RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
अभी यह योजना जारी थी कि किसी ने लोकाटी को आकर मेजर राज के बारे में सूचना दी। लोकाटी मेजर राज को जानता तक नहीं था, वह हैरान था कि मेजर राज कौन है और वह उससे मिलने क्यों आया है। फिर उसने सोचा शायद कल वाली घटना से संबंधित बात करने आया हो, लोकाटी ने उसे अंदर बुलाने के लिए कहा। मेजर जो उसकी हवेली के बाहर इंतजार था उसे एक आदमी ने अंदर आने के लिए कहा तो मेजर राज अकेले बिना किसी डर के लोकाटी के सामने जा खड़ा हुआ। लोकाटी ने मेजर की अनदेखी करते हुए उसे बैठने का इशारा किया और फोन पर बातें जारी रखी, लेकिन वह बात इस तरह कर रहा था कि मेजर राज को समझ न लगे कि वह क्या कह रहा है।
कुछ देर बाद फोन से फ्री होकर लोकाटी ने मेजर राज की ओर देखा और बोला हां मेजर बोलो कैसे आना हुआ, मेजर राज सिर झुकाए बैठा था, उसने अपनी टोपी उतारी और सिर ऊपर उठाकर लोकाटी को देखा जो बैठा मुस्कुरा रहा था। लोकाटी ने मेजर राज को देखा तो उसके चेहरे की मुस्कान पहले तो गायब हुई, फिर वहाँ आश्चर्य के आसार दिखने लगे और फिर डर के स्पष्ट लक्षण लोकाटी के चेहरे पर आए। फिर लोकाटी काँपती हुई आवाज़ में बोला, त .. । । त। । । तुम तो। । । । । टी ... टैन ... .राफिया के दोस्त हो न। । । एन ना ....... इस पर मेजर राज ने व्यंग्यात्मक मुस्कान दी और बोला नहीं, मैं इस पवित्र मातृभूमि का पुत्र हूं, जो दुश्मन को गर्दन से पकड़ कर कुचल देने की क्षमता रखता है। और मैं यहाँ तुम्हें वॉर्न करने आया हूँ कि अपनी हरकतों से बाज आ जाओ वरना आज का दिन तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन होगा।
मेजर राज के मुंह से यह शब्द सुनकर लोकाटी बहुत गुस्से की हालत में चिल्लाया और अपने कर्मचारियों को आदेश दिया कि मेजर राज को उठाकर बाहर फेंक दो . मगर वह यह नहीं जानता था कि एक आर्मी ऑफिसर को हाथ लगाने की हिम्मत किसी में नहीं होती, इसलिए उसकी आवाज पर कोई भी आगे नहीं बढ़ा तो मेजर राज खुद अपनी जगह से खड़ा हुआ और लोकाटी को कहा कि सिर्फ मैं ही नहीं, बल्कि वह अंजलि जो तुम्हारे साथ भारत आई और जिसने तुमसे सारे रहस्य उगलवा कर तुम्हारी वीडियो भी बनाई वह भी इसी देश की बेटी है और उसने वह वीडियो मुझे दे दी हैं जो मैं यहाँ की जनता को दिखा दूंगा अगर आपने कर्नल इरफ़ान के साथ अपने संबंधों को अभी और इसी समय ख़त्म ना किया तो। अंजलि का नाम सुनकर लोकाटी को एक और धक्का लगा, वो तो वैसे ही कल से मारिया जो उसके विचार में अंजलि थी उसको ढूंढ रहा था और फग़ान ने उसे बताया था कि वह शाम में एक जीप में एक कर्मचारी के साथ खरीदारी करने गई थी और अभी तक वापस नहीं आई। मगर फग़ान ने अपने बेटे शाह मीर के बारे में कुछ नहीं बताया था, क्योंकि वह नहीं चाहता था इस बारे में किसी को पता लगे। और तब भी फग़ान और फैजल दोनों में से कोई यहां नहीं था कि उन्हें मारिया की असलियत पता लगती जो उसे पाकिस्तानी एजेंट समझ रहे थे और अपने पिता को मारने के लिए भी तैयार थे। यह सब सुनकर लोकाटी एक पल के लिए परेशान हुआ, मगर फिर उसने सोचा कि अगर वास्तव में ऐसा होता तो अब तक तो उसको गिरफ्तार कर लिया जाता , क्योंकि कल रात जो घटना हुई उस पर अगर आर्मी के पास लोकाटी के खिलाफ कोई सबूत होता तो वह उसे वहीं पर मौत के घाट उतार देते देशद्रोह के आरोप में। मगर ऐसा न किए जाने का मतलब था कि मेजर राज उसको ब्लैकमेल करने के लिए तुक्कों से काम ले रहा है, वास्तव में उसके पास कोई सबूत नहीं है।
यह सोच कर लोकाटी ने मेजर राज से कहा, तुम से जो होता है तुम कर लो, लेकिन याद रखना आज शाम के बाद से घाटी भारतीय सेना का कब्रिस्तान साबित होगी, इसलिए बेहतर है कि शाम होने से पहले पहले खुद ही घाटी छोड़ जाओ। यह कह कर लोकाटी ने हिकारत से मेजर राज को देखा और अपने कमरे में जाने के लिए उठ खड़ा हुआ। पीछे से मेजर राज ने जोर कहा कि तुम्हारे इन नापाक इरादों को हुन्डुस्तानी सेना का एक जवान अपना खून देकर विफल कर देगा। यह कह कर मेजर राज उसकी हवेली से वापस निकल आया और अपनी जीप में बैठकर वापस आर्मी कैंप चला गया। जबकि लोकाटी अपने कमरे में बैठ कर सोचने लगा कि उसे क्या करना चाहिए। वह जान गया था कि उसके प्लान के बारे में भारत की सेना को पता लग चुका है, ऐसे में उसकी जान को खतरा था, उसने सभी प्रमुखों को अपनी हवेली में बुला लिया और उन्हें बड़ी-बड़ी लालच देकर पाकिस्तान से संबद्ध समर्थन पर आमादा कर लिया था। वैसे भी लोकाटी का मानना था कि जब साना जावेद की फिल्म इतनी जनता को स्क्रीन पर दिखाई जाएगी तो मेजर राज कितने ही सबूत क्यों न पेश कर ले जनता इतनी भावुक हो चुकी होगी कि वह मेजर की किसी बात को नहीं सुनेगी और लोकाटी की लीडरशिप में भारत से जुदाई के लिए आंदोलन शुरू करके पाकिस्तान में विलय का समर्थन करेंगे। सभी अधिकारियों को इस बात पर मनाने के बाद अब लोकाटी ने फैसला किया कि अपनी हवेली में बैठने की बजाय सभा स्थल चले जाना चाहिए, क्योंकि हवेली में उस पर छिपकर हमला किया जा सकता है मगर सभा स्थल में मीडिया के कैमरे होंगे वहां भारत की आर्मी लोकाटी पर हमला करने के बारे में सोचेगी नहीं।
लोकाटी ने इस बारे में कर्नल इरफ़ान से भी बात की, तो उसने भी लोकाटी बात से सहमत होते हुए उसे सभा स्थल जाने की हिदायत की और उसे बताया कि उसे डरने की जरूरत नहीं वहाँ सादे कपड़ों में उसके लोग होंगे जो उसकी रक्षा करेंगे और मेजर राज से वह बेफिक्र रहे वेवो कभी भी उसकी कोई वीडियो या कोई सबूत जनता के सामने पेश नहीं कर सकेगा उसकी व्यवस्था हो चुकी है।
कर्नल इरफ़ान से सांत्वना मिलने के बाद और विशेष रूप से यह शब्द सुनने के बाद कि मेजर राज की व्यवस्था हो चुकी है लोकाटी संतुष्ट हो गया था। फिर उसने अपने दोनों बेटों को अपने साथ लिया और उन्हें सभा स्थल चलने की हिदायत करते हुए अपने कमरे से साना जावेद की सीडी उठा लाया जो उसे कर्नल इरफ़ान ने एक रात पहले ही प्रदान की थी। वह सीडी अपने साथ लेकर लोकाटी ने अपने एक कर्मचारी को निर्देश दिया कि वह सभा में लाइव प्रदर्शन तैयार करे जहां प्रोजेक्टर के माध्यम से बड़े परदे पर साना जावेद की फिल्म दिखाई जाएगी और जब फिल्म में भारत के सेनाध्यक्ष और युवाओं को घाटी की सड़कों पर घसीटा जाएगा तो हम अलग होने की घोषणा कर देंगे। यह निर्देश करके लोकाटी सभा स्थल पहुंच गया और मंच पर जाकर जनता का लहू गरमाने लगा। जनता भी अपने नेता को अपने सामने देखकर खुश हो गई, और जो लोग अभी तक घरों में बैठे थे कि सम्मेलन स्थल में लोकाटी अंतिम समय में आएगा वह भी घरों से निकलना शुरू हो गए। देखते ही देखते सभा स्थल जनता से खचाखच भर चुका था हर तरफ सिर ही सिर थे और कहीं पैर रखने की जगह नहीं थी। यह दृश्य देखकर लोकाटी काफी संतुष्ट था, वह रहकर रह कर छोटे भाषण दे रहा था जिसमें वह घाटी के वित्तीय संसाधनों में अन्य प्रांतों के कब्जे के बारे में जहर उगल रहा था और जनता भी यह सब सुनकर भावुक हो रही थी कि आखिर उनके हक पर कैसे कोई डाका डाल सकता है।
दूसरी ओर मेजर राज अपना सारा प्लान तैयार कर चुका था वह खुद भी एक सुरक्षित जगह पर सादे कपड़ों में लोकाटी केजलसे में ही था, उसे आज हर मामले में अपने प्लान को कामयाब बनाना था और मातृभूमि की रक्षा की खाई हुई कसम को पूरा करना था। जैसे-जैसे सभा का नियमित प्रारंभ समय करीब आ रहा था मेजर राज के दिल धड़कनें तेज हो रही थीं, जबकि मेजर राज ने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ को सीमा से संभावित दुश्मन सेना के हमले से आगाह कर दिया था जिसके लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने अपने बलों को तैयार रहने का आदेश दिया था ताकि किसी भी संभावित हमले के मामले में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। जबकि दूसरी ओर पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कर्नल इरफ़ान के संकेतों के इंतजार में था कि जैसे ही सीमा पार से कर्नल हमले का संकेत दे तो वह अपनी सेना को भारत पर हमला करने का आदेश जारी कर दे।
यहाँ विभिन्न अधिकारियों द्वारा भाषण जारी था, उनमें से ज्यादातर तो घाटी के विकास और जनता के कल्याण के बारे में थे जबकि कुछ लोग बीच-बीच में भारत के खिलाफ भी जहर उगल रहे थे जिससे वहां मौजूद लोगों का खून खोलने लगा था और उन्हें ऐसा लग रहा था कि उनके अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है और आज इस उत्पीड़न से मुक्ति का दिन है। उनमें से ज्यादातर बातें तो झूठ पर आधारित थे, लेकिन कुछ बातें सच्ची भी थीं, जहां भारत सरकार दोषी थी, वह कुछ मामलों में वास्तव मे घाटी मे वह अधिकार नहीं दिए थे जिसके वह हकदार थे लेकिन उसका यह अर्थ कदापि नहीं था कि घाटी के लोग राज द्रोह की घोषणा करके पाकिस्तान से जा मिलें जहां पहले ही स्वतंत्रता के बीसियों आंदोलन चल रहे थे और उनको दबाने में पाकिस्तान सरकार बुरी तरह विफल रही थी
आखिरकार वह समय भी आ गया जिसका मेजर राज को उत्सुकता से इंतजार था। ये लोकाटी का भाषण था। मेजर राज नेस्टेज पर अपना एक आदमी बैठा रखा था ताकि अगर लोकाटी कुछ गलत घोषणा करना चाहे तो उसका आदमी फिर उसे अंतिम चेतावनी दे सके। लोकाटी ने भाषण का शुभारंभ किया जिसमें भारत से प्यार कूट कूटकर दिख रहा था, लोकाटी ने 1947 की घटनाओं की शुरूआत की जब घाटी की जनता ने भारत मे विलय का फैसला किया था और एक नए देश के रूप में दुनिया के नक्शे पर भारत उभरा तो इसमें घाटी के प्रमुखों और जनता का नाम रोशन शब्दों के साथ लिखा गया था, फिर विभिन्न अवसरों पर जब जब घाटी के लोगों ने भारत के लिए कुर्बानियां दी इनका उल्लेख था। जिससे ऊपरी तौर पर लग रहा था कि शायद लोकाटी अपना इरादा छोड़ चुका है और अब वह ऐसा कोई घोषणा नहीं करेगा जिससे विद्रोह सिर उठा सके। मगर कहीं न कहीं मेजर राज को विश्वास था कि लोकाटी अपनी असलियत जरूर दिखाएगा, और अंत में वही हुआ जिसका डर था, लोकाटी ने धीरे धीरे अपनी औकात दिखानी शुरू कर दी। उसने अब घाटी के लोगो के साथ होने वाली ज्यादतियों का जिक्र शुरू कर दिया। भारत सरकार ने कैसे घाटी के अधिकारों पर डाका डाला उसके बारे में झूठी कहानियां बना कर बयान करना शुरू कर दी जिससे घाटी की मासूम जनता लोकाटी की बातों में आकर भावनात्मक नारे लगाने लग गई थी। अब मेजर राज को लग रहा था कि किसी भी समय लोकाटी विद्रोह की घोषणा कर सकता है और तब स्थिति को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
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