RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
मेजर राज एयरपोर्ट से निकलने से पहले अपना मेकअप साफ कर चुका था और अब वह मेजर राज के ही रूप में था। पाकिस्तान से प्रस्थान के समय उसने मेजर मिनी को अपने भारत आने की सूचना दे दी थी और मेजर मिनी ने एयरपोर्ट पर पूरे स्टाफ को सूचित कर दिया था कि हमारा एक एजेंट साना जावेद के साथ उसके कर्मचारी के हुलिए में आ रहा है, जिसकी वजह से एयरपोर्ट कर्मचारियों ने खुद ही मेजर राज को फ़िरोज़ के हुलिए में पहचान कर कुछ देर एयरपोर्ट पर ही सुरक्षित जगह दी, और फिर जब वह अपना मेकअप साफ करके मेजर राज के रूप में वापस आ चुका था तो एयरपोर्ट प्रशासन ने मेजर राज को बाहर निकलने में सहायता प्रदान की थी। एयरपोर्ट से निकलने के बाद पहले मेजर राज अपने आर्मी कैंप रिपोर्ट करने गया, जहां उसका हार्दिक स्वागत किया गया। उसके सभी दोस्त जो आर्मी में ही थे वहां उसके स्वागत के लिए मौजूद थे, सब इस बात से खुश थे कि उनका एक एजेंट पाकिस्तान की पूरी सेना और आईएसआई का सिर दर्द बनकर सही सलामत वापस आ चुका है, न केवल वापस आ चुका है बल्कि उनके प्लान के बारे में बहुत सारी सामग्री भी ले आया। जो अब भारत अपने बचाव के लिए इस्तेमाल कर सकता है और पाकिस्तान की इस खतरनाक परियोजना को नाकाम कर सकता है। मेजर मिनी भी यहीं मौजूद थी उसने भी बड़ी गर्मजोशी से मेजर राज का स्वागत किया और उसे सफल मिशन पर बहुत बहुत बधाई दी। मेजर राज ने अपने पास की आवश्यक सामग्री को आर्मी कैंप में अपने अधिकारियों के हवाले किया और फिर उनसे घर जाने की अनुमति माँगी ताकि वह अपनी माँ को अपना चेहरा दिखाकर उनकी उनकी राज़ी खुशी जान सके और उसके साथ उसकी पत्नी को भी मिल सके जिसे वो हनीमून पर ही अकेला छोड़कर कर्नल इरफ़ान की खोज में चला गया था।
आर्मी कैंप में मेजर राज के सभी मित्रों ने उसको उपहार दिए जिसमें ज्यादातर फूलों के गुलदस्ते थे और फिर मेजर को घर जाने के लिए कहा ताकि वह अपनी मां और अपनी पत्नी को मिल सके। अभी मेजर राज कार में बैठा ही था कि अंदर से मेजर मिनी भागती हुई आई और मेजर राज को कहा कि मुझे खेद है तुम अब अपनी माँ और रश्मि से नहीं मिल सकते, एक बुरी खबर है, जल्दी अंदर आओ ...
मेजर राज मिनी की बात सुनकर परेशान हो गया और जल्दी से अंदर गया जहां सभी आर्मी अधिकारी एक निजी टीवी चैनल की रिपोर्टिंग देख रहे थे जो घाटी में नेता के अंतिम विश्राम की जगह पर हमले की खबर प्रसारित कर रहे थे। यह देखकर मेजर राज को एक बड़ा झटका लगा था और वह बेबसी से अपने दांत पीस रहा था। वह समझ गया था कि इस सब के पीछे कर्नल इरफ़ान का हाथ होगा। समीरा ने गोवा में उसको यह तो बताया था कि नेता से संबंधित किसी इमारत पर हमला किया जाएगा योजना के अनुसार मगर मेजर राज ने गलती यह की वह खुद ही यह समझ लिया कि यह हमला नेता के मजार पर होगा, मगर कर्नल इरफ़ान ने कुछ और ही सोच रखा था, अंतिम विश्राम की जगह घाटी में भी थी इसलिए वहां पर लोगों की नेता और भारत को नफरत दिखाने के लिए वहीं पर उनकी अंतिम विश्राम जगह को निशाना बनाया था।
भारत की सारी सीक्रेट सर्विसेज इस बड़ी त्रासदी के बाद हरकत में आ गई थीं, यहां तक कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ भी इस त्रासदी को अपनी एजेंसी की विफलता से उपमा दे रहा था। मेजर राज की अपनी सारी खुशी धूल में मिल गई थी और अब वह अपनी मां और पत्नी से मिलने की बजाय कर्नल इरफ़ान और विश्वासघाती लोकाटी से 2, 2 हाथ की ठान ली थी। चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने कश्मीर में मेजर राज को जल्दी तलब किया था और वह अब एक विशेष विमान से कश्मीर जा रहा था, जाने से पहले मेजर ने मिनी से समीरा के बारे में पूछा तो उसने बताया मेरी जानकारी के अनुसार वह कल रात हवेली से निकल गई थी और उसके साथ फग़ान लोकाटी का बेटा शाह मीर लोकाटी भी था, और फग़ान के अपने लोग समीरा को अपनी सुरक्षा में कहीं पहुंचा चुके हैं, अब वह कहाँ है इस बारे में कुछ पता नहीं, सुरक्षित भी है या नहीं, मैं नहीं जानती। मेजर राज ने एक बार फिर अपने आप को कोसा क्योंकि उसने अमजद से वादा किया था कि वह उसकी बहन को सही सलामत वापस आज़ादकश्मीर पहुंचा देगा, मगर अब मेजर राज को अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था जिसने समीरा जैसी मासूम लड़की को इन भेड़ियों के बीच फंसा दिया था। मेजर राज नहीं जानता था कि समीरा अपना काम करने में सफल हुई है या नहीं, बल्कि अब उसे यह डर था कि कहीं उसकी असलियत सामने न आ गई हो तभी फग़ान ने समीरा को कहीं छुपा दिया हो ताकि वह हवेली और घाटी की अगली परियोजनाओं के बारे में भारतीय सेना को अधिक सूचना न दे सके।
बोझिल दिल के साथ मेजर राज विमान में सवार हो गया था और कुछ ही देर बाद वह कश्मीर पहुंच चुका था जहां चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल जसवंत सिंग मौजूद थे। और बेचैनी से टहलते हुए मेजर राज का इंतजार कर रहे थे। मेजर राज केपहुँचने पर पहले जनरल साहब ने मेजर राज को अपना मिशन सफल और बहादुरी से करने पर बधाई दी, लेकिन मेजर के लिए यह बधाई किसी काम की नहीं थी क्योंकि दुश्मन ने उसके प्यारे वतन की एक महान स्मारक को नुकसान पहुंचाया था और इस समय वो दुश्मन को नेस्तनाबूद कर देना चाहता था। जनरल साहब भी यह बात जानते थे कि एक सिपाही कैसे अपने देश के लिए तड़पता है अगर उसके वतन पर कोई आंच आए।
जनरल साहब मेजर राज की क्षमताओं से खूब परिचित थे, उन्होंने मेजर राज से सलाह ली कि आगे क्या करना चाहिए, जबकि वह खुद भी प्लान कर चुके थे मगर मेजर राज की राय लेना भी जरूरी था। मेजर राज ने कहा कि सर हमें पहले तो प्रधानमंत्री श्री मोदी साहब को साथ लेकर घाटी जाकर नेता की अंतिम विश्राम जगह पर जाकर तिरंगा परचम लहराया जाए और वहीं इसी समारोह में विश्वासघाती लोकाटी भी बुलाना होगा ताकि घाटी की जनता अपनी आंखों से देख ले कि उनका मुख्यमंत्री अपने हाथों से भारतीय झंडा लहरा रहा है, उसके बाद इस गद्दार को अंतिम चेतावनी दी जाएगी, अगर वो बाज़ आ गया तो ठीक नहीं तो लोकाटी के कल होने वाले समारोह में बड़ी स्क्रीन पर उसकी करतूत सबको दिखा दी जाएँगी और उसका खेल खत्म हो जाएगा। जनरल साहब ने मेजर राज की राय से सहमति जताई, वह भी यही प्लान कर बैठे थे। तभी उन्होंने तत्काल प्रधानमंत्री को फोन किया और घाटी चलने को कहा, पहले तो प्रधानमंत्री जी ने टालमटोल से काम लिया क्योंकि वह जानता था कि घाटी में दुश्मन सक्रिय है और वहां जान का खतरा है, लेकिन जब चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने प्रधानमंत्री को सारी सच्चाई बताई तो प्रधानमंत्री ने साथ चलने की हामी भर ली।
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने विशेष रूप से प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा का बंदोबस्त किया था, क्योंकि प्रधानमंत्री किसी भी देश का सबसे अहम व्यक्ति होता है, और अगर उसे कोई नुकसान पहुंचता है तो पूरी जनता का मनोबल टूट जाता है। मेजर राज ने खुद प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा का जिम्मा लिया और कुछ देर बाद विशेष उड़ान से आर्मी स्टाफ अपने बहादुर जवानों के साथ प्रधानमंत्री को लिए नेता के अंतिम निवास पर मौजूद थे और पूरा मीडिया भारतीय सेना और प्रधानमंत्री की तारीफों पुल बांध रहा था कि उन्होंने किस बहादुरी से जनता को एकजुट करने के लिए घाटी जाकर तिरंगा झंडा लहरा दिया था। सेनाध्यक्ष भी मीडिया की इस रिपोर्टिंग से खुश थे, और मेजर राज भी जबकि मीडिया मेजर राज को नहीं जानता था और इस पूरे प्रकरण में मेजर राज का नाम तक नहीं आया था जिसने अपनी बहादुरी से दुश्मन के खतरनाक इरादों को न केवल भांप लिया था बल्कि उनका तोड़ भी हासिल कर लिया था और इस नायक का नाम किसी मीडिया चैनल पर नहीं था, लेकिन वह खुश था कि उनकी रिपोर्टिंग से पूरा राष्ट्र एक हो गया है और जब पूरा देश एकजुट हो जाय तो बड़े से बड़ा दुश्मन भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के कारण अकबर लोकाटी को भी इस समारोह में शिरकत करनी पड़ी थी और वह प्रधानमंत्री के साथ तिरंगा फ़ाहराने पर मजबूर था और पूरा देश इस घटना को देख रहा था। कुछ देर बाद समारोह समाप्त हो गया और पहले चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने राष्ट्र को संबोधित किया, फिर लोकाटी ने कुछ शब्द बोले और उसे मजबूरन हिन्दुस्तान जिंदाबाद का नारा लगाना पड़ा और अंत में प्रधानमंत्री ने भाषण दिया जिसमें उन्होंने दुश्मन के नापाक इरादों को धूल में मिलाने का निश्चय किया और भारतीय सुरक्षा बलों को आदेश दिया कि उन्हें जहां कहीं भी इस हमले में शामिल लोग मिले उनको गिरफ्तार करने या फिर जान से मार देने की पूरी आजादी है, हमें हर हाल में इस आतंकवादी घटना में शामिल लोगों को उनके अंजाम तक पहुंचाना है। लोकाटी पर यह भाषण बिजली बनकर गिरा मगर वह अंदर ही अंदर खुश था कि इस बारे में अभी किसी को कुछ पता नहीं
कुछ देर बाद प्रधानमंत्री को कड़ी सुरक्षा के घेरे में वापस पहुंचा दिया गया, और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ भी वापस चले गए, लेकिन मेजर राज ने घाटी में ही रुकने का निश्चय किया। रात मेजर राज ने वहीं पर एक आर्मी कैंप में गुज़ारी और सुबह होते ही अपनी खाकी वर्दी में वे लोकाटी की हवेली चला गया जहां लोकाटी कर्नल इरफ़ान से फोन पर बात कर रहा था और आगे की योजना पूरी कर रहा था, उनके परियोजना के अनुसार अब आज शाम के जलसे में लोकाटी को एक भावुक भाषण देना था जिसमें घाटी की जनता पर होने वाले अत्याचार का उल्लेख किया जाना था और फिर उसके बाद वहाँ एक बड़ी स्क्रीन पर साना जावेद की इस मूवी को चलाया जाना था जो मेजर राज ने साना जावेद के कमरे में देखी थी। उस फिल्म को चलाकर वहां की जनता का लहू गर्म किया जाएगा, क्योंकि उस सभा में घाटी सबसे असरदार लोग शामिल होंगे जिन्हें पहले से ही नए देश में बड़े पदों के लिए रिश्वत दे दी गई थी उनकी उपस्थिति में ही विद्रोह की घोषणा की जाएगी और तभी सीमा से पाकिस्तानी सेना घाटी में प्रवेश हो जाएंगी और घाटी पर कब्जा कर लेंगे।
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