरफ अपनी प्यार करने वाली पत्नी के साथ बिताए गए वो कुछ क्षण थे जिनके परिणामस्वरूप उसकी पत्नी पेट से थी और उसके बच्चे की मां बनने वाली थी मेजर को फैसला करना मुश्किल हो रहा था, वह अपनी निर्दोष पत्नी और बच्चे का कैसे त्याग कर सकता है ???

मगर फिर लोकाटी आवाज उसके में गूंजी कि फिल्म ड्राइव ............. जैसे ही यह बात मेजर राज के कानों में गूँजी , मेजर राज की नज़रों के सामने वह मासूम बच्चे आने लगे, वह निर्दोष जानें आने लगे, वह मासूम बेटियाँ और इस देश की औरतें आने लगीं जोकि इस विद्रोह के परिणामस्वरूप पाकिस्तानी सैनिकों से हलाक होने वाली थीं ... 

एक ओर मेजर राज के सामने अपनी पत्नी के पेट में पलने वाला मासूम बच्चा, और अपनी पाक दामन और निर्दोष पत्नी थी जिसने अब जीवन की खुशियां देखी ही नहीं थी, तो दूसरी ओर अपने लोगों की वह अनगिनत बच्चियां थीं जो पाकिस्तानी सेना के उत्पीड़न का निशाना बनने जा रही थीं, उनके दूसरे देश के मुसलमान सैनिक जो अत्याचार करने वाले थे निर्दोष और मासूम मुसलमानों के साथ उनको उसका पता ही नहीं था , 
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